हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की विधिपूर्वक अराधना करने का विधान है। इनमें से कुछ देवों को जल अर्पित करने की परम्परा है।
जैसे शिवजी को जल अर्पित शिव लिंग पर किया जाता है, वासुदेवजी को जल एक विशेष प्रकार के पत्थर पर अर्पित किया जाता है, शनि देव को जल पीपल के पेड़ में अर्पित किया जाता है और सूर्य देव को जल सूर्य दर्शन करते हुए अर्पित करने की मान्यता है।

इन सभी देवों को जल चढ़ाने के पीछे यह दो कारण होते हैं। ग्रहों के कुप्रभाव को शांत करना एवं इन देवों की कृपा से जीवन में सुख, शान्ति एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
सूर्य देव को पृथ्वी पर साक्षात देवता माना जाता है। क्योंकि इनका दर्शन पृथ्वी के सभी जीवों को सामान रूप से सुलभ है।
मान्यता है कि यदि सूर्य देव को जल शास्त्रों में लिखे नियमों के अनुसार नहीं अर्पित किया गया, तो इसका दुष्प्रभाव जल चढ़ाने वाले व्यक्ति को प्राप्त होता है। इन दोषों से बचने के लिए आइये जानते हैं, इस लेख के माध्यम से सूर्य देव को जल चढ़ाने की सही विधि की जानकारी।
सूर्य देव को जल चढ़ाने की विधि

- सूर्य देव को जल प्रातः 8 बजे के पहले चढ़ा देना चाहिए।
- सुबह स्नान करके साफ़ धुले कपड़े पहन कर ही सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। यदि लाल कपड़ा पहन कर जल चढ़ाया जाए, तो सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- जल ताम्बे के लोटे से ही चढ़ाना आवश्यक है। जल में फूल, अक्षत (चावल), गुण या रोली मिलाकर चढ़ाने के अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं। अत: अपनी समस्या के आधार पर ताम्बे के लोटे में जल के साथ सामग्री को मिश्रित करने से मनोकामना की पूर्ति होता है।
- सूर्य देव को जल चढ़ाते समय मुख पूर्व दिशा की ओर करिए। अब दोनों हाँथ से जल पात्र पकड़ कर, हाँथों को सिर से ऊपर करके जल चढ़ाना चाहिए। इस प्रकार जल चढ़ाने से सूर्य की सातों किरणें शरीर पर पड़ती हैं। जिससे स्वास्थ लाभ प्राप्त होता है। सूर्य देव को नियमित रूप से जल चढ़ाने से नवग्रहों की भी कृपा बनी रहती है।
- जल चढ़ाते वक्त ॐ सूर्याय नम: मन्त्र को तीन या पाँच बार बोलना चाहिए। इसके उपरान्त तीन बार अपने स्थान पर ही परिक्रमा करके धूप या अगरबत्ती से सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए।
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सूर्य देव को जल चढ़ाते वक्त न करें ये गलतियाँ:
- पूर्व दिशा की ओर ही मुख करके जल चढ़ाना चाहिए। यदि सूर्य देव न दिखाई दे, तब भी मुख पूर्व दिशा की ओर करके जल अर्पित कर देना चाहिए।
- सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए ताम्बे के लोटे का ही प्रयोग करना चाहिए। किसी अन्य धातु के पात्र से जल चढ़ाने से मनवांछित फल नहीं प्राप्त होता है।
- जल चढ़ाने के उपरान्त तीन बार परिक्रमा अवश्य करना चाहिए।
- सूर्य देव को जल नहाने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन कर ही चढ़ाना चाहिए।
- जल अर्पित करते वक्त सूर्य देव का आह्वान करने के पश्चात ध्यान रखना चाहिए कि जल आपके पैरों पर न पड़े। यदि पैरों पर जल के छींटे पड़ते हैं, तो इससे दोष लगता है।
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