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३५०वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष में गुरु गोबिंद सिंह को समर्पित एक कविता

गुरु गोबिंद सिंहजी सिख धर्म के १०वें गुरु थे । महज नौ वर्ष की उम्र में ही उन्हें सिख धरम का गुरु बनाया गया, और मुग़ल सल्तनत के साथ हुई कई लड़ाइयों में उन्होंने अपने चार बेटों का बलिदान दिया। सन १६९९ में उन्होनें खालसा पंथ की नींव रखी।

गुरु गोबिंद सिंह के जन्मदिन को विश्वभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। एक बहादुर योद्धा होने के साथ-साथ गुरूजी एक कवि भ्ही थे। आज, उनके ३५०वें जन्म दिन के उपलक्ष में मैनें एक छोटी सी कविता गुरूजी की याद में और सिख धर्म के गौरवशाली इतिहास को समर्पित करते हुए लिखी है।

 

आज चलो इतिहास की बाते करते हैं 

परम पिता दशमेश के दर्शन करते हैं ।

जब धरती पर असहनीय अत्याचार हो गया,

तब गुरु घर मे चमत्कार हो गया।

गुरु तेग बहादुर जी के घर सत्य का प्रकाश हो गया,

अब न होगा धरती पर पाप, सबको ये आभास हो गया।

 

गुरु गोबिंद सिंग जी आये हैं, धरती के कल्याण के लिए

अपने धर्म की रक्षा के लिए , सबको बचाने के लिए।

नौ साल की उम्र में जिन्होंने अपना सारा जहान दे दिया,

कौम की रक्षा के लिए अपने पिता का बलिदान दे दिया।

माता जीतो, माता सुंदरी , माता साहिब दीवान के सिंदूर ने,

बताया बलिदान क्या है माता गुजरी की आँखों के नूर ने।

जब बढ़ने लगा अत्याचार मुगलो का तो हुकमनामा भिजवाया,

सारे सीखो को उन्होंने इकट्ठा करवाया।

फिर भरी हुंकार गुरु ने को देगा अपना सिर इस तलवार के लिए,

छा गई थी शांति सभा मे पल भर के लिए।

फिर आगे आई भाई दयाराम, गुरु चरणों मे अपना सिर रख दिया ,

गुरु जी ले गए उन्हें अंदर और वापस खून भरी तलवार से वही ऐलान कर दिया।

यही सिलसिला पाँच बार हो गया,

सब सोचने लगे ये कैसा बलिदान हो गया।

कुछ ही पल में पांचो सिख गुरु जी के साथ बाहर आये,

कुछ न होया उन्हें देख सारे लोग डगमगाए।

इन पांचों को गुरु का प्यार नाम दे दिया,

अमृत छकाकर उन्हें हमे खालसा पंथ दे दिया।

वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह का ऐलान हो गया,

सीखी कौम से वाकिफ फिर सारा जाहान हो गया।

एक एक सिख ने सवा सवा लाख को मार गिराया,

औरंगज़ेब था भौकलाया जब सीखो को रोक न पाया।

अंत मे उसने कुरान का हवाला देकर खत भिजवाया,

गुरु जी अनंदपूर छोड़ दो सीखो को कुछ न होगा ये जताया।

निकले जब गुरुजी अपनी फौज के साथ औरंगजेब ने धोका दे दिया,

किया पलटवार और उनपर हमला कर दिया।

लड़ रहे थे जब आगे सिपाही जंग में ,

छूट गए पीछे दो साहिबजादे और माता गुजरी इस जंग में।

कर दी सारी पूंजी गुरुजी ने इस कौम पर कुर्बान,

जब बड़े साहिबजादे हो गए शाहिद देकर अपनी जान।

फर्क नही आने दिया था इस शहीदी ने परिवार के अंदर,

देख रहे थे संत सिपाही कितनी ताकत है इन छोटी जानो के अंदर।

कितने तीर ओर कितने निशान लगे थे बड़ो के अंदर,

बूढ़ी दादी भी से नही पाई जो दो फूल दब गए थे दीवारो के अंदर।

स्वर्ग से दादा गुरु तेग बहादुरजी ने भी देखा के कितनी शक्ति है परिवार के अंदर,

लड़ गए जो चारो सिपाही, दो जंग में तो दो दीवार के अंदर।

इस शहादत को सलाम इस इबादत को सलाम,

कर गई जो सारी दुनिया मे इतना नाम।

अपना सबकुछ वार दिया उस सर्बन्त दानी ने ,

कभी शिकवा न किया कभी रब से उस सर्बन्त दानी ने।

एक अनमोल चीज उन्होंने सीखी दे दी,

गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरु की उपद्धि दे दी।

होगा नही कोई इस जाहान मे जिसने वार दिया हो अपना पूरा परिवार,

तभी ओर कही नही मिलेगा ऐसा सुनहरा इतिहास।

जीवन जीने की राह उन्होंने ही दिखाई,

गुरु गोबिंद सिंग जी के प्रकाशपर्व की आपको लाखो बधाई!!

