जानलेवा ब्लू व्हेल के खतरों से अब तक आप वाकिफ हो ही चुके होंगे. विश्वभर में सैकड़ों बच्चे इस खेल की चपेट में आकर अपनी जान से हाथ धो चुके हैं. हमारे बच्चों की जान खतरे में है!
इस खेल को आड़े हाथों लेने के लिए, ब्राज़ील में एक सकारात्मक खेल की रचना हुई है, जिसका नाम है ‘पिंक व्हेल’ या पुर्तगाली भाषा में ‘बैलिया रोसा’.
संयुक्त राष्ट्र के यूनिसेफ संस्था ने भी इस खेल को अपना समर्थन देते हुए भारत से भी माहिम की है कि पिंक व्हेल खेल को भारत भी समर्थन दे। चेन्नई स्तिथ NGO “स्नेहा ” को भी इस कार्य के लिए चुना गया है । स्नेहा से संथापक डॉ . लक्ष्मी बिजय कुमार का ये कहना है की माता पिता की नज़रो में ब्लू व्हेल खेलने वाले का बदलता स्वाभाव आ सकता है । ये आपको ध्यान देना होगा की आपका बच्चा क्या कर रहा है या उसके हाव् भाव में कोई बदलाव है या नहीं वरना आप अपने बच्चे को खो भी सकते है । इस चैलेंज के सारे काम सुबह के ३ बजे या दोपहर के ४ बजे करने होते है । ध्यान दे की क्या आपका बच्चा लेट नाईट जगता है या नहीं । कहीं वो नार्मल एक्टिविटीज से दूर तो नहीं रह रहा । ब्लू व्हेल गेम के अलग-अलग चरणों में खेलने वाले को कई बार अपने शरीर को हानि पहुंचनी पड़ती है, कई जगह चोट पहुंचनी पड़ती है. तो अगर, आपको बच्चे के शरीर पर अनायास ही कोई निशान दिखे, तो तुरंत पड़ताल करें.
तो उन्हें इस भयानक चीज़े से दूर कैसे करे ? सर्वप्रथम उनसे बातचीत करे, उन्हें समझे और मोटीवेट करे ।धीरे धीरे उन्हें अपना दोस्त बनाए ताकि वो हर चीज़े आपसे शेयर करे । धीरे धीरे उन्हें कम्प्यूटर से दूर कर दे । फॅमिली आउटिंग्स पर लेकर जाए । उन्हें अकेले न छोड़े। उन्हें पिंक व्हेल खेलने को मोटीवेट करे , ये गेम अपके बच्चे के अंदर पाजिटिविटी को भर देगा ।
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