भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। वह देशवासियों के जितने चहते हैं, उतने ही विदेशी भी उन्हें पसंद करते हैं। वह देश के प्रधानमंत्री बनने से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं। फिर 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री तकनीक पसंद हैं और युवा पीढ़ी को बहुत महत्व देते हैं। हर साल बच्चों से वह परीक्षा पर चर्चा करते हैं। वह भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है। नरेंद्र मोदी के बारे में ऐसी ही बहुत सी बातें सभी लोगों को पता हैं लेकिन उनके बारे में कुछ ऐसी भी बातें हैं, जिनसे बहुत कम लोग वाकिफ हैं। जानते हैं ऐसी ही 10 बातें उनके बारे में…
किशोरावस्था में उन्होंने 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अपनी सेवाएं दी थीं। वह उत्साहपूर्वक रेल्वे स्टेशन जाते थे और वहां मौजूद सैनिकों की मदद करते थे। वह उन्हें गर्म चाय पिलाते थे और उनकी देश सेवा के लिए धन्यवाद कहते थे।
स्कूल के दिनों में वह नाटकों में भाग लेने के काफी उत्सुक रहते थे। बल्कि उन्होंने कई स्कूली नाटकों में हिस्सा भी लिया। किशोरावस्था में उन्होंने चंदा इकट्ठा करने के लिए एक नाटक में भाग भी लिया था।
वह काफी बहादुर थे। शर्मिष्ठा नदी के बीच में एक मंदिर था, जिसमें 40 मगरमच्छ थे। वह उनके बीच में से तैर कर मंदिर तक जाते थे। एक बार वह मगरमच्छ का बच्चा घर ले आए थे, वो भी पालने के लिए।
एक बार उन्होंने एक नीलामी की और एकत्रित धनराशि को बच्चों की शिक्षा के लिए काम करने वाली एक संस्था कन्या केलावनी को दे दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी को फोटोग्राफी और कविता बहुत शौक है। वह अपनी मातृभाषा गुजराती में कविताएं लिखते हैं। उनकी कुछ कविताएं प्रकाशित भी हुई हैं। वह जब-तब अपनी फोटोग्राफी कला का प्रदर्शन भी करते हैं।
मोदी ने अमेरिका से तीन महीने के एक कोर्स भी किया है। वहां उन्होंने इमेज मैनेजमेंट और पब्लिक रिलेशंस की पढ़ाई की। शायद इन्हीं कोर्स ने उनकी छवि एक दमदार राजनेता के रूप में बनाने में मदद की।
विदेश यात्राओं के दौरान वह कभी किसी होटल में रात गुजारना पसंद नहीं करते। वह अपने जहाज में नींद पूरी करते हैं। वह किसी होटल में रात में तभी ठहरते हैं, जब वहां सुबह मीटिंग होने वाली हो।
मोदी स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को बेहद मानते हैं। वह विवेकानंद जी द्वारा स्थापित बेलूर मठ, अद्विता आश्रम और रामकृष्ण मिशन जाना बहुत पसंद करते हैं। यहां तक कि वह संन्यासी के रूप में रामकृष्ण मिशन में रहे थे। वहां स्वामी आत्मस्थानंद ने उन्हें संन्यास लेने की बजाय लोगों के लिए जीने को कहा।
वर्ष 1970 के आस-पास उन्होंने एक सिख का वेश धारण कर लिया और वह ऐसे ही पांच साल तक घूमते रहे। उन्होंने घर छोड़ दिया था और पकड़े जाने के डर से 1975 तक ऐसे ही रहे।
सभी जानते हैं कि मोदीजी ने अपने राजनैतिक कॅरियर की शुरुआत से पहले आरएसएस जॉइन की थी, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अहमदाबाद के आरएसएस हेडक्वार्टर में उनका पहला काम फर्श पर पोंछा लगाना था!
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