सनस्क्रीन दैनिक स्किन केयर रूटीन के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण ब्यूटी प्रोडक्ट्स में से एक है। यह लोशन, स्प्रे, जेल और क्रीम के रूप में बाजार में उपलब्ध है। ये जेल, वाटर और मैट बेस्ड हो सकते हैं। अनेक सौंदर्य प्रसाधन जैसे मॉइश्चराइजर, फाउंडेशन, कॉम्पैक्ट पाउडर, लिप बाम, ब्रोंज़र SPF युक्त होते हैं।
जब भी आप अपने चेहरे पर सनस्क्रीन लगाते हैं, चेहरे पर सनस्क्रीन की परत सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों को सोख लेती है या रिफ़्लेक्ट कर देती है और इस प्रकार सनस्क्रीन धूप के हानिकारक प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करता है।
आज बाजार में इतने तरह के सनस्क्रीन उपलब्ध हैं कि उनकी भीड़ में से अपनी त्वचा के अनुकूल सटीक सनस्क्रीन का चुनाव करना बेहद मुश्किल होता है। अतः अपनी पाठिकाओं को सनस्क्रीन के विषय में विस्तार से जानकारी देने के लिए हमने जयपुर के आरी स्किन एंड कॉस्मेटिक्स क्लीनिक की कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर अनिता विजय MBBS, MD से बातचीत की, और इस संदर्भ में उन्होंने जो कुछ हमें बताया, वह आज मैं आपके सम्मुख इस लेख में प्रस्तुत करने जा रही हूं।
सनस्क्रीन समय से पहले सूरज के प्रभाव से स्किन की एजिंग की रोकथाम में मदद करता है, जिससे त्वचा पर धूप की वजह से आई झुर्रियां, बारीक रेखाओं, ढीलापन और दाग धब्बों में कमी आती है।
इसका नियमित उपयोग स्किन कैंसर और प्री कैंसर के खतरे को कम करता है ।
सनस्क्रीन हमें दो तरह की अल्ट्रावायलेट किरणों से सुरक्षा प्रदान करता है, UVA किरणें एवं UVB किरणें। हमारा सनस्क्रीन ऐसा होना चाहिए जो इन दोनों किरणों से हमारा बचाव कर सकें। सूर्य की UVB किरणों से बचाव के लिए हमें सही SPF वाला सनस्क्रीन चुनना चाहिए। SPF का अर्थ है सन प्रोटेक्शन फैक्टर। यह नंबर सूर्य की मात्र UVB किरणों से सुरक्षा का स्तर बताता है। बाजार में SPF 15, SPF 30, SPF 50, SPF100 उपलब्ध हैं लेकिन अधिक SPF वाला सनस्क्रीन कम SPF वाले सनस्क्रीन से बेहतर सुरक्षा की गारंटी नहीं देता।
इसे आप यूं बेहतर समझ सकती हैं।
हमारे लिए दोनों तरह की किरणों यानि UVB एवं UVA किरणों से सुरक्षा करना अति आवश्यक है क्योंकि इन दोनों से त्वचा की समय पूर्व एजिंग होने लगती है और त्वचा को क्षति पहुंचती है।
ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन इन दोनों तरह की किरणों से त्वचा का बचाव करता है। अतः अपने लिए हमेशा ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन चुनें। इस प्रकार ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन सूर्य से होने वाली क्षति और समय से पूर्व त्वचा की एजिंग से ही बचाव ही नहीं करता, वरन यह स्किन कैंसर से भी सुरक्षा प्रदान करता है ।
आपको अपनी त्वचा के अनुरूप सनस्क्रीन चुनना चाहिए जिससे आपका सनस्क्रीन आपको धूप के दुष्प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करने के साथ साथ आपकी स्किन संबंधित विभिन्न समस्याओं जैसे ऑयलीनेस, ड्राईनेस, सेंसिटिविटी को बेहतर ढंग से सुलझा सके। अतः सनस्क्रीन के पैकेट पर अवश्य देख लें कि वह किस स्किन टाइप के लिए है।
