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पद्मिनी एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

प्रत्येक वर्ष में 24 एकादशी आती हैं किंतु अधिमास में ये 26 हो जाती हैं और अधिमास की एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहा जाता है। अधिमास के शुक्ल पक्ष में यह एकादशी आती है।

पद्मिनी एकादशी अनेक प्रकार के पुण्यों को लिए हुए है। इस व्रत को करने से मनुष्य सभी प्रकार के वैभव को प्राप्त कर बैकुंठ में निवास करता है।

पद्मिनी एकादशी व्रत विधि

इस व्रत को करने के लिए दशमी के दिन कांसे के बर्तन में भोजन करना चाहिए और नमक नहीं खाना चाहिए। इस दिन ब्रम्हचर्य का पालन करते हुए भूमि पर सोना चाहिए।

प्रातःकाल  उठकर शौच आदि से निपट कर 12 बार पानी से कुल्ला करके मुख शुद्ध करना चाहिए और प्रातःकाल ही स्नान आदि करना चाहिए। स्नान में तिल, मिट्टी, कुश व आंवले के चुर्ण भी शामिल करें।

इसके पश्चात सफेद वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु का पूजन-अर्चन करें और कथा का पाठ करें।

पद्मिनी एकादशी व्रत कथा 

बहुत समय पहले त्रेतायुग में कीर्तिवीर्य नामक राजा, जो कि हैहय वंश का था, महिस्मतीपूरी में राज्य किया करता था। उसकी 1000 पत्नियां थीं लेकिन किसी भी स्त्री से उसे पुत्र नहीं था जो कि उसके राज्य को संभाल सके। उसने देवताओं से प्रार्थना की, पितरों से आशीर्वाद मांगा और अनेक वैद्यों को दिखाया लेकिन कुछ भी न हो सका।

इसके बाद राजा ने कठोर तपस्या करने का निर्णय लिया। उसके साथ उसकी सबसे प्रिय पत्नी, इक्वाक्षु वंश के राजा हरिश्चंद्र की पुत्री रानी पद्मिनी, भी उसके साथ हो ली और दोनों पति-पत्नी राज पाट अपने मंत्रियों को सौंपकर गंधमादन पर्वत पर तपस्या के लिए चले गएँ।

जब राजा को 10 हजार वर्षों तक तपस्या करने के बाद भी पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई, तब रानी पद्मिनी से अनुसूया जी ने कहा कि सभी महीनों में  श्रेष्ठ अधिमास यानी कि मलमास होता है जो 32 मास के बाद आता है। अगर आप इस दिन व्रत करेंगी तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी और भगवान आपसे प्रसन्न होंगे।

रानी ने बिल्कुल वैसा ही किया। वे निराहार रहकर व्रत करने लगीं और रात्रि जागरण किया। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। फलस्वरूप कार्तवीर्य नामक पुत्र की प्राप्ति रानी पद्मिनी को हुई जो कि तीनों लोकों में सबसे बलवान था और जिसका कोई भी सानी न था।

जो भी रानी पद्मिनी की  इस कथा का पाठ करता है और पद्मिनी एकादशी का व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वह यश और कीर्ति को प्राप्त करता है।

आकांक्षा उपाध्याय

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