पतंजलि दंतकांति एक हर्बल टूथपेस्ट है, जिसमें हर्ब्स के साथ-साथ कुछ आयुर्वेदिक सामग्री भी हैं। पतंजलि का दावा है कि यह दांतों और मसूढ़ों की सेहत बनाए रखता है और उन्हें संक्रमण से भी बचाता है। हर रोज नियमित रूप से इस टूथपेस्ट से ब्रश करने पर दांतों में केविटीज से भी बचा जा सकता है। इसे इस्तेमाल करने वालों का कहना है कि यह दांतों और मसूढ़ों में दर्द कम करने में मदद करता है। इस टूथपेस्ट में मौजूद हर्ब्स मसूढ़ों से होने पर रक्तस्त्राव को भी बंद करने में सहायता करती हैं, वहीं इसके इस्तेमाल से सांसों में देर तक तरो-ताजगी बनी रहती है।
देखते हैं इस टूथपेस्ट में कौनसे तत्व मौजूद हैं, जो इसे दूसरों से अलग बनाते हैं।
पतंजलि टूथपेस्ट में अकरकारा, बबूल, तोमर, नीम, पुदीना, लौंग, पीपली, वज्रदंती, बकुल, विडंग, हल्दी, मिस्वाक, माजूफल नाम की हर्ब्स हैं, वहीं बेस मटीरियल के रूप में इसमें कैल्शियम कार्बोनेट (calcium carbonate), सोडियम बेंजोएट (sodium benzoate), फ्लोराइड (fluoride) डाला गया है। यानी इसमें भी सोडियम बेंजोएट के रूप में परिरक्षक यानी प्रिजरवेटिव का इस्तेमाल तो हुआ ही है।
दांतों की सफाई सही प्रकार से नहीं हो तो दांत खराब होना आम बात है। सामान्यतया खाने के कण जिन्हें फूड डेबरिस भी कहते हैं, जो कि सफेद छोटे अंश हैं। ये बहुत छोटे अंश दांतों पर चिपके रह जाते हैं जिन्हें कुल्ला करके आसानी से निकाला जा सकता है। डेंटल प्लैक बैक्टिरिया की एक पतली परत होती है जो दांतों पर चिपकी होती है और यह पीली सी परत कुल्ले से आसानी से निकलती है। इसे ब्रश और मंजन के झाग से ही निकाला जा सकता है। दांतों पर ही कैलकुलस जमा हो जाता है जो कैल्सिफाइड प्लैक होता है। कैलकुलस प्लैक के इकट्ठा होने के लिए और उनमें बैक्टिरिया को पनपने के लिए जगह बनाता जाता है।
प्लैक (दाँत पर जमा मैल) हटाने में कौनसा टूथपेस्ट है बेहतर?
डेंटल प्लैक हमेशा से ही एक चिन्ता कारण रहता है क्योंकि इसका दांतों के सौन्दर्य पर तो असर पड़ता ही है, इसकी पैथोजेनिक प्रकृति कई प्रकार के बीमारियों को निमंत्रण देती है। ऐसे में प्राकृतिक सामग्री के उपयोग से प्लैक को इकट्ठा होने से बचाया जाना मुंह और दांतों की सेहत के लिए उपयुक्त रहता है। सामान्य टूथ पेस्ट में ऐसे केमिकल एजेंट्स मिले हो सकते हैं, वहीं आयुर्वेदिक या प्राकृतिक सामग्री से बने टूथ पेस्ट में केमिकल एजेंट्स नहीं होने के चलते उनका दुष्प्रभाव नहीं होता है। आयुर्वेदिक औषधियों वाली सामग्रियों के कई अन्य लाभ भी होते हैं। सामान्यतया प्रयुक्त होने वाली आयुर्वेदिक -प्राकृतिक सामग्रियों में अकारकारा, नीम, बबूल, हल्दी इत्यादि हैं और ये सभी पतंजलि के दंतकांति टूथपेस्ट में उपलब्ध हैं।
शोध बताते हैं कि हर्बल टूथपेस्ट सामान्य टूथ पेस्ट की तुलना में डेबरिस, कैलकुलस को निकालने व जिंजीवल इंडेक्स पर ज्यादा प्रभावकारी रहे हैं। इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं पाया गया।
इस टूथपेस्ट के साथ यह फायदा भी है कि यह एक सस्ता टूथपेस्ट है और भारतीय बाजार में आसानी से कहीं भी उपलब्ध है।
दिव्य दंतकांति मंजन एक ऐसा हर्बल टूथ पाउडर है, जो दांतों को सफेद रखते हुए उनकी सेहत बनाए रखता है।
हालांकि पतंजलि दंतकांति में 924 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) फ्लोराइड ही है, जो सामान्य टूथपेस्ट की तुलना में काफी कम है लेकिन फिर भी यह बच्चों के लिए तो नुकसानदायक ही है। वहीं इसके जूनियर वर्जन में फ्लोराइड नहीं है। इसलिए बच्चे इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।
चूंकि इस टूथपेस्ट में फ्लोराइड है इसलिए सात साल से कम उम्र के छोटे बच्चों को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। दरअसल फ्लोराइड वाले टूथपेस्ट को अलग निगल लिया जाए तो यह त्वचा में चकत्ते, पेट दर्द, याददाश्त में कमी, हड्डियों और लिगामेंट का कमजोर होना, मांसपेशियों में कमजोरी और कैंसर जैसी बीमारियां दे सकता है।
कमियां भी जान लें
टूथपेस्ट के बाकी सारे ब्रांड को छोड़कर हम यहां दंतकाति की तुलना कोलगेट से ही करेंगे क्योंकि 55 फीसदी भारतीय कोलगेट ब्रांड का टूथपेस्ट ही इस्तेमाल करते हैं।
कोलगेट का टेस्ट इतना असरकारी है कि आपको इसे करने के करीब तीन मिनट बाद तक भी किसी और चीज का स्वाद महसूस नहीं होगा। इसमें मौजूद है कैल्शियम कार्बोनेट (calcium carbonate), सॉर्बिटोल (Sorbitol), सोडियम लोरिल सल्फेट (Sodium Lauryl Sulphate), आर्जिनिन (Arginine), सिलिका (silica), टाइटेनियम डाईऑक्साइड (titanium dioxide) , सोडियम सिलिकेट (Sodium Silicate), कररागीनन (Carrageenan), सोडियम मोनोफ्लोरोफॉस्फेट (Sodium Monofluorophosphate), सोडियम बाईकार्बोनेट (Sodium bicarbonate) , पोटेशियम नाइट्रेट (Potassium nitrate), बेंजाइल एल्कोहल (Benzyl alcohol), सोडियम सैकरीन (Sodium Saccharin), लाइमोनीन ( Limonene) और पानी।
सोडियम लोरिल सल्फेट एक तरह का साबुन है, जो कुछ लोगों में कैंकर सोर्स (सफेद रंग के छाले) का कारण बनता है। अमरीकन कॉलेज ऑफ टॉक्सिटी के अनुसार यह त्वचा के ऊतकों को भी नुकसान पहुंचाता है। पेस्ट में झाग भी इसी वजह से आते हैं। इसी तरह से सिलिका टूथ इनेमल को नुकसान पहुंचाती है। वहीं कररागीनन भी एक प्रिजरवेटिव है।
इसलिए अगर आप कोलगेट ब्रांड के टूथपेस्ट को ही इस्तेमाल करना चाहते हैं तो इसके हर्बल वर्जन को चुनें।
पतंजलि दंतकांति टूथपेस्ट में फ्लोराइड की मात्रा 924 पार्ट्स पर मिलियन तक है, जिसके बारे में पतंजलि का दावा है कि यह फ्लोराइड उसमें मौजूद प्राकृतिक तत्वों से आता है, जबकि कोलगेट सहित दूसरे टूथपेस्ट में 1000 से 1500 पार्ट्स पर मिलियन तक फ्लोराइड मौजूद है। इस तरह से देखा जाए तो कोलगेट सहित लगभग सारे कैमिकल टूथपेस्ट हानिकारक होते हैं, वहीं किसी भी तरह के हर्बल टूथपेस्ट अपेक्षाकृत कम हानिकारक होते हैं।
कोई भी शुद्ध आयुर्वेद प्रोडक्ट कभी ज्यादा झाग नहीं देगा। जैसे रीठा का इस्तेमाल बालों को धोने के लिए किया जाता है। यदि आप बाल धोने के लिए रीठा साबुन घर पर बनाएं तो यह कभी ज्यादा झाग नहीं देगा। ऐसे में अगर कोई भी पेस्ट थोड़ा-बहुत भी झाग देता है तो इसका मतलब इसमें कोई न कोई कैमिकल जरूर मौजूद है। इसलिए अगर आप सही मायने में हर्बल प्रोडक्ट पर जाना जाहते हैं तो दंत पाउडर इस्तेमाल करें।
किसी भी तरह के दांत के दर्द के लिए अगर आप यह पेस्ट इस्तेमाल कर रहे हैं तो डेंटिस्ट मानते हैं कि कई बार बीमारी बिना दर्द के भी बढ़ती रहती है। इसलिए अगर दर्द या दांत की कोई समस्या हो, तो इस टूथपेस्ट पर पूरी तरह से भरोसा न करें। अगर डेंटिस्ट आपको किसी खास टूथपेस्ट को इस्तेमाल करने की सलाह देता है तो फिर वही टूथपेस्ट काम में लें।
डेंटिस्ट मानते हैं कि दांतों की सफाई का असल काम टूथब्रश करते हैं और कोई भी टूथपेस्ट टूथब्रश को मुंह में घुमाने में मदद करता है। तो इसलिए अपने टूथब्रश पर ज्यादा ध्यान दें।
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