भगवान शिव के पुत्र गणेश जी महाराज और माता रिद्धि-सिद्धि की पुत्री संतोषी माता सभी का कल्याण करने वाली सुख प्रदायिनी माता हैं। ऐसा माना जाता है कि संतोषी माता के इस परम दुर्लभ व्रत को जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धा भाव से संपन्न करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और वे धन-धान्य से परिपूर्ण हो मोक्ष की प्राप्ति करते हैं। आइए आज हम इस लेख के माध्यम से आपको संतोषी माता के इस परम दुर्लभ व्रत की पूजन विधि विस्तृत रूप से बताते हैं।
संतोषी माता व्रत एवं पूजा विधि
माँ संतोषी का सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला कल्याणकारी व्रत शुक्रवार के दिन किया जाता है। इस दिन सुबह ही स्नानादि से निवृत होकर संतोषी माता का पूजन विधि आरम्भ करना चाहिए।
पूजन के लिए आवश्यक सामग्री
आसन या बिछाने के लिए बिछौना
संतोषी माँ का चित्र
सुगंधित पुष्प
तुलसी दल
धतूरा
पंच फल पंच मेवा
जल का कलश
गुड़
चना
गंध रोली
गाय का कच्चा दूध
पंच रस
ईंख का रस
मौली जनेऊ
दही
इत्र
शुद्ध देशी घी
पंच मिष्ठान्न
शहद
चंदन
गंगा जल
कपूर, धूप, दीप व रूई
संतोषी माता पूजा की विधि
एक कलश में स्वच्छ पानी भरकर इसे ढंककर संतोषी माता के चित्र के समक्ष रख दें। इसके ऊपर गुड़, चना और पुष्प आदि रखकर पूजा प्रारम्भ करें। उपरोक्त वर्णित समस्त सामग्रियों को पूजन के दौरान पास रखें।
संतोषी माता के सामने घी का दीपक जलाकर प्रण करें कि आज के दिन संसार की समस्त बुराइयों से आप दूर रहेंगे और पूरी श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ व्रत को विधिवत संपन्न करेंगे। अब सच्ची श्रद्धा से संतोषी माता के सामने अपने मन की इच्छा या मनोकामना प्रकट करें। समस्त बंधु-बांधवों एवं परिवार के लोगों के साथ पूजन संपन्न करें।
इसके बाद संतोषी माता की कथा का उच्चारण करें और संतोषी माँ की आरती करें। अब सभी लोगों में प्रसाद का वितरण कर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें। आप इस दिन किसी निर्धन ब्राह्मण को भोजन कराकर वस्त्र आदि का दान भी कर सकते हैं, इससे आपको पुण्य की प्राप्ति होगी। इस तरह से यह व्रत सभी दुःखों और कष्टों को दूर कर आपके जीवन में आनंद की अनुभूति प्रदान करेगा। संतोषी माता अपने भक्तों के कष्टों और दुखों को दूर करने वाली मानी जाती हैं। जो भी सच्चे मन से उनकी शरण में जाता है उसका उद्धार आवश्य होता है।
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