माँ-बेटी का रिश्ता अनमोल होता है। माँ ही होती है जो अपनी बेटी को ज़िंदगी में हर अच्छे और बुरे हालात में सामान्य रहने की ताकत दे सकती है। माँ अपनी बेटी की ज़िंदगी को खुशनुमा तरीक़े से जीना, सभी रिश्तों को प्यार से निभाने की सीख दे सकती है। बात अगर ससुराल जाते समय की है तो इस समय माँ की दी गई सीख को एक बेटी गांठ बाँध कर रखती है।
अब यह माँ पर निर्भर करता है कि वह अपनी बेटी के भविष्य को कैसा बनाना चाहती है और उसके जीवन को सवाँरने के लिए उसे क्या सीख देकर ससुराल भेजती है। अगर आप भी अपनी बेटी को ससुराल विदा करने की तैयारी कर रही हैं और समझ नहीं पा रहीं हैं कि उसके आगे आने वाली ज़िंदगी को सