बर्तन धोने के लिए पुराने समय में जहाँ राख, डिटर्जेंट या देसी साबुन का इस्तेमाल होता था, वहीं अब डिश वॉशिंग बार और लिक्विड प्रचलन में हैं। लेकिन अक्सर हमारे मन में यह सवाल उठता है कि हमारे लिए डिश वॉशिंग बार ज़्यादा सही रहेगा या लिक्विड। तो चलिए इस दुविधा को दूर करने की कोशिश करते हैं।
बर्तन धोने के साबुन या तो पैक बार या टब में मिलते हैं। आजकल ये काफ़ी इस्तेमाल होते हैं।
कम क़ीमत – बर्तन धोने के साबुन किफ़ायती होते हैं। ये छोटे, मध्यम और बड़े साइज़ में उपलब्ध हैं, इसलिए आप अपनी आवश्यकतानुसार साइज़ चुन सकते हैं। इनकी क़ीमत ब्रांड और साइज़ पर निर्भर है। ये आपको 5 रुपये से 50 रुपये की क़ीमत में मिल सकते हैं। किफ़ायती होने के कारण इनके इस्तेमाल से आपका बजट बिलकुल भी नहीं बिगड़ेगा।
सहजता से उपलब्ध – चाहे आप शहर में रह रहे हों या ग्रामीण क्षेत्र में, बर्तन धोने के साबुन हर जगह आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। आप चाहे देश के किसी भी कोने में हों, ये साबुन आपको आस-पास की राशन की दुकान पर मिल ही जाएँगे। ये ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं।
खपत – डिशवॉशिंग बार का ये भी फ़ायदा है कि इनकी खपत की रफ़्तार कम है, इसलिए ये कम बर्बाद होते हैं। आप आसानी से स्क्रब पैड में उतना ही साबुन लगाते हैं जितनी ज़रूरत है, बाक़ी का साबुन अगली बार इस्तेमाल के लिए बचा रहता है।
घुलने से साबुन की बर्बादी – बर्तन धोने के दौरान और सिंक के पास रखा होने के कारण डिशवॉशिंग बार लगातार पानी के संपर्क में रहता है जिससे यह घुलकर बर्बाद होता रहता है। घुलने से बचाने के लिए आपको हमेशा इसे पानी से बचाकर रखने की कोशिश करते रहना होता है।
हाथों की स्किन ख़राब होना – कई बार बर्तन धोने के साबुन के कारण हाथों की त्वचा रूखी और ख़राब होने लगती हैं। स्किन पर हो रहे बुरे प्रभाव से बचने के लिए आपको दस्ताने पहनकर डिशवॉशर बार का इस्तेमाल करना चाहिए।
बैक्टीरीया – डिशवॉशर बार के साथ सबसे बड़ी परेशानी यह है कि साबुन में बचे पानी, खाने के अवशेष, ऑयल, और गंदगी के कारण इसकी सतह पर बैक्टीरीया पनपने लगते हैं।
काँच के बर्तन पर निशान – ज़्यादातर डिशवॉशिंग बार खुरदरे होते हैं। इसलिए जब आप अपने नाज़ुक क्रॉकरी और काँच के बर्तन साफ़ करते हैं तो उनपर स्क्रैचेज़ आ सकते हैं।
जर्म्स नहीं पनपते – जहाँ डिश्वॉशर बार में एक बार इस्तेमाल के बाद जर्म्स पनपने लगते हैं, वहीं डिशवॉशिंग लिक्विड में जर्म्स नहीं पनपते हैं। इसलिए कीटाणु के कारण किसी भी तरह के संक्रमण का ख़तरा नहीं है।
स्किन के लिए सुरक्षित – ज़्यादातर डिशवॉशर लिक्विड माइल्ड होते हैं और स्किन को बिलकुल नुक़सान नहीं पहुँचाते। इसलिए इनके इस्तेमाल से आपके हाथ ख़राब नहीं होते।
अच्छी झाग – डिशवॉशर लिक्विड की एक-दो बूँद से ही काफ़ी सारा झाग बन जाता है जिससे कई बर्तन साफ़ हो जाते हैं। इसलिए लिक्विड की बर्बादी कम होती है और स्क्रब में बार-बार क्लीनर लगाने का झंझट भी नहीं होता।
इस्तेमाल में आसान – लिक्विड डिशवॉशर साबुन की तुलना में इस्तेमाल के लिए आसान है और इसके इस्तेमाल से आसपास ज़्यादा गंदगी भी नहीं फैलती।
महँगा – डिशवॉशिंग बार की तुलना में डिशवॉशिंग लिक्विड ज़्यादा महँगा होता है। वैसे तो इसका इस्तेमाल ज़्यादा लंबे समय तक करना संभव है लेकिन यह बार से कम-से-कम दो-तीन गुना महँगा पड़ता है।
उपलब्धता – डिशवॉशिंग बार की तुलना में लिक्विड की उपलब्धता कम है। शहरी क्षेत्रों में तो यह आसानी से मिल जाता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं मिल पाता है।
आप अपने बजट और ज़रूरत के अनुसार बार या लिक्विड का चयन कर सकते हैं।
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