 

मूल कविता: पंजाबी भाषा में

Ajj chalo itihas diya galla kariye..

Param pita dashmesh de darshan kariye

 

Jado dharti te athaa atyachar ho gaya..

Odo guru ghar ch chamatkar ho gaya.

 

Guru teg bahadur ji de ghar sach da prakash ho gaya..

Hun ni hoyega dharti te paap sabnu eh vishwas ho gaya..

Guru gobind singh ji aaye ne dharti te kalyan de lai..

Dharam di raksha lai sarbat sawaran de lai..

9 sal di umar ch jina ne apna sara jahan de ditta

Kaum di raksha de lai apne pita da balidan de dita..

Mata jato ,mata sundari , mata sahib diwan de sindoor ne..

Sabnu dasseya balidan ki hai mata gujri di akkha de noor ne..

Jad vaddn lagga atyachar mugla da ,tan hukamnama bhijwaya

Sare sikhan nu ohna ne ek jagah ikattha karwaya..

Fer bhari hunkar guru ne kon dega apna shish is talwar de lai..

Cha gai si shanti sabha vich thode sama de lai..

Phir agge aaye bhai dayaram guru charan ch apna sheesh rakh dita..

Guru ji le gye ona nu andar atte fer ohi elaan kar ditta.

Ae hi silsila panch vaar ho gaya..

Sab sochn laggge e keda balidan ho gaya…

Thodi der baad guruji panja naal bahar aaye

Kuch na hoya dekh onha nu log dagmagaye..

Ena panja nu guru de pyare naam de ditta..

Amrit chakakar sanhu khalsa panth de ditta..

Wahe guru ji da khalsa waheguru ji di fateh da charo taraf elan ho gaya..

Sikh kaum to wakif sara jahan ho gaya…

Ek ek singh ne sava sava lakh mugla nu maar giraya..

Fer aurangzeb ghabraya jado singha nu rok na paaya..

Anth ch usne kuran da hawala de ke guruji nu khat bhijawaya..

Ke anandpur chad do sikha nu kuch ni hoyega e jataya…

Aantkar unne dhoka de ditta…

Jado guruji ne killa chaddya to onhe hamala kr ditta..

Lad rahe si jad singh sipahi jang vich

Chutt gaye si  pichhe do sahibjade te mata gujri is jang vich..

Kar diti sari punji guruji ne es kaum te kurbaan…

Jado vade shahibjade paa gaye shahidi vich maidan…

Fark ni si aaun dita es shahidi ne paruvar andar..

Dekhde si sant sipahi ki kinni takat e ena nikkita jinda andar..

Kinnek fatt te kinnek teer lage c vadaya anadar..

Budhhi dadi v na seh payi dekh jo do phool dab gye niyyan andar..

Swarg cho dade guru teg bahadur ju ne v vekhya ke kinni takat eh es parivar andar..

Jujh lade jo do jangh vich te do niyaan andar..

Es shadat nu salam es ibadat nu salam..

Kar gai jo sari duniya ch enaa da naam..

Apna sarbant waar ditta es sarbant daani ne..

Koi shikwa kade na kitta akal purk to us sarbant daani ne..

Ik anmulli chij us sikhhi de ditti..

Guru granth ji nu guru di upadhdhi de ditti…

Hona ni koi es jaha utte jis ne vaar ditta hoye apni kaum te pura parivaar…

Tahi or kitthe ni labbna eho jeya sunahra etihas…

Jeevan jeene du raah onhane hi dikhai..

Guru gobind singh ji de prakash utsav di sareya nu lakh lakh vadhai…

 

आगे पढ़िए:

➡ दस बातें जो हमें सिख धर्म से सीखने को मिलती हैं 

Jasvinder Kaur Reen

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  • गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रम्ह तस्मै श्री गुरवे नमः गुरु चरणों में शत शत नमन आभारी व्यक्तित्व के जो संकटों में खड़े रहे बाधाएं जिन्हें डीगा ना सकी जो संघर्षों में जमे रहे.....

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