डॉक्टर अनीता विजय अपनी स्किन के अनुरूप सन स्क्रीन चुनने के लिए निम्न गाइड लाइंस दे रही हैं, जिनसे आपको अपनी स्किन टाइप के अनुकूल सन स्क्रीन चुनने में बहुत मदद मिलेगी।
यदि आप दिनभर बाहर धूप में रहती हैं, तो आपको मॉइश्चराइजिंग लोशन के बाद कम से कम 30 SPF या 50 SPF वाला ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन लोशन चेहरे पर लगाना चाहिए या ब्रॉड स्पेक्ट्रम, 30 SPF अथवा 50 SPF वाला मॉयश्चराइज़िंग लोशन लगाना चाहिए।
यदि आप धूप में बहुत कम निकलती हैं, और दिनभर ऑफिस या घर के भीतर रहती हैं, तो आप अपने चेहरे पर मॉयश्चराइज़र के बाद कम, मात्र 15 SPF वाला ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन अथवा ब्रॉड स्पेक्ट्रम, 15 SPF वाला मॉइश्चराइज़िंग लोशन लगा सकती हैं जिससे त्वचा को पर्याप्त नमी मिलने के साथ-साथ उसे धूप के नुकसान दाई प्रभावों से भी बचाया जा सके।
नॉर्मल स्किन न तो अधिक ऑइली होती है, नही अधिक ड्राई होती है। इसलिए आपको अपनी आवश्यकतानुसार ब्रॉड स्पेक्ट्रम 15, 30 या 50 SPF वाला मॉइश्चराइज़िंग लोशन चुनना चाहिए जो आपकी त्वचा को बिना अधिक ऑयली बनाए आवश्यक हाइड्रेशन प्रदान करेगा।
यदि आपकी स्किन ड्राई है तो आपको सनस्क्रीन क्रीम अथवा ऑइंटमेंट चुनना चाहिए जिसमें निम्न विशेषताएं हो।
ऑयली स्किन वाली महिलाओं को मैट फिनिश का वाटर बेस्ड अथवा जेल फार्मूला का मिनरल सनस्क्रीन चुनना चाहिए जिसमें ग्रीन टी, टी ट्री ऑयल आदि हों, जो त्वचा पर ऑयल के उत्पादन को नियंत्रित करते हैं। ध्यान दें आपकी सनस्क्रीन में निम्न विशेषताएं होनी चाहिए:
ऑइली स्किन वाली महिलाओं को सदैव ऑयल फ्री सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए
किसी भी तरह की फ्रेगरेंस स्किन को इरिटेट करती है। अतः फ्रेगरेंस फ्री सनस्क्रीन चुनें।
विशेषतया गर्मियों में आपका सनस्क्रीन वॉटर रेजिस्टेंट होना चाहिए क्योंकि इस मौसम में बहुत पसीने के कारण आपका सनस्क्रीन पसीने में धुल जाता है। जो महिलाएं शारीरिक व्यायाम अथवा स्विमिंग करती हैं, उन्हें भी वॉटर रेजिस्टेंट सनस्क्रीन खरीदना चाहिए क्योंकि इन शारीरिक गतिविधियों में पसीने की वजह से आपका सनस्क्रीन पसीने में धुल सकता है।
जो ऑयली स्किन वाली महिलाएं धूप में बाहर निकलती हैं, उन्हें 30 अथवा 50 SPF वाला ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन का उपयोग करना चाहिए। धूप में बहुत कम निकलने वाली और अधिकतर घर या ऑफिस में रहने वाली महिलाओं को 15 SPF वाला ब्रॉड स्पेक्ट्रम सन स्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।
यदि आपकी त्वचा ऑयली है तो हमेशा अपने स्क्रीन के पैकेट पर यह अवश्य देखें कि उस पर नॉन कॉमेडोजेनिक लिखा हो क्योंकि ऐसे ब्यूटी प्रोडक्ट्स आपके चेहरे के छिद्रों को अवरुद्ध नहीं करते।
ऑइली स्किन वाली महिलाओं को जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड युक्त सनस्क्रीन चुनना चाहिए।
