ज्यादातर लोग ऐसा मानते हैं कि श्रावण माह में सिर्फ मांसाहारी खाद्य पदार्थ को त्यागना होता है और हर प्रकार का शाकाहारी भोजन का सेवन किया जा सकता है। लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि कुछ ऐसे शाकाहारी खाद्य पदार्थ भी हैं जिनका सेवन सावन महीने में वर्जित माना गया है।
धार्मिक मान्यताओं के चलते ऐसा माना जाता है कि कुछ शाकाहारी खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जिनका परहेज इस महीने में अत्यंत आवश्यक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन सब चीजों को इस महीने में खाने से अनिष्ट होने की संभावना रहती है। इसके पीछे कई वैज्ञानिक तर्क भी दिए जाते हैं।
तो चलिए जानते हैं, कुछ ऐसे ही पदार्थों के बारे में और उनके वर्जित होने के कारणों के बारे में भी।
1. हरी पत्तेदार सब्जियां
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के माह में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन नहीं किया जाना चाहिए। इस तथ्य के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि इन दिनों बारिश के कारण सब्जियों में छोटे-छोटे कीड़े लग जाते हैं।
इनका रंग ज्यादातर हरा होता है और इसी वजह से कई बार वो सब्जी के साथ मिल जाते हैं। इसलिए इस समय पत्तेदार सब्जियां खाने से हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ने लगता है।
नोट: ध्यान रखिए कि यहाँ दी हुई कई बातों का हूबहू 21वीं शताब्दी में मानना शायद अजीब होगा। अगर आप पूर्ण रूप से हरी सब्जी के विषय में आश्वस्त हैं, तो आप निःसंकोच खा सकती हैं।
पुराने समय में लोगों को समझाने के लिए पंडित और ब्राह्मण कई बातों को धर्म का चोला पहना देते थे। वैज्ञानिक तर्क लोग माने न माने, पर धर्म का वास्ता देने पर वो मान जाते थे!
2. बैंगन
सावन के इस पवित्र महीने में बैगन का सेवन नहीं किया जाना चाहिए, इसे अशुद्ध माना गया है। इसका कारण यह है कि बारिश के दिनों में बैगन में कीड़े सामान्य दिनों की तुलना में अधिक लगते हैं। कुछ लोग तो देवशयनी एकादशी के बाद से ही बैंगन का सेवन बंद करते है।
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3. दूध
दूध का सेवन सावन महीने में अच्छा नहीं माना जाता है। बरसात के दिनों में, विशेषकर श्रावण के महीने में, दूध और दही या दूध से बनी चीजों के सेवन से शरीर में वात की समस्या बढ़ जाती है। इस दौरान दूध या दूध से बनी चीज़ें जैसे दही और पनीर के सेवन से उल्टी, दस्त, पेट में ऐंठन जैसे समस्याएँ भी होने की संभावना रहती है। इसलिए इस महीने इन चीजों को त्यागकर इसे भगवान को समर्पित कर देना चाहिए। यही कारण है कि सावन के महीने में शिव जी की आराधना दूध अभिषेक द्वारा की जाती है।
4. कढ़ी
सावन में कढ़ी खाने की भी मनाही होती है। इसका कारण यह है कि कढ़ी में दूध से बनी छाछ का प्रयोग तो होता ही है, साथ ही इसमें प्याज का इस्तेमाल भी होता है।
तो इस बार श्रावण में व्रत रखने के साथ-साथ ऊपर बताये गए खाद्य पदार्थों के सेवन से भी बचें और अपने शरीर को स्वस्थ रखें।
अस्वीकरण: इस लेख में दी गयी जानकारी भारतीय समाज और संस्कृति से जुड़ी मान्यताओं और विश्वाश पर आधारित। दसबस डॉट कॉम इन सभी बातों की पुष्टि नहीं कर सकता।
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