धर्म और संस्कृति

युवतियों की अविवाहित रहने की मानसिकता – कितनी उचित?

मेरी बड़ी बहन ने  कल ही मुझे अपनी कॉरपोरेट सेक्टर में कार्यरत, उच्च शिक्षित 30 साल की बेटी को  विवाह करने के लिए मनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी।

मेरे उसे शीघ्र विवाह करने के लिए कहने पर उसने जवाब दिया, “अरे मौसी, क्यों  मेरे पंख कतरने की तैयारी कर रही हो? अभी तो मैं अपनी उड़ान को शिद्दत से एन्जॉय कर रही हूँ। एकाध  प्रमोशन मिल जाए, मोटा बैंक बैलेंस बन जाए और मेरे ड्रीम बॉय का अतापता मिले  तब तो शादी  की सोचूं। अभी फिलहाल शादी दूर दूर तक मेरे एजेंडे  में नहीं है।मम्मा को समझाएं,  मेरी शादी की चिंता छोड़ें। मैं बिना शादी के ही बहुत खुश हूं।”

भांजी की यह बातें सुन जेहन में एक घंटी बजी थी। अपने परिचय क्षेत्र एवं रिश्तेदारी में कई 25-30 साल की उच्च शिक्षित, नौकरीयाफ़्ता युवतियों एवं उनके चिंतित माता-पिता के चेहरे मेरी आंखों के सामने आ गए। मैं सोच में पड़ गई, आखिर क्यों आजकल की युवतियां विवाह बंधन में बंधने के लिए आसानी से  तैयार नहीं होतीं? तनिक और सोचने पर इन उच्च शिक्षित युवतियों  की आर्थिक स्वतंत्रता ही मुझे उनके इस नजरिए की जिम्मेवार लगी।

महिलाओं में शिक्षा का प्रसार

वर्तमान में नगरीय भारत में 74.8 प्रतिशत महिलाएं शिक्षित हैं। शिक्षा के प्रसार के कारण आज की युवतियां हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं।

ऐसा कोई भी कार्य क्षेत्र नहीं है जो उन से अछूता रहा हो। अतः आज की महिलाएं समाज की आर्थिक रूप से स्वतंत्र आत्मनिर्भर इकाई के रूप में उभरी हैं। वे अब पुरुष पर किसी भी कारण से निर्भर नहीं है।

आर्थिक स्वतंत्रता

अपनी आर्थिक स्वतंत्रता के मद्देनजर आज विवाहित महिलाओं की तुलना में सिंगल महिलाओं के अनुपात में आशातीत रूप से वृद्धि हुई है।  2011 में हुई पिछली जनगणना के अनुसार सिंगल महिलाओं की संख्या में पूर्व मत गणना की अपेक्षा 39 प्रतिशत का इजाफा हुआ है जो वक्त के साथ निरंतर बढ़ता ही जा रहा है।

वर्तमान परिदृश्य में  विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्र उन्हें बेहतरीन अवसर प्रदान कर रहे हैं। आजकल बिजनेस सेक्टर सिंगल महिलाओं को अपनी ओर आकर्षित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहा।

बैंक उन्हें उनके लिए अपनी विशिष्ट ऋण योजनाएं जैसे महिला गोल्ड, वनिता वहन और नारी शक्ति आदि जैसी योजनाओं के रूप में  उन्हें अपनी विशेष सेवाएं दे रहे हैं। जिससे वे  कम ब्याज दरों पर स्वर्ण, वाहन एवं आवास खरीद सकें एवं अपना उद्यम शुरू कर सकें।

आज के अचल संपत्ति बाजार के लिए सिंगल महिलाओं का वर्ग उभरता  हुआ नया वर्ग है जिसमें उन्हें असीमित संभावनाएं दिख रही हैं। हैदराबाद मुंबई और बेंगलुरु की पॉश  कॉलोनियों में अनेक प्रतिष्ठित हाउसिंग सोसाइटीज सिंगल महिलाओं की आवश्यकताओं के  अनुरूप फ्लैट्स का निर्माण कर रही हैं। उनके सिंगल दर्जे की वजह से किराए के मकानों की उपलब्धता की परेशानी समय के साथ बढ़ने के स्थान पर घटी हैं।

महिला शिक्षा के व्यापक प्रसार के फलस्वरूप उनके रोजगार के अवसर आशातीत रूप से बढ़े हैं। इस प्रकार उनकी रोटी कपड़ा और मकान की  मूलभूत आवश्यकताएं भली भांति पूरी हो रही हैं और आज के समाज में उनका  सरवाइवल दिनोंदिन सहज होता जा रहा है।

न केवल सरवाइवल, वरन आज वे अपनी आर्थिक स्वतंत्रता के चलते अपनी जिंदगी को भरपूर एन्जॉय भी कर रही हैं। रेस्त्रां, बार, टूरिस्ट स्पॉट्स, विदेश यात्राएं करते हुए उन्हें सहज ही देखा जा सकता है। यथेष्ठ पैसे के दम पर आज लगभग पूरी दुनिया उनकी मुट्ठी में है।

आज की युवती किसी पुरुष की मोहताज नहीं

आज की सिंगल महिलाएं स्वनिर्णायक हैं। वे जीवन संबंधित बड़े फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं और इस प्रकार अपने जीवन पर उनका पूरा पूरा नियंत्रण है। आज समाज की परंपरावादी सोच में बहुत परिवर्तन आया है कि एक लड़की के जीवन की सार्थकता महज़ उसके विवाहित होने में है। आज के माता-पिता अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा दिलवा रहे हैं। उच्च शिक्षा एवं अच्छी नौकरी लगने पर उन्हें अपने से दूर दूसरे शहरों, महानगरों यहां तक कि विदेश भेजने से भी गुरेज़ नहीं करते।

विवाह जीवन का एक  खूबसूरत पड़ाव है, लेकिन अपने साथ अनेक जिम्मेदारियों का बोझ  लेकर आता है। वैवाहिक बंधन के साथ अनेक नए रिश्ते निभाने का गंभीर दायित्व जुड़ा होता है। आज की युवा महिला की  जल्दी से  विवाह न करने की मानसिकता की जड़ में कुछ हद तक इन जिम्मेदारियों से खौफ भी है।

लिविंग इन को मिली कानूनी मुहर

आर्थिक स्वतंत्रता ने  उन्हें अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीने की आजादी दी है। कानूनी मान्यता मिलने के बाद से गंभीर  प्रतिबद्धता विहीन लिविंग इन उन्हें विवाह की अपेक्षाकृत फायदे का सौदा लगता है जिसके कारण महानगरों में लिविंग इन करने वाली युवतियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही ।

प्रजनन में नई तकनीकें

विवाह न करने की मानसिकता वाली महिलाएं आज उन्नत वैज्ञानिक तकनीकी द्वारा संतान सुख भी उठा रही है। जिससे विवाह का संतान उत्पत्ति का मुख्य उद्देश्य ही अमान्य हो जाता है। विवाह द्वारा संसार की निरंतरता कायम होने की दलीलें देते हुए विवाह की अनिवार्यता की वकालत करने वालों  की यह सोच कृत्रिम गर्भाधान, सरोगेसी जैसी तकनीकों के संदर्भ में आज अशक्त  हो उठी हैं।

निष्कर्ष

अतः अंत में यही निष्कर्ष निकलता है कि आज की युवती विवाह करे या न करे, यह उसकी चॉइस होनी चाहिए। किसी भी और व्यक्ति की नहीं।

मेरी निजी राय:

यहां युवतियों  को यह याद रखना चाहिए कि विवाह जिंदगी का एक बेहद खूबसूरत मील के पत्थर से कम नहीं। विवाह हमारी जिंदगी को प्रेम, लगाव, समर्पण, साहचर्य जैसे इंद्रधनुषी एहसासों से सजाता है। युवतियों को विवाह न करने का निर्णय लेने से पहले यह बात अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए कि बिना विवाह के वे जिंदगी के सभी रंगों का एहसास करने से, जिंदगी की सतरंगी सम्पूर्णता का अनुभव करने से वंचित रहेंगी। अतः उन्हें अपने अनुकूल मनपसंद जीवनसाथी मिलने पर विवाह बंधन में अवश्य बंधना चाहिए। तभी उनका जीवन सार्थकता की खुशबू से लबरेज़ हो संपूर्णता की राह पर अपनी महक बिखेरेगा ।