प्रौढ़ उम्र में दाग-धब्बों, हाइपरपिगमेंटेशन, झुर्रियों और बारीक रेखाओं से भरी त्वचा के लिए आपको अपनी आवश्यकतानुसार ब्रॉड स्पेक्ट्रम SPF 15, 30 या 50 वाला क्रीम बेस्ड सनस्क्रीन चुनना चाहिए।
ऐसी स्किन के लिए आपको ऐसा मिनरल और ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन चुनना चाहिए जिसमें जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड अवश्य हों। अपने लिए निम्न विशेषताओं युक्त सनस्क्रीन खरीदें।
ऐसी स्किन के लिए आवश्यकतानुसार लोशन अथवा जेल फार्मूला का ब्रॉड स्पेक्ट्रम 15, 30 या 50 SPF वाला मिनरल सनस्क्रीन चुनना चाहिए जो चेहरे के ऑयली हिस्सों के लिए हल्का हो, लेकिन ड्राई हिस्सों के लिए स्मूथ हो।
अपनी मुहांसों भरी त्वचा के लिए वॉटर बेस्ड, नॉन कॉमेडोजेनिक, जिंक ऑक्साइड एवं टाइटेनियम डाइऑक्साइड युक्त 15, 30 अथवा 50 SPF वाला ब्रॉड स्पेक्ट्रम मिनरल सनस्क्रीन लोशन चुनें।
यदि आप सुबह ही सुबह घर से बाहर धूप में निकलती हैं, तो आपको इसे अपने मॉर्निंग स्किन केयर रूटीन के अंतर्गत क्लीनिंग, टोनिंग, सीरम और मॉइश्चराइजर लगाने के बाद सनस्क्रीन को अवश्य लगाना चाहिए।
आपको अपने चेहरे एवं गर्दन के लिए लगभग आधा टीस्पून सनस्क्रीन लेना चाहिए।
अपने चेहरे एवं एक्सपोज़्ड हिस्सों पर घर से बाहर निकलने से 15 से 30 मिनट पहले इसे लगाना चाहिए।
नहीं, सनस्क्रीन का इस्तेमाल पूरे वर्ष हर मौसम में करना चाहिए। सर्दी या गर्मी जब भी आप धूप में समय बिताती हैं आपको सनस्क्रीन का उपयोग करना चाहिए। बारिश के मौसम में जब आसमान में बादल छाए हों, तब भी सनस्क्रीन का उपयोग करना ना भूलें क्योंकि सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें बादलों को भेदने की क्षमता रखती हैं जिससे बारिश के दिनों में भी ये त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं ।
हमारे लिप्स धूप के प्रति अत्यधिक सेंसीटिव होते हैं क्योंकि उनकी त्वचा चेहरे के अन्य हिस्सों के मुक़ाबले बहुत पतली और नाजुक होती है। SPF युक्त लिप बाम का उपयोग आपके होंठों को हायड्रेटेड करने एवं सूर्य की किरणों से होने वाली क्षति से बचाने का बेस्ट तरीका है।
सभी सौंदर्य विशेषज्ञ अलग अलग मॉइश्चराइजर और सन स्क्रीन इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं, लेकिन यदि आप किसी भी कारणवश सनस्क्रीन का उपयोग नहीं करना चाहतीं तो सन स्क्रीन बिलकुल उपयोग नहीं करने से SPF युक्त मॉइश्चराइजर का उपयोग करना बेहतर विकल्प है।
यदि आपको बहुत पसीना आता है या आप स्विमिंग करती हैं या शारीरिक व्यायाम जैसी गतिविधियां करती हैं तो अपने लिए वॉटर रेजिस्टेंट सनस्क्रीन खरीदें जो 40 या 80 मिनट के लिए गीली त्वचा का बचाव धूप से कर सकते हैं। पानी से निकलने के बाद अपना सन् स्क्रीन दोबारा लगाना चाहिए।
जिस दिन आपको किसी कारणवश पूरे मेकअप में घर के बाहर धूप में रहना है तो उस दिन आप चेहरे की क्लीनिंग, टोनिंग, सीरम के एप्लीकेशन के बाद अपनी स्किन टाइप के अनुकूल 30 अथवा 50 SPF वाला ब्रॉड स्पेक्ट्रम मॉइश्चराइज़िंग सनस्क्रीन लगाएं और इस पर मेकअप करें।
दोपहर में मेकअप के टचअप के लिए आप SPF- 30 अथवा SPF-50 वाला लूज़ पाउडर का इस्तेमाल कर सकती है।
