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सर्प/नाग/साँप से जुड़े हिन्दू समाज के विभिन्न विश्वास और धारणाएं

साँप का नाम सुनते ही हमारे मन में डर की भावना उत्पन्न होने लगती है। सर्प एक विषैला प्राणी है। और यही कारण है कि लोग साँप से भयभीत रहते हैं। वैसे अगर साँप से एक निश्चित दूरी बनाकर रहा जाए तो वह आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। लेकिन हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां अंधविश्वास का गहरा कोहरा छाया रहता है।

और इस अंधविश्वास को बढ़ावा देती हैं, सदियों से चली हमारी सामाजिक प्रथाएँ। यहाँ आज हम इस लेख में कुछ ऐसी ही धारणाओं का खंडन करने जा रहे है जो एक अंधविश्वास है। सर्पों के विषय में कुछ वैज्ञानिक तथ्यों को जानकार इस अंधकार और अंधविश्वास को दूर हटाया जा सकता है।

हम सब जानते हैं कि लोग अपनी आस्था के कारण नाग पंचमी के दिन साँपों को दूध पिलाते हैं। और लगभग सभी लोग इस मान्यता को मानते हैं। हमें इस बात को जान लेना चाहिए कि ऐसा करना साक्षात साँप की हत्या करने जैसा कृत्य है।

क्योंकि साँप पूरी तरह से मांसाहारी जीव है। साँप प्रायः मेंढक, पक्षियों के अंडे, और छोटे-छोटे प्राणियों को अपना भोजन बनाता है। दूध तो उनका प्राकृतिक भोजन है ही नहीं।  

यदि उन्हें ज़बरदस्ती दूध पिलाया जाए, तो यह दूध उनके फेफड़ों के अंदर चला जाता है। जिसके कारण उन्हें निमोनिया होने का खतरा पैदा हो जाता है। इस वजह से कई साँप मर भी जाते हैं। अतः अंधविश्वास के चलते हमें साँपों को दूध नहीं पिलाना चाहिए।

हम में से बहुत से लोगों ने सँपेरे को साँप का खेल दिखाते तो देखा ही होगा। ये खेल मनोरंजन का एक अच्छा खासा माध्यम है। लेकिन कई लोग ऐसा मानते हैं कि साँप बीन की आवाज़ पर नाचते हैं। परंतु सच्चाई तो कुछ और ही है।  

साँप दरअसल बीन की आवाज पर नाचते ही नहीं है। साँपों में सुनने की शक्ति नहीं होती है। वह सिर्फ हिलती हुई बीन का ही पीछा करते हैं। साँप केवल बीन की आवाज़ से निकालने वाली तरंगों को ही महसूस कर सकते हैं।

साँप हिलते डुलते बीन को ही अपना शिकार समझ कर उसका अनुसरण करते हैं। उनकी इस क्रिया को लोग साँप का नाचना समझ लेते हैं। आजकल तो सँपेरों का साँप को कैद कर रखना गैर कानूनी हो गया है।

एक और भ्रांति जो जन सामान्य के बीच फैली हुई है, कि साँप यदि बहुत वर्षों तक जीवित रह जाते हैं तो उनके सिर में एक मणि नमक रत्न विकसित हो जाता है, जिसे लोग नागमणि के नाम से जानते हैं।

आपको बता दें कि इस बात में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है। साँपों में ऐसी कोई अकाल्पनिक शक्ति नहीं है। और न ही कोई इस प्रकार का रत्न नहीं विकसित हो सकता है। इस अंधविश्वास के चलते आए दिन असंख्य साँपों की हत्या कर दी जाती है।   

शिवांगी महाराणा

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