Fashion & Lifestyle

संबलपुरी इक्कत साड़ी: महिला राजनेताओं और अफ़सरों की पहली पसंद

ओड़ीशा राज्य अपनी कला और संस्कृति के पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। जगन्नाथ पूरी धाम से लेकर संबलपूरी साड़ियों तक, कटक ज़िले में होने वाले विश्व प्रसिद्ध बाली यात्रा से लेकर कोणार्क मंदिर तक, इसने पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी है।

ओड़ीशा राज्य का एक ऐसा ही विश्व प्रसिद्ध परिधान है ,संबलपूरी साड़ियाँ जो अपनी ख़ूबसूरती के लिए बहुचर्चित है। भारतीय परिधानों में से एक है यह साड़ी, जो किसी भी कदकाठी और किसी भी उम्र की महिला पर बड़ी ही आसानी से जचती है। लेकिन,यह संबलपुरी साड़ी किसी भी उम्र की औरत को और भी ज़्यादा ख़ूबसूरती दिखा सकती है।

आइए जानते हैं इन साड़ियों के विषय में कुछ विशेष तथ्य।

वैसे अगर देखा जाए तो जितनी भी बहुप्रचलित साड़ियाँ हैं, उन्हें हर मौकों पर नहीं पहना जा सकता है। वो साड़ियाँ केवल ख़ास मौकों पर ही पहनी जा सकती हैं। लेकिन, इन साड़ियों को किसी भी मौके पर बड़ी ही आसानी से पहना जा सकता है। रेशमी सूते से बनी साड़ियों को ख़ास मौके पर पहनिए और सूती साड़ियों को रोज़ाना पहन सकती हैं।

रही बात महिला राजनेताओं और अफसरों की, तो हमारी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी जी इसका जीता- जागता सबूत थीं। माना जाता है, कि लोगों का ध्यान इन साड़ियों की तरफ और भी ज़्यादा तब बढ़ गया जब उन्होने इन संबलपुरी साड़ियों को पहनना शुरू किया था। ऑफिस से लेकर रोज़मर्रा में इस्तेमाल के लिए, ये साड़ियाँ हर मौके पर सही बैठती हैं।

रही बात इन साड़ियों के निर्माण की, तो इन साड़ियों को ओड़ीशा के बरगढ़, सोनेपुर, संबलपुर, बलांगीर एवं बौध जैसे जिलों में बुना जाता है।

इन साड़ियों पर शंख, चक्र, फूल जैसी आकृतियाँ बनी होती हैं, जिनके परंपरागत तौर पर अपने ही कुछ ख़ास और गहरे मायने होते हैं। ये इसकी कारीगरी की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा देती हैं।

ये साड़ियाँ इस वजह से भी विशेष हैं क्योंकि, इन साड़ियों के रेशों को पहले रंगा जाता है, फिर कहीं जाकर इनकी बुनाई होती है। इस पूरी प्रणाली में बहुत हफ्ते लग जाते हैं। इन साड़ियों की एक और विशेषता यह है ,कि इसके रेशों की बुनाई किसी मशीन में नहीं होती, बल्कि उसे शारीरिक श्रम से बुना जाता है।

इन साड़ियों के भी कई प्रकार हैं, जैसे सोनेपुरी, पसापाली, बमकेई, बारपली इत्यादि। यह साड़ी केवल कपास के सूतों से ही नहीं बनती है, बल्कि यह रेशमी और मर्सराईज्ड कॉटन से भी साड़ियाँ बनाई जाती हैं, जो कि बेहद आरामदायक होती है।

यहाँ समबलपुरी प्रिंट में न केवल साड़ियाँ ही पाई जाती हैं, बल्कि इस प्रिंट में सलवार सूट, सोफ़ा कवर, रुमाल, चादर, तौलिये, कुर्ते  और कमीज़ भी मिलते हैं, जो जन सामान्य के द्वारा काफी पसंद भी किए जाते हैं।

अगर आपकी साड़ियों के कलेक्शन में एक भी संबलपूरी साड़ी नहीं है, तो उसे ख़रीदने के विषय में एक बार ज़रूर सोचिएगा।

शिवांगी महाराणा

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