अकसर बहुत सी महिलाएं अपने समूचे परिवार का ख़्याल रखने के लिए सदस्यों को रोज़ाना च्यवनप्राश की ख़ुराक दिया करती हैं। लेकिन इसके दिये जाने के पीछे बहुत से कारण हैं, जिन्हें हमें जानने चाहिए। इस च्यवनप्राश ने यूं ही इतनी आसानी से हर घर में अपनी जगह नहीं बनाई है। हम में से बहुत से लोगों को इतना तो अवश्य ही पता होगा, कि इसका रोज़ाना सेवन करने से बहुत से फ़ायदे होते हैं। आइए, अब हम इन्हीं फ़ायदों के विषय में विस्तृत रूप से चर्चा करते हैं।
रोगों से बचने के लिए लोग कई तरीक़े अपनाते हैं। जब कभी भी कोई भी बीमारी हो जाती है, तो उसके इलाज़ में एक मोटा ख़र्चा तो हो ही जाता है। इसीलिए, सर्वप्रथम हमारी कोशिश तो यही होनी चाहिए, कि हम प्राकृतिक तरीक़े से रोगों से सुरक्षित रहें। हमें हर पल विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाने का कार्य हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही करती है।
सीधे शब्दों में, च्यवनप्राश हमारे शरीर की इसी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर, कई तरह के रोगों से हमारी सुरक्षा करता है। च्यवनप्राश का उल्लेख आयुर्वेद में भी मिलता है। यह कई तरह की जड़ी- बूटियों और प्राकृतिक तत्वों के मिश्रण से बनाई जाती है। इन सब जड़ी बूटियों का सेवन हमारे स्वास्थ के लिए लाभदायक सिद्ध होता है। वैसे देखा जाये तो पौष्टिक आहार से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, परंतु, बच्चों के नखरों से कौन वाकिफ़ नहीं है। नादान बच्चे अकसर सुस्वाद भोजन ही खाना पसंद करते हैं। ऐसे में वो बहुत ही कम पौष्टिक भोजन लेते हैं, और बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे में च्यवनप्राश एक रामबाण उपाय है। रोज़ाना इसके सेवन से बच्चों के रोगप्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है और वो सर्दी खांसी जैसी बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं।
सिर्फ बच्चे ही नहीं, इसका इस्तेमाल किसी भी उम्र के लोगों द्वारा बड़े ही असरदार तरीक़े से किया जा सकता है। यह उनकी भी रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कर उन्हें सर्दी जुकाम जैसे रोगों से बचाता है। एक मान्यता के अनुसार, च्यवनप्राश की विधि २५०० वर्ष पुरानी है। इसके मिश्रण का मुख्य घटक आंवला है। इसके साथ ही, हम सब आंवले के फ़ायदों से परिचित हैं। इसमे केवल आंवला ही नहीं, बल्कि, अश्वगंधा, ब्राह्मी, तुलसी, अर्जुन जैसी जड़ी- बूटियाँ भी मिलाई जाती हैं।
बदलते मौसम के चलते अकसर बहुत से लोग बीमार पड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में लोगों का सर्दी जुकाम जैसी बीमारियों का शिकार होना बहुत ही आम बात है। च्यवनप्राश हमारी इन्हीं परिस्थितियों से रक्षा करता है। आजकल हमारी जनसंख्या का एक बहुत ही बड़ा हिस्सा अस्थमा जैसे कई सारे श्वास रोगों से पीड़ित है। च्यवनप्राश का नियमित सेवन हमें इस तरह की बीमारियों से बचा सकता है।
Neha
Mujhe sardi hai kya karu?
Neha
Sardi se pareshan hu kya karu?