कोरोना संक्रमण के इस काल में आपने एक बात सबसे ज्यादा सुनी होगी और वह यह है कि बार-बार अपने हाथ साबुन से धोएं, ताकि कोरोना सा बचा जा सके। यूं भी साबुन के इस्तेमाल का मुख्य उद्देश्य त्वचा से गंदगी निकालना, मृत त्वचा को हटाना और त्वचा के अतिरिक्त तेल दूर करना है लेकिन इसी के साथ हमें एक बात और ध्यान रखनी है और वह यह है कि साबुन में मौजूद कठोर कैमिकल्स से हमारी त्वचा को नुकसान न पहुंचाएं। अगर आपने कुछ खास बातों को ध्यान में रखकर अच्छी गुणवत्ता के साबुन का चुनाव नहीं किया तो यह आपको ताजगी और निखार की बजाय बहुत सी परेशानियां दे सकता है। जानते हैं कि साबुन कैसे पहुंचाता है त्वचा को नुकसान और कैसे बचा जाए इससे…
साबुन या किसी भी फेशियल क्लींजर इस तरह से बनाए जाते हैं कि वे गंदगी, पसीना और तेल साफ कर सकें। ऐसा वे सर्फेक्टेंट्स (surfactants) की मदद से कर पाते हैं। सर्फेक्टेंट्स वो रसायनिक एजेंट्स होते हैं, जो गंदगी और तेल के चारों ओर एक परत बना लेते हैं और उन्हें अपने में घोल लेते हैं। इसके बाद पानी के लिए इन्हें साफ करना आसान हो जाता है। इसके अलावा वे त्वचा की सबसे बाहरी परत एपिडर्मिस से भी मृत कोशिकाओं को हटाने की प्राकृतिक प्रक्रिया को भी बढ़ावा देते हैं।
ये सर्फेक्टेंट्स विभिन्न तरह से काम करते हैं, जैसे डिटर्जेंट्स, फोमिंग एजेंट्स, कंडीशनिंग एजेंट्स आदि। त्वचा पर सर्फेक्टेंट्स का काम उसे साफ करना और तरो-ताजा बनाए रखना है लेकिन ऐसा हर बार नहीं हो पाता। कुछ सर्फेक्टेंट्स एपिडर्मिस पर बुरा प्रभाव डालते हैं और न केवल रूखेपन और ललाई और खुजली को बढ़ावा देते हैं बल्कि त्वचा की सुरक्षात्मक परत को भी भेद डालते हैं। ऐसा होने से टॉक्सिंस, बैक्टीरिया और दूसरी अस्वास्थ्यप्रद चीजों के लिए शरीर के भीतर प्रवेश करना आसान हो जाता है।
ट्राईक्लोसन ज्यादातर लिक्विड एंटीबैक्टीरियल साबुन में पाया जाता है, वहीं ट्राईक्लोकार्बन ज्यादातर एंटीबैक्टीरियल और डियोडरेंट साबुन की टिकिया में इस्तेमाल होता है। ये दोनों साबुन के जरिए त्वचा में अवशोषित हो जाते हैं। कुछ शोध में यह भी पाया है कि अगर स्तनपान कराने वाली मां ऐसे साबुन को इस्तेमाल करती है, जिसमें ये दोनों हों तो ये मां के दूध तक भी पहुंच जाते हैं। अमरीका की एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी ने इन दोनों रसायनों को पेस्टीसाइड्स के रूप में दर्ज किया है। इनके इस्तेमाल से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं जैसे कैंसर, हर्मोन और तंत्रिका तंत्र संबंधी डिस्ऑर्डर्स हो सकते हैं। ये शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र को भी कमजोर करते हैं। इसलिए अगली बार साबुन खरीदने से पहले इन दोनों तत्वों की मौजूदगी जरूर जांच लें।
साबुन आपकी त्वचा को नुकसान न पहुंचाए, इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी त्वचा के प्रकार के हिसाब से साबुन चुनें…
अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो ऐसा साबुन चुनें जिसमें सी सॉल्ट, ओटमील, ब्राउन शुगर या पीच पिट्स हों। ये आपकी त्वचा से अतिरिक्त तेल निकालने में मदद करेंगे।
ऐसी त्वचा वालों के लिए साबुन में मॉइश्चराइजिंग प्रॉपर्टीज होना जरूरी है। इसके लिए डव और पीयर्स जैसे ग्लिसरीन या मॉइश्चराइजर युक्त साबुन बढिय़ा रहेंगे। इसके अलावा ऐसे साबुन चुनें, जिनमें वेजिटेबल ऑयल्स, कोकोआ बटर, एलोवीरा, कोकोनट ऑयल, जोजोबा ऑयल या एवोकाडो हों।
संवेदनशील त्वचा वालों के लिए मार्केट में ढेरों साबुन उपलब्ध हैं। बस ऐसा साबुन चुनें, जिसका पीएच स्तर संतुलित हो, जिमें कोई रंजक(डाई) या परफ्यूम न हो।
बेस्ट साबुन ब्रांड: आप अपने लिए इनमें से कोई एक साबुन चुन सकती हैं।
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