भारतीय संस्कृति में व्रतों का बहुत महत्त्व है। सप्ताह के सात दिनों के व्रतों में भी सोमवार का व्रत काफी ख़ास है। जानिये इसके बारे में, विशेष कर सोलह सोमवार व्रत के विषय में, विस्तार से इस लेख में।
एक बार जब मैंने अपनी माँ से सोमवार के व्रत के बारे में पूछा तो उन्होनें बताया कि सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं।
जब मैंने उनसे सोलह सोमवार के व्रत की सारी बातें जाननी चाहीं तो उन्होनें कुछ इस तरह बताया:
वैसे तो सारे सोमवार की व्रत विधि एक सी ही है, फिर भी ,सोलह सोमवार जो श्रावण में रखे जाते हैं , उन्हें सूर्योदय से लेकर संध्याकाल तक किया जाता है। इसके बाद विधिवत शिव-पार्वती पूजन और सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए। जिसने व्रत को रखा हो, वो दिन में एक ही बार भोजन करता है। जो सोलह सोमवार का व्रत रखना चाहते हैं, वो सावन के पहले सोमवार से व्रत रखना शुरू करते हैं। इसके पूजन की विधि और सामग्री पर सम्पूर्ण जानकारी हमने नीचे दी है।
श्रवण मास में मंगलवार का दिन देवी पार्वती का दिन माना जाता है। कई भक्तगण सोमवार व्रत के साथ-साथ मंगलवार को देवी पार्वती की आराधना कर व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को गौरी-मंगल व्रत के नाम से जाना जाता है।
व्रत वाले दिन में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगाजल से पूजास्थल को अच्छी तरह से साफ कर लें। पूजा स्थान पर लाल वस्त्र बिछाकर शिव परिवार को वहाँ स्थापित कर लें। पूजा शुरू करते समय शिव परिवार को पंचामृत यानि दूध, दही, शहद, शक्कर, घी और गंगाजल मिलाकर स्नान करवाएँ। इसके बाद गंध, चन्दन, फूल, रोली, वस्त्र आदि अर्पित करें।
शिव भगवान को सफ़ेद फ़ूल, बेलपत्र, सफ़ेद वस्त्र और गणेश जी को सिंदूर, दूर्वा, गुड़ और पीले वस्त्र चढ़ाएं। भोग लगाने के लिए शिव जी के लिए सफ़ेद और गणेश जी के लिए पीले रंग के पकवानों और लड्डुओं का प्रबंध करना चाहिए। पूजा करने के लिए भगवान शिव और गणेश के स्त्रोतों, मंत्र और स्तुति से उनका स्वागत करें।
पूजन के पश्चात कथा अवश्य कहें और सुनें। सारी तैयारी के बाद पूजा शुरू करते समय सुगंधित धूप, घी व पाँच बत्तियों के दीप और कपूर से आरती करें। इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें।
एक बार सनत कुमारों ने भगवान शिव से उनसे सावन का महीना प्रिय होने का कारण जानना चाहा। भोले भण्डारी ने बताया कि देवी सती ने अपने पति को हर जन्म में पाने का प्रण कर रखा था। जब देवी सती ने अपने पिता के घर अपने पति का अपमान न सह पाने के कारण अपने शरीर का त्याग कर दिया था तो कुछ समय बाद उन्होनें राजा हिमाचल और उनकी पत्नी मैना देवी के घर जन्म लिया।
इस जन्म में उनका नाम पार्वती था। अपने पूर्व जन्म के प्रण के कारण उन्होने इस जन्म में भी भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए बहुत कठोर तपस्या करी। उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उनका पार्वती जी से विवाह के लिए स्वीकृति दे दी। इस प्रकार पार्वती जी का शिव जी को हर जन्म में अपना पति के रूप में पाने का प्रण पूरा हुआ।
इसीलिए, विशेषकर कुँवारी लड़कियां मनचाहा पति पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत जरूर करती हैं।
सोलह सोमवार व्रत करने से शिव-पार्वती की अनुकंपा हमारे परिवार पर हमेशा बनी रहती है और जीवन धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है। माँ की बताई इन बातों को जान सोलह सोमवार व्रत को लेकर मेरे मन में जो जिज्ञासा थी, वो शांत हो गयी। इस बार सावन में मैं माँ के कहे अनुसार विधिवत रूप से सोलह सोमवार व्रत करूंगी। आशा करती हूँ कि भोले भण्डारी मेरी सभी इच्छाएँ पूर्ण करेंगे।
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Kya Mai nawratri me solah somwar ke wart ki suruwat kar sakti hu. ..
Kya Mai nawratri me solah somwar ki suruwat kar sakti hu. ..
Kya Mai nawratri me solah somwar ki suruwat kar sakti hu. ..
Pure jankare nhi hai
16 सोमवार के व्रत में कथा सुबह पूजा करते वक़्त करना होता है या शाम क वक़्त करना होता है? सुबह और शाम क पूजा में क्या क्या करना होता है विस्तार में बताए।
Shravan mahine me solah somwar start kia hai 7 ya 8 somwar baad hamare pariwar me delhivery hone wali hai to upwas cinrinue kar sakte hai ya khandit ho jainge
Kya periods m b solah sombar continoue krne pdte h ya chodne chahie