सावन का पूरा महिना शिव भक्तों के लिए हर्षों उल्लास भरा होता है। इस महीने में शिवजी की भक्ति करने से सभी प्रकार के मनोकामना की पूर्ति होती है। अतः शिव भक्त अपने आराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के पूजन, व्रत एवं जलाभिषेक की विधि को अपनाते हैं।
इन्ही विधियों में से एक सोलह सोमवार व्रत रखने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। इस व्रत की शुरुआत सावन मास के पहले सोमवार से करने का विशेष महत्त्व माना जाता है। आइये जाने इस मान्यता से जुड़ी आस्था का क्या कारण है?
पुराणों के अनुसार स्वयं शिव जी ने नारद मुनि को सावन मास की महिमा की कथा सुनाया है। शिव जी ने बताया है कि उनके दाहिने नेत्र में सूर्य, बाएं नेत्र में चन्द्र और मध्य नेत्र में अग्नि का निवास है। सूर्य की राशि कर्क और चन्द्र की राशि सिंह है। अतः जब पृथ्वी पर सूर्य की गति कर्क से सिंह राशि की ओर होने का संयोग बनता है। उस समयावधि में पृथ्वी पर वर्षा होने से हरियाली छा जाती है और सभी जीव-जंतु तृप्त होते हैं। जिससे उनका मन अति प्रसन्न रहता है।
चूँकि ऐसा संयोग पृथ्वी पर सावन के महीने में होता है। इसी कारण शिव भक्त अपने आराध्य शिव जी से मनचाहा वर पाने के लिए व्रत एवं जलाभिषेक की विधि द्वारा पूजन करते हैं।
सावन के महीने में सूर्य का कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करने के दौरान पृथ्वी पर वाष्पीकरण ज्यादा होती है। जिसके कारण वर्षा अधिक होने पर अनेक प्रकार की वनस्पतियों से पृथ्वी समृद्ध हो जाती है। जिससे सभी प्रकार के जीव -जंतु का पालन पोषण होता है। गर्मी से राहत मिलती है एवं चारो और हरियाली छा जाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव जी ने सावन के महीने में हीं समुद्र मंथन से निकले विष को पीकर प्राणियों की रक्षा की थी।
इसके अतिरिक्त प्रचलित धार्मिक कथाओं के अनुसार देवी पार्वती शिव जी को पति रूप में पाने के लिए सावन के महीने में हीं घोर तपस्या की थी। फलस्वरूप भगवान शिव प्रसन्न होकर उन्हें जन्म – जन्मान्तर के लिए अपनी अर्धांगिनी स्वीकार कर लिए थे। तभी से कुमारी कन्याओं द्वारा मनचाहा वर पाने की इच्छा पूर्ति हेतु सावन के सोलह व्रत करने की प्रथा शुरू हो गई।
➡ व्रत करने के फायदे, सिर्फ धार्मिक नहीं वैज्ञानिक आधार पर भी होते हैं।
● कुमारी कन्याओं द्वारा इस व्रत को रखने से मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति है।
● विवाहित महिलाओं द्वारा इस व्रत को करने पर घर में सुख एवं समृधि आती है।
● पुरुषों द्वारा इस व्रत को करने से सामाजिक प्रतिष्ठा, आर्थिक लाभ एवं वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।
● सोलह सोमवार व्रत करने से मन की एकाग्रता में वृद्धि होती है। परीक्षा – प्रतियोगिता में सफलता मिलती है।
● सावन के महीने में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से मनसा, वाचा,कर्मणा तीनो प्रकार से हुए पापो से मुक्ति मिलती है। फलस्वरूप मन सात्विक हो जाता है।
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