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नेफ्थलीन बॉल कैसे रखता है आपके कपड़े और किताबों को सुरक्षित?

लंबे समय से अलमारी में बंद पड़े कपड़ों की चमक ज्यों-का-त्यों बरकरार देख कर मन में आश्चर्य तो होता ही होगा.अरसे से बंद पड़ी किताबों के पन्ने अगर अब भी सुरक्षित हैं, तो जान लीजिये कि यह कमाल है छोटी- छोटी, गोल और सफ़ेद सी दिखने वाली उन गेंदों का, जिसे आम बोलचाल की भाषा और अंग्रेज़ी में “नेफ्थलीन  बॉल” कहते हैं. इन बॉल का इस्तेमाल अक्सर मौसमी पोशाकों को लंबे समय तक सहेज कर रखने में होता है, ताकि निकालते वक़्त भी इनकी हालत पहले जैसी हो और कपड़ों में एक भीनी-भीनी सी खुश्बू भी रहे. आइये जानते हैं, कि आखिरकार नेफ्थलीन बॉल कैसे करता है, आपके कपड़ों और किताबों की सुरक्षा.

इन बॉल का आपके किताबों और कपड़ों को सुरक्षित रखने का विज्ञान बहुत ही सरल है. दरअसल, ये रासायनिक कीटनाशकों एवं कृत्रिम सुगंधों के मिश्रण से बनते हैं. इसका इस्तेमाल उन चीज़ों को सहेजने में होता है, जिन्हें विभिन्न कीड़ों से ख़तरा होता है. इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला रसायन नैप्थलीन, ज्वलनशील एवं विषाक्त भी है. आजकल इन बॉल का निर्माण डाइक्लोरोबेन्जीन नामक रसायन से होने लगा है, जो पहले से थोड़ा कम ज्वलनशील है. हमारी अलमारी में रखी ये नैप्थलीन बॉल बड़ी ही सहजता से हवा में घुल सकती हैं, इस प्रणाली को “वाष्पीकरण” भी कहते हैं।

गेंदों के रूप में पड़े ये रसायन हवा में बदलकर इन कीड़ों के लिए ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करते हैं, जिसमें ये कीड़े प्रजनन नहीं कर पाते हैं और इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हो पाती है. इस तरह इन विनाशकरी कीड़ों की जनसंख्या में वृद्धि नहीं हो पाती है. इन नेफ्थलीन बॉल का वाष्प बड़ा ही विषैला और प्राणघातक होता है. इसके संपर्क में आते ही बचे-खुचे कीड़े भी मर जाते हैं और इस तरह से हमारे अलमारी-बंद कपड़े लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं.

ये बॉल वस्तुतः हमारे स्वास्थ के लिए हानिकारक होते हैं. इस से चर्मरोग, उल्टी, सिरदर्द, दस्त, खून की कमी जैसी बीमारियों की संभावना बनी रहती है. इसमें मौजूद रसायन कर्करोग, मोतियाबिंद, श्वासरोग जैसी ख़तरनाक बीमारियों का कारक है. इसी वजह से इसकी खुश्बू से सने कपड़ों को छोटे बच्चों से दूर रखा जाता है. स्वस्थ पर होने वाले  बुरे असर को मद्देनज़र रखते हुए, इसके विकल्प में कर्पूर का भी इस्तेमाल होने लगा है.

हमारी हमेशा यही कोशिश रहनी चाहिए, कि हम इसका कम से कम इस्तेमाल करें. यदि हमारी अलमारियों में कीड़े-मकोड़ों की समस्या नहीं है, तो हमें इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए. पुराने और इस्तेमाल में लाये हुए कपड़ों को सहेजकर रखते वक़्त ख़ासी सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि उनपर कीड़े-मकोड़ों का कोई असर न हो. हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए, कि हमारी अलमारी अच्छी तरह सूखी और बंद रहे, ताकि उसमें सीलन न लगे.
वैसे तो ये है, बड़ी काम की चीज़, बस इसका इस्तेमाल अगर थोड़ी ज़िम्मेदारी से किया जाए ,तो ये काफी मददगार साबित हो सकती है.
-शिवांगी महाराणा

 

शिवांगी महाराणा

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