नवरात्री अर्थात “नौ रातों का समूह”| नवरात्री 9 दिनों तक मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है, जिसमें 9 दिनों तक माँ दुर्गा की 9 अलग-अलग देवी शक्ति रूपों को पूजा जाता है.
नौ देवियों के नाम और अर्थ उनके महत्व के अनुरूप भिन्न-भिन्न है. आज इस लेख में हम आपको बताते है, कि नवरात्री क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे दो प्राचीन कथाएँ प्रचलित है|
ब्रह्माजी के कथनानुसार रावण-वध के लिए राम भगवान ने देवी चंडी माँ को खुश करने के लिए 108 नीलकमलों से उनका पूजन और हवन किया था.
वहीं दूसरी ओर रावण ने अमरत्व प्राप्ति के लिए भगवान राम की पूजा से नीलकमल चुराकर चंडी पूजन प्रारम्भ कर दिया . तब पूजा में नीलकमल के अभाव की चिंता से ग्रसित हो श्री राम को ख़्याल आया, कि उन्हें उनके भक्त “कमल-नयन नवकंज लोचन” नाम से भी पुकारते है. इस बात को स्मरण कर उन्होंने देवी पूजा में अपनी आँख को निकालकर रखने का प्रण किया . तब देवी माँ ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें विजय का वरदान दिया .
दूसरी ओर देवी माँ रावण के वध के लिए हवन के दौरान ब्राह्मणों द्वारा उच्चारित श्लोक का गलत उच्चारण करवाकर रावण के विनाश का कारण बनी . इस तरह राम भगवान की रावण पर विजय के लिए की गई इस पूजा को आज नवरात्री के रूप में मनाते है.
एक बार महिषासुर को देवों से अमर होने का वरदान प्राप्त हो गया .
इसी वरदान का फ़ायदा उठाकर उसने सारे स्वर्ग लोक और देवी-देवताओं के अधिकारों को अपने वश में कर लिया . वह अजर-अमर होकर विचरण करने लगा . तब देवी माँ दुर्गा ने सभी देवी-देवताओं के अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग कर महिषासुर से 9 दिनों तक महायुद्ध किया और उसका वध किया . तभी से माँ दुर्गा की विजय के उपलक्ष में नवरात्री उत्सव मनाया जाने लगा .
इन्हीं दो प्राचीन कथाओं में विजय की प्रतीक देवी माँ दुर्गा को भक्तों द्वारा नवरात्री में अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है . हिन्दू चैत्र और अश्विन में आने वाली नवरात्री का विशेष महत्व है.
वर्ष २०१७ में शरद नवरात्री आश्विन माह के 21 सितम्बर 2017 से 29 सितम्बर 2017 तक नौ दिनों तक मनाई जाएगी .
२०१७ शरद नवरात्री की तिथि निन्मलिखित है और इस प्रकार मनाई जाएगी.
21 सितम्बर – कलश स्थापना, देवी शैलपुत्री की पूजा
22 सितम्बर – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा
23 सितम्बर – माँ चंद्रघंटा का पूजन व गणगौरी पूजन
24 सितम्बर – देवी माँ कूष्मांडा का पूजन व श्री सिद्धि विनायक चतुर्थी व्रत का शुभ समय
25 सितम्बर – शिवपुत्र कार्तिकेय की माँ स्कंदमाता की पूजा
26 सितम्बर– देवी कात्यायनी की पूजा
27 सितम्बर– कालरात्रि माँ की पूजा
28 सितम्बर– आठवीं देवी महागौरी की पूजा व श्री दुर्गा अष्टमी व्रत
29 सितम्बर– देवी भगवती के नवम स्वरूप सिद्धिदात्री का पूजन
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