रात को सोते समय करवट बदलते रहने की आदत को शायरों और कवियों ने वैसे तो इश्क और प्रेम से जोड़ कर एक रूमानी टच दे दिया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि यदि सोते समय आपकी करवट सही नहीं है तो निश्चय ही नींद अच्छी नहीं आ सकती है।
बहुत से लोग यह मानते हैं कि सोते समय किसी भी करवट सो जाएँ , कोई अंतर नहीं पड़ता है, जबकि यह सत्य नहीं है। आयुर्वेद से लेकर आधुनिक चिकित्सक तक इस बात पर एकमत से सहमत हैं कि सोते समय हमेशा बायीं करवट से ही सोना चाहिए।
अगर आपको इस तथ्य पर यकीन न हो तो इस संबंध में दिये जाने वाले प्रमाण देख लें जो इस तरह हैं:
हर व्यक्ति अपने दिल का जागते समय तो खयाल रख लेता है, लेकिन सोते समय भी इस दिल का ख्याल रखना जरूरी है, यह शायद हम भूल जाते हैं। दरअ
सल सीधे लेट कर या पेट के बल लेट कर सोने से दिल कि मांसपेशियों पर जरूरत से ज्यादा ज़ोर पड़ता है। इसलिए चिकित्सकों का यह कहना है की सोते समय आप जितना हो सके बाएँ करवट की ओर ही लेट कर सोएँ।
इस करवट लेट कर सोने से न केवल मांसपेशियों पर ज़ोर नहीं पड़ता है बल्कि दिल और शेष शरीर में रक्त का आवागमन भी सरलता से और बिना रुकावट के होता रहता है। बाईं ओर लेटने पर हृदय की सबसे बड़ी मांसपेशी एरोटा में रक्त का संचार बहुत अच्छी तरह से हो जाता है जिससे हमारे हृदय का स्वास्थय ठीक रहता है।
कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति का पेट न भरे, ज्यादा भर जाये या खाली रह जाये, तब भी नींद नहीं आती है। इसलिए अगर इनमें से कोई समस्या नहीं है तब आप निश्चिंत होकर बाईं ओर लेट जाएँ, तब भी आपका पेट आपको चैन से सोने में मदद ही करेगा। दरअसल खाना खाने के बाद हमारा पचा हुआ भोजन बड़ी आंत से अवशिष्ट के रूप में छोटी आंत में चला जाता है।
छोटी आंत शरीर के बाईं ओर होती है। सोते समय बायीं ओर लेटने से छोटी आंत में पड़ा अवशिष्ट सरलता से शरीर से बाहर निकलने के लिए गुदा मार्ग में आ जाता है। इसलिए अगर भोजन करने के बाद उसके अवशेष को बाहर का रास्ता दिखाना हो तो बाईं करवट ही लेटें।
शरीर में लीवर और किडनी को तब परेशानी होती है जब शरीर में टॉक्सिन बाहर न निकल कर अंदर ही रह जाते हैं। उस समय एसिडिटी या पेट फूलने की परेशानी हो सकती है। लेकिन अगर आप बायीं करवट लेकर सोते हैं तब शरीर में किसी भी प्रकार के टॉक्सिन जमा नहीं होते हैं । इससे लीवर और किडनी पर किसी प्रकार का अनावश्यक भार नहीं पड़ता है।
शरीर में स्प्लीन या जिसे हिन्दी में तिल्ली भी कहते हैं वास्तव में भोजन को पचाने में सहायता करता है। इसमें से निकालने वाला रस अमाशय ग्रंथियों को वह शक्ति प्रदान करता है जिससे भोजन को पचने में सहायता होती है।
जब आप बाएँ ओर लेट कर सोते हैं तब इसमें से प्रवाहित होने वाला रक्त और रस दोनों ही सरलता से अपना कम कर सकते हैं। इससे न केवल खाना पचने में सरलता होती है बल्कि शरीर में साफ रक्त का संचार भी अच्छी तरह से होता है।
कहते हैं कि नींद में अगर खर्राटे आते हैं तो व्यक्ति की नींद न तो पूरी होती है और न ही शांत होती है। इसलिए अगर आपको बिना खर्राटे की नींद लेनी हो तब आपको बाईं ओर की करवट लेकर ही सोना चाहिए। दरअसल जब आप सोते समय बाईं ओर करवट लेकर सोते हैं तब हृदय से मस्तिक्ष्क की ओर रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से होता है।
इससे मस्तिष्क स्वस्थ और रोग मुक्त रहता है। इसके अलावा बाएँ ओर लेटने से ज़ुबान और गला एक ही दिशा और सीध में होने के कारण सांस लेने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। इसी कारण से सोते समय खर्राटे भी नहीं आते हैं।
गर्भवती महिला को तो विशेष रूप से बाईं ओर करवट लेकर सोने की ही सलाह दी जाती है। इसका मुख्य कारण है कि गर्भाशय के बाईं ओर होने के कारण गर्भस्थ शिशु को रक्त का संचार भी तभी सही रहता है जब माँ सोते समय बाईं ओर लेटती है। इसलिए गर्भवती महिला को गर्भस्थ शिशु के स्वास्थय की दृष्टि से भी बाईं ओर लेटने की ही सलाह दी जाती है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि सोते समय बाईं ओर लेटने की सलाह देने वाला आपका सबसे बड़ा हितैषी ही होगा। उसकी इस सलाह को भ्रम मानकर सोते समय बाईं करवट न लेने की गलती न करें।
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