Renu Gupta

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  • Shaadi ek sunder ehsas hai aaj ki yuvatiyon ko jarur karna chahiye aur honestly nibhana bhi chahiye hame kya mila yeh nahi sochana chahiye ham kya de rahe hain yeh sochana chahiye

    • Shadi ek responsblity h apne parents ko keval ladkiyon ko hi chodna padta h shadi ke baad apne parents se milnw ke liye doosron ki petmission lena not happning shadi bahut hi ektarfa fayda h agar girls financialy strong h to shadi soch samajh kar hi karen

      • Very nice i think sadi bhot jyda soch smjkr single rhne wale ldke se krni chiye... Maine joined family me sadi kr li life nark ho gyi meri saas ne jeena muskil kr diya hai

      • I totally agree ......sirf girls ko hi apne sapne kurban krna padta h.....sare adjustment...expectation sb unhi ke liye....jb tk puri tarah sure na ho ladke ke liye .....bilkul na kre shadi

  • शादी को लेकर मेरा एक अलग अनुभव है। मैने किसी भी विवाहित को कभी खुश नही सुना और न ही देखा। मेरे सभी विवाहित मित्र और रिश्तेदारों ने शादी के कुछ समय बाद ही मुझे राय दी कि हमसे जो गलती हुई है इसको तुम मत दोहराना। शादी केवल अपनी जिंदगी को बर्बाद कर लेना है क्योकि फिर अपनी जिंदगी के कोई मायने नहीं रहते। सब कुछ सिर्फ औरो के लिए हो जाता है और तब भी हम किसी को जीवन भर संतुष्ट नहीं कर पाते। यह मेरी व्यक्तिगत राय नहीं उन्ही विवाहित लोगो की राय है। इसलिए इस बारे में कृपया मुझे किसी प्रकार की टिप्पणी न करे। मुझे स्वयं लगता था कि विवाह एक सुखद अनुभूति है , किन्तु अब मेरी राय बदल चुकी है।

    • Main bilkul aapse sahmat hun rashmi mujhe kabhi meri shaddi main wo ehsas nahi mile jinka upar ki kuch tiipani me warnan Kia gya hai main shaddi na karne ke vichar se sahmat hu shaddi ek aatmnirbhar yuvti ke jeevan ko ek jail ke kaidi sa bana deta hai jiske upar hazar bndishe hazr bebuniya ilzaam lagakar apne pairon ki jooti banne ki bharsak koshish ki jati hai

  • आजकल विवाह में धोखाधड़ी और विवाह की असफलता, स्त्रियों पर अत्याचार की बढ़ती घटनाएं, अत्यधिक दहेज लोलुपता आदि घटनाओं का परिणाम है कि विवाह से युवा पीढ़ी का विश्वास उठता जा रहा है।शादी एक जुआ है और जुआ खेलना सदैव श्रेयस्कर नहीं होता है।

  • Ajkl jaha girls economically independent hui h,,,lekin males ghar ki koi b jimmedari nhi lete,,,ghar ka kaam chahe khana bnana,bartan saf krna,,kpde dhoma or sabse bda bcho ki dekhbal aj b sirf girls ki 100 percent jimmedari bnayi jati h or sath me bahar k kaam b jaise market se saman lana or bank etc k kaam b girls pr thop diye jate h ,,,ye bolker ki pdhi likhi ho ,,itna b nhi kr skti...to kya jrurt h ek male partner ki jb sab kuch khud hi krna h or fir sasural k sare parivar ki b jimmedari uthao,,,aj b society me kitne percent males apni wife ki domestic kamo me help krte ???? I think not more than 1% ....Bhuktbhogi hu m

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