हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की विधिपूर्वक अराधना करने का विधान है। इनमें से कुछ देवों को जल अर्पित करने की परम्परा है।
जैसे शिवजी को जल अर्पित शिव लिंग पर किया जाता है, वासुदेवजी को जल एक विशेष प्रकार के पत्थर पर अर्पित किया जाता है, शनि देव को जल पीपल के पेड़ में अर्पित किया जाता है और सूर्य देव को जल सूर्य दर्शन करते हुए अर्पित करने की मान्यता है।
इन सभी देवों को जल चढ़ाने के पीछे यह दो कारण होते हैं। ग्रहों के कुप्रभाव को शांत करना एवं इन देवों की कृपा से जीवन में सुख, शान्ति एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
सूर्य देव को पृथ्वी पर साक्षात देवता माना जाता है। क्योंकि इनका दर्शन पृथ्वी के सभी जीवों को सामान रूप से सुलभ है।
मान्यता है कि यदि सूर्य देव को जल शास्त्रों में लिखे नियमों के अनुसार नहीं अर्पित किया गया, तो इसका दुष्प्रभाव जल चढ़ाने वाले व्यक्ति को प्राप्त होता है। इन दोषों से बचने के लिए आइये जानते हैं, इस लेख के माध्यम से सूर्य देव को जल चढ़ाने की सही विधि की जानकारी।
➡ प्रातःकाल सूर्य को जल चढ़ाने से आपको मिलेंगे चमत्कारी लाभ
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