सनस्क्रीन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, मिनरल एवं केमिकल सनस्क्रीन।
मिनरल सनस्क्रीन को फ़ीज़ीकल सनस्क्रीन भी कहा जाता है। चेहरे पर लगाए जाने के बाद मिनरल सनस्क्रीन चेहरे की ऊपरी सतह पर जमा हो जाता है और सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों को त्वचा से दूर डिफ़्लेक्ट कर देता है या बिखेर देता है। यह मुख्य रूप से जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड से बना होता है।
केमीकल सनस्क्रीन चेहरे पर लगाए जाने के बाद यूवी किरणों को सोख लेता है।
यह अनेक केमिकल्स जैसे ऑक्सीबेंजोन, ऐवोबेंज़ोन आदि से बने होते हैं।
जो महिलाएं केमीकल युक्त सनस्क्रीन का अपनी त्वचा पर इस्तेमाल नहीं करना चाहतीं, उन्हें मिनरल सनस्क्रीन का उपयोग करना चाहिए, लेकिन अपने तमाम फ़ायदों के बावजूद मिनरल सनस्क्रीन त्वचा पर एक सफ़ेद परत छोड़ देते हैं। ये केमिकल सनस्क्रीन की अपेक्षा तनिक चिपचिपे भी होते हैं। इन्हें केमीकल सनस्क्रीन की तुलना में बार बार लगाना पड़ता है।
सदैव प्रतिष्ठित ब्रांड का सनस्क्रीन खरीदें। यदि संभव हो तो अंतरराष्ट्रीय ब्रांड का सनस्क्रीन खरीदें।
ध्यान दें आपके सनस्क्रीन में PABA अथवा ऑक्सीबेंजोन कतई नहीं होना चाहिए। यह बेहद हानिकारक होते हैं जिनसे आपको एलर्जी हो सकती है।
जिंक ऑक्साइड एवं टाइटेनियम डाइऑक्साइड युक्त मिनरल सनस्क्रीन से रिऐक्शन की संभावना कम होती है।
यदि आप धूप में समय बिता रही हैं तो हर 2 घंटों के अंतराल पर चेहरे एवं एक्सपोज़्ड हिस्सों पर सनस्क्रीन लगाएं क्योंकि यह लगाए जाने के बाद मात्र 2 घंटे तक ऐक्टिव रहता है।
बाजार में अनेक सनस्क्रीन स्प्रे उपलब्ध हैं। यदि आप उनका उपयोग कर रही है तो उसका उपयोग आग या गर्म जगह पर ना करें क्योंकि यह ज्वलनशील होता है।
इसका उपयोग करते वक्त इसे चेहरे पर डायरेक्ट स्प्रे ना करें,। ऐसा करने से यह आपकी आंखों में जाकर उन्हें इरिटेट कर सकता है।
इसे सूंघना अवॉइड करें। इसे हथेली पर स्प्रे कर फिर चेहरे पर लगाएं।
आपके स्प्रे पर ‘नो रब’ लिखा होने के बावजूद आपको इसे अपने चेहरे पर कम से कम 10 सेकंड के लिए मलना चाहिए जिससे आपके चेहरे पर इसकी एकसार परत लग सके।
डॉ अनीता विजय कहती हैं, “अपनी स्किन टाइप के अनुरूप सनस्क्रीन का इस्तेमाल आपकी त्वचा को धूप से समय से पहले होने वाली एजिंग की कारगर रोकथाम करते हुए उसे स्वस्थ रखने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।” एक अध्ययन के अनुसार त्वचा की 90% एजिंग धूप के हानिकारक प्रभाव से होती है। अतः सनस्क्रीन को बेस्ट ऐंटी एजिंग क्रीम कहा जा सकता है।
आपको अपनी त्वचा पर इसका प्रभाव फौरन नहीं दिखेगा, लेकिन लंबी अवधि के पश्चात इसके फायदों को आप नकार नहीं पाएंगी। डॉक्टर अनीता विजय सभी उम्र की महिलाओं को इसे अपने मॉर्निंग स्किन केयर रूटीन में अपनी अवश्यकतानुसार 15, 30 या 50 SPF का वाला ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन अवश्य शामिल करने का परामर्श देती हैं।
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