नवजात शिशु जैसे-जैसे बढ़ा होने लगता है, उसे अपनी बात कहने और मनवाने का तरीका समझ में आने लगता है। कब अपनी बात मनवाने के लिए गुस्सा दिखाना है और कब प्यार भरा चेहरा बनाना है, इस बात को नन्हें-मुन्ने शैतान बखूबी समझते हैं। इसीलिए बच्चों की इन हरकतों को प्यार भरा एक नाम ‘नखरा’ दिया गया है।
लेकिन जब ये नन्हें शैतान इन नखरों का इस्तेमाल अपनी बात मनवाने के लिए कुछ ज्यादा ही करने लगते हैं, तब सभी माता-पिता एक ही सुर में प्रार्थना करते हैं कि कोई बताए हमें, इन नन्हें-मुन्नों के शाही नखरों को कैसे संभालें…तो आपकी प्रार्थना हमने सुन ली और इस लेख में आपको मिलेगा माकूल जवाब:
सबसे पहले अपने बच्चे के नखरे के कारण को समझें और जानें कि क्या वह भूखा है, नींद आ रही है या पहने हुए कपड़े से परेशानी तो नहीं हो रही है। अगर ऐसा है तो आप उससे इस समय कोई भी बात नहीं मनवा सकती हैं। इसलिए पहले उसकी समस्या को सुलझाकर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाएँ और नखरे की जड़ को ही खत्म कर दें।
अगर आपने यह समझ लिया है कि नन्हा शैतान न तो भूखा है और न ही नींद आ रही है, फिर भी केवल अपनी ओर ध्यान खींचने के लिए वह रो रहा है, हाथ-पैर मार रहा है, तो उसकी ओर से अपना ध्यान हटा लें। ऐसा केवल कुछ देर तक चलेगा और जल्द ही बच्चा समझ जाएगा कि आप उसके बेवजह वाले नखरे नहीं उठाएंगे।
कभी-कभी रोते हुए बच्चे को एक बार हँसाने से वह रोना भूल सकता है। यही ध्यान बंटाने की तकनीक उस समय अपनाई जा सकती है जब आपको लगे कि बच्चे की मांग वाजिब नहीं है और आपको उसे मानने का कोई इरादा न हो।
किसी के गुस्से को शांत करने का सबसे अच्छा तरीका है उसे गले लगाने का तरीका। बड़ों ही नहीं बच्चों के गुस्से को भी शांत कर सकता है। फिल्म मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस. में इसी जादू की झप्पी का सहारा लेकर हीरो ने छोटे-बड़े कई काम आसान कर लिए थे।
‘खाली दिमाग शैतान का घर’ – यह कहावत व्यसकों पर ही नहीं बल्कि दुधमुंहे शैतानों पर भी उतनी ही लागू होती है। इसलिए जब आपको कोई ऐसा काम करना हो जिसमें आप कोई व्यवधान न चाहती हों, तब अपने नन्हें बादशाह या राजकुमारी को कुछ ऐसा दें जिसमें वो उलझे रहें। इसके लिए उनका मनपसंद कोई खिलौना, सेब का टुकड़ा या ऐसा ही कुछ और जिसमें वो उलझे रहें इस्तेमाल किया जा सकता है।
अगर सारे उपाय के बाद भी नन्हा राजकुमार या राजकुमारी अपने नखरे में मस्त रहें तो आप उनकी मस्ती के शांत होने का इंतज़ार करें। इससे इन बच्चों को यह समझ आ जाएगा कि उनके नखरों का आपके ऊपर कोई असर नहीं होगा।
कभी-कभी छोटे बच्चे अपनी बात कैसे कहें, नहीं समझ पाते हैं और इसलिए वो रोना-चिल्लाना शुरू कर देते हैं। ऐसे में आप उन्हें बात कहने में मदद करें। इससे जहां एक ओर वो शांत हो जाएँगे वहीं उन्हें नए शब्द बोलने भी आ जाएँगे।
नन्हें-मुन्नों के नखरे समझना और उनका सामना करना किसी भी बड़े प्रोजेक्ट से कम नहीं होता है। इसलिए जब आपके सामने कभी ऐसा वक्त आए तो सबसे पहले बच्चे कि किसी जरूरत को समझते हुए उसे पूरा करें। अगर फिर भी वो शांत न हो तब या तो धैर्य पूर्वक आप उसे अपनी बात कहनी सिखाएँ। अगली बार आपको नखरे का सामना नहीं करना होगा।
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