भारतीय सभ्यता विभिन्न धर्म और संस्कृति का संगम मानी जाती है। हिन्दू सभ्यता सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है और इसके प्रमाण हमें इतिहास के पन्नों में इधर-उधर मिल ही जाते हैं।
वैसे भारत शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंगों का गढ़ माना जाता है। भारतीय सभ्यता में एक समय वो भी था, जब भारतीय संस्कृति यक्ष, नाग, शिव, दुर्गा, भैरव, इन्द्र और विष्णु की पूजा करने वालों से रची-बसी थी।
इस समय और इसके बाद भी बौद्ध और जैन पंथियों ने भी मंदिरों के निर्माण पर बल दिया। हालांकि अब इन मंदिरों के अवशेष नाम मात्र के ही बचे हैं। इसी क्रम में तमिलनाडू के तंजौर में बृह्देश्वर का मंदिर हैं। इस मंदिर की ख़ास बात यह है, यह विश्व का पहला ग्रेनाइट से बना मंदिर है। आइये इस मंदिर के बारे में कुछ और जानते हैं:
मंदिर के रहस्य
1. ग्यारहवीं सदी के आरंभ में बनाया गया यह मंदिर ग्रेनाइट के पत्थरों से निर्मित किया गया है। लेकिन इस मंदिर के निर्माण की विशेषता यह है, कि जिस स्थान पर 1,30,000 टन की मात्रा में ग्रेनाइट का प्रयोग किया गया है, वहाँ आसपास तो क्या दूर-दूर तक यह पाया नहीं जाता है। यह रहस्य आज भी अनसुलझा ही है।
2. ग्रेनाइट पर कुछ भी खोदा जाना आकाश से तारे तोड़े जाने जैसा ही है, लेकिन फिर भी चोल राजाओं के कारीगरों ने सुंदर नक्काशी से इस मंदिर को सजाया है। यह अपने आप में एक आश्चर्य बात है।
3. इसके अतिरिक्त यह भी देखने वाली बात है, कि इस मंदिर के मुख्य दुर्ग की ऊंचाई 216 फिट है और इसी कारण इसे विश्व के सबसे अधिक ऊंचा मंदिर भी माना जाता है।
4. एक और आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है, कि इस मंदिर के मुख्य दुर्ग जिसे गोपुरम भी कहा जाता है, की परछाईं धरती पर नहीं पड़ती है। अगर आप दोपहर में इस मंदिर में जाएंगे, तो आपको पूरे मंदिर की छाया ज़मीन पर दिखाई देगी, लेकिन गोपुरम की छाया लेशमात्र भी धरती पर नहीं आती है।
5. इस मंदिर का कलश केवल एक 80 टन के पत्थर को तराश कर बनाया गया है। इसी प्रकार एक ही पत्थर से तराशी गयी 16 फुट लंबी और 13 फुट ऊंची नंदी सांड की मूर्ति है, जो मंदिर के प्रवेश द्वार के पास स्थित है।
6. इस मंदिर के निर्माण में कला के हर रूप और आकार का प्रयोग किया गया है। जैसे, मंदिर के निर्माण में नक्काशी के जरिये पाषाण और प्रतिमा विज्ञान, चित्रांकन, नृत्य, संगीत आदि कलाओं का उत्कृष्ट उदाहरण दिया गया है।
7. नक्काशी में न केवल चित्रों को ही, बल्कि संस्कृत और तमिल पुरालेखों को भी चित्रित किया गया है।
8. इस मंदिर के अनुपम निर्माण के कारण युनेस्को ने बृह्देश्वर मंदिर को विश्व धरोहर में शामिल किया है।
9. रिजर्व बैंक ने इस मंदिर के 1000 वर्ष पूरे होने पर 1 अप्रैल 1954 को एक हज़ार रुपए का नोट जारी किया था। इसी के साथ भारत सरकार ने भी इस अवसर पर 35 ग्राम के वजन का चाँदी का सिक्का एक हज़ार रुपए का जारी किया था ।
अपने आप में अनूठा बृह्देश्वर मंदिर कई नामों से जाना जाता है।
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