मंगलसूत्र एक ऐसा गहना है जिसके विषय में ये मान्यता है कि इसे धारण करने से सुहाग की रक्षा होती है | वैसे तो यह भी मान्यता है कि मंगलसूत्र को विवाह के समय गले में धारण कर लेने के बाद उसे जीवनभर गले से उतारना नहीं चाहिए, नहीं तो कुछ भी अनिष्ट घटित हो सकता है | लेकिन, आजकल की पढ़ी-लिखी महिलायें अपनी सुविधा के अनुसार ही मंगलसूत्र धारण करती हैं |
महिलायें अक्सर रात को मंगलसूत्र को गले से उतारकर भी रख देती हैं ताकि रात को सोते समय असुविधा ना हो | इसके अलावा बहुत सारी आधुनिक महिलायें रोजाना मंगलसूत्र पहनने की बजाय कुछ ख़ास अवसरों पर, जैसे शादी-ब्याह के समारोहों में सम्मिलित होते समय, करवाचौथ या अन्य व्रत-त्योहारों, और धार्मिक आयोजनों के अवसर पर मंगलसूत्र पहनना पसंद करती हैं | कुछ महिलायें आम दिनों में साधारण मंगलसूत्र और ख़ास अवसरों पर कीमती मंगलसूत्र धारण करना पसंद करती है | वैसे ग्रामीण क्षेत्रों की कम पढ़ी-लिखी महिलाओं की सोच आधुनिक महिलाओं से अलग होती है | बहुत सारी महिलायें आज भी मंगलसूत्र के खो जाने, या टूट जाने को भावी अमंगल का संकेत मानती हैं और हमेशा मंगलसूत्र को गले में धारण किये रहती हैं |
एक तरह से देखा जाए तो जैसे-जैसे स्त्री ज्यादा शिक्षित, जागरूक, और आत्मनिर्भर होती जा रही है, उसके जीवन में मंगलसूत्र का महत्व घटा है | पुराने जमाने में जहां महिलायें पूरी तरह से पुरुषों, खासकर अपने पति पर निर्भर होती थीं, वहीँ आज परिस्थितियां काफी बदल गयी हैं | महानगरों में ज्यादातर महिलायें उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और नौकरी या व्यवसाय कर के धन भी अर्जित कर रही हैं | पुराने ज़माने में महिलाओं के जीवन को पुरुषों की तुलना में कम महत्वपूर्ण माना जाता था और उनके जीवन का लक्ष्य केवल घरेलू काम, बच्चों का पालन-पोषण, और पति और सास-ससुर की सेवा करना होता था | लेकिन आज के समय में समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत हुई है और वो परिवार के लिए पैसे कमाने के अलावा ऐसे सभी काम करने में समर्थ हैं जो एक पुरुष कर सकता है |
बहुत सारी आत्मनिर्भर आधुनिक महिलायें कई बार ऐसा भी सोचती हैं कि जब पति उनकी सलामती के लिए और विवाहित होने के प्रमाण के रूप में कोई व्रत नहीं रखते, या सिन्दूर, मंगलसूत्र जैसी कोई निशानी धारण नहीं करते तो फिर उन्हें अपने पति के लिए ऐसा करने की क्या जरूरत है | वैसे भी इस बात का क्या प्रमाण है कि विवाह के प्रतीकों के विषय में जो भी मान्यताएं हैं वैसा वास्तव में कुछ होता है! फिर भी, पारिवारिक और समाजिक दबाव के कारण कई बार बोझ समझकर, और कई बार स्वेच्छा से फैशन के तौर पर महिलायें सिन्दूर लगा लेती हैं, और मंगलसूत्र, पायल, बिछुवे, चूड़ियों जैसे गहनों को भी धारण कर लेती हैं | लेकिन छोटे शहरों और गांवों में आज भी ज्यादातर महिलाएं कम पढ़ी-लिखी हैं और अपनी जरूरतों के लिए पूरी तरह से पुरुषों पर निर्भर हैं | ऐसे में उनके लिए पति की ख़ुशी और सलामती बहुत ज्यादा मायने रखती है और पति को अनिष्ट से बचाने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार हैं | ऐसे में वो पुरानी मान्यताओं पर आज भी विश्वास करती हैं और गर्व के साथ मंगलसूत्र पहनती हैं |
बहुत सारी महिलायें फैशन के तौर पर मंगलसूत्र पहन रही हैं और कई बार हिन्दू स्त्रियों के अलावा अन्य धर्मों को मानने वाली महिलायें भी फैशनेबुल ज्वेलरी के रूप में मंगलसूत्र पहनती हैं | लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता कि मंगलसूत्र सिर्फ फैशन की चीज बन चुका है | बहुत सारी महिलाओं के लिए ये अनमोल जेवर है जिससे उनकी भावनाएं जुड़ी हुई हैं|
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