कलकता के बड़ा बाजार इलाके की प्रसिद्ध तिवारी हलवाई की दुकान में गत वर्ष एक लाख से भी अधिक समोसों का ग्राहकों ने सेवन किया। इंदौर के मशहूर सराफा बाज़ार में, महज एक रात में (जी हाँ, यहाँ देर रात 1-2 बजे तक चटोरी चीज़ें खाने वालों का तांता लगा रहता है) पाँच हजार से अधिक प्लेट समोसे चाट चट किए जाते हैं।
जनवरी में ए.सी नीलसन (AC Nielsen) ने सरकार को पेश की भारत में जंक फूड सेवन पर एक रिपोर्ट। और सबसे बड़ा खलनायक विदेशी बर्गर और पिज्जा नहीं, बल्कि शुद्ध भारतीय समोसा निकला। देश के 22 राज्यों में एक साल तक किए गए सर्वेक्षण के बाद, जो आंकड़े सामने आए हैं, वो वाकई चौंकाने वाले हैं।
2017 में भारत के नागरिकों ने कुल मिलाकर डेढ़ लाख करोड़ समोसे खाये।
यह आंकड़ा अपने आप में तो खतरनाक है ही, इसका अगर विश्लेषण किया जाये, तो जो सामने आता है, वो और भी हिला देने वाला है। दक्षिण भारत के चार राज्य और उत्तर-पूर्व के राज्यों का इस डेढ़ लाख समोसों में कोई खास रोल नहीं है। यानि कि जो लोग समोसे खा रहे हैं, वो वाकई बहुत सारे समोसे खा रहे हैं।
शहर | इलाका | प्रति व्यक्ति वार्षिक सेवन |
दिल्ली | लाजपत नगर पार्ट 1 और पार्ट 2 | 75 समोसे |
लखनऊ | गोमती नगर | 65 समोसे |
इंदौर | छतरीबाघ | 132 समोसे |
1) एक तो यह तेल में तल के बनाया जाता है, ऊपर से अधिकतर जगहों पर तेल की क्वालिटी बहुत ही घटिया होती है, और कई बार तो उसी तेल का बार-बार उपयोग किया जाता है। ऐसा करना कई तरह की खतरनाक बीमारियों को सादर आमंत्रण देने के बराबर है।
2) आलू के अधिक सेवन का वजन बढ्ने की बीमारी से सीधा संपर्क है। एक समोसे में लगभग 50-100 ग्राम आलू ठूँसा जाता है। बाकी हिसाब आप खूद लगा सकते हैं।
रिपोर्ट ने भारत में कई तरह की बढ़ती हुई लाइफ़स्टाइल बीमारियाँ – खासकर हृदय संबन्धित बीमारियों के लिए जंक फूड के बढ़ते सेवन को ज़िम्मेवार ठहराया है। और चूंकि जंक फूड की इस भारतीय सूची में सबसे अग्रणी नाम समोसे का है, तो भारत सरकार ने इस पर पर ठोस कदम उठाने की ठान ली है।
क्योंकि समोसा इतना लोकप्रिय है, और एम.पी व राजस्थान के विधानसभा चुनाव भी करीब है, तो भारत सरकार सीधे समोसे पर प्रतिबंध लगाने से हिचकिचा रही है। लेकिन इसके लिए स्वास्थ मंत्रालय ने एक तरीका ढूंढ निकाला है। यू.पी और एम.पी के 3-3 शहरों में इस नए विकल्प की टेस्टिंग भी कंप्लीट हो चुकी है। स्वास्थ मंत्री जे. पी. नड्डा खुद इस पूरे प्रोग्राम की अगुवाई कर रहे हैं, और इस टेस्ट पर काम फुल्ल स्पीड पर चल रहा है।
टेस्ट में सरकार ने कुछ चुने हुए नामी गिरामी हलवाइयों से समोसे में आलू की बजाय एक जैसे दिखने वाला एक अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थ (सोया युक्त) डलवाया । ग्राहकों ने इस बगैर आलू वाले समोसे को पसंद तो किया पर इतना भी नहीं। धीरे-धीरे इन जगहों पर समोसे की बिक्री धीरे-धीरे कर गिरकर पहले के मुक़ाबले 10-20 फीसदी हो गयी।
साथ-साथ सरकार ने एफ़.एम रेडियो और लोकल मीडिया पर जंक फूड – खासकर समोसों से होने वाली बीमारियों का ज़ोर-शोर से प्रचार किया। इंदौर, भोपाल, लखनऊ, कानपुर, इटावा, आगरा और गोरखपुर के कई विद्यालयों के प्राध्यापकों को भी भरोसे में लिया गया और उन स्कूलों के बच्चों ने भी जंक फूड के नुक़सानों पर कई तरह के कार्यक्रम किए – निबंध, चित्रकारी इत्यादि।
इस तरह से समोसे पर सीधे बेन लगने से जो हुंगामा होता, वो भी नहीं हुआ, और लोगों ने खुद ही धीरे-धीरे समोसे खाने कम कर दिये। यानि कि साँप भी मरा, और लाठी भी नहीं टूटी।
टेस्ट की इस सफलता के बाद सरकार इन बिना आलू वाले समोसों का देश भर में लॉंच करने के लिए जुट गयी है।
एक कहावत हुआ करती थी, और आपने सुनी भी जरूर होगी:
जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू
अब जबकि श्रीमान लालू प्रसाद यादव जैल की चक्की पीस रहे हैं, और बिहार लालू मुक्त हो चुका है, तो यह सही भी है कि समोसे को आलू मुक्त और भारत को बीमारियों से मुक्त करा ही दिया जाये।
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