हिन्दू धर्म रीती रिवाज़ों वाला धर्म है। हिन्दू रीती रिवाज़ों के पालन में कई पूजा सामग्रियों का इस्तेमाल होता है। इन्हीं सामाग्रियों में से एक है रोली जिसका उपयोग काफी आम है।
आइये आज हम जानते हैं कि आखिर रोली को हिन्दू धर्म के रीति रिवाज और पूजा में इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है।
1. रोली का प्रयोग मस्तक पर तिलक के रूप में करना काफी आम है। हिन्दू धर्म खाली मस्तक को शुभ नहीं मानता है। इसलिए इसमें रोली लगाना या चंदन का लेप करने को महत्वपूर्ण माना है। इसका वैज्ञानिक पहलू भी यह कहता है कि मस्तिष्क के उस भाग को स्पर्श करने से जहां पर हम कुमकुम लगाते हैं और वहां ध्यान करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।
2. इसे माता लक्ष्मी के श्रृंगार का हिस्सा भी माना जाता है। घर के दरवाजे पर लक्ष्मीजी के पैर रोली से बनाये जाते हैं या शुभ और लाभ लिखा जाता है ।
3. “लक्ष्मी जी सदा सहाय करें “। खाता बही और तिजोरी या धन रखने वाले स्थान पर रोली से ऐसा लिखा जाना शुभ माना जाता है।
4. ऐसी मान्यता है कि सरसों के तेल में रोली को मिलाकर दरवाजे पर लगाने से घर और परिवार बुरी नज़र से बचा रहता है।
6. कुमकुम का महत्व अत्यधिक है। बिना इसमें पैर भिगाये कोई भी नई दुल्हन गृह प्रवेश नहीं कर सकती है। आपने भी देखा होगा कि नई बहू के पैर रोली घुले हुए पानी में डुबोने के बाद ही गृह प्रवेश होता है।
7. यूँ तो रोली का महत्व बहुत है लेकिन यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है देवी पूजा में चाहे वह दुर्गा जी हों या अन्य कोई भी देवी। नवरात्र में तो रोली के बिना पूजन का होना ही असंभव होता है।
हर व्यक्ति को, हो सके तो, प्रति दिन रोली का माथे पर तिलक करना चाहिए। यह आपके मस्तिष्क के लिए बेहद लाभदायक है। आपके लिए गर्व की बात भी होनी चाहिये कि आपके धर्म में वैज्ञानिक रूप से सिद्ध बातों का जिक्र है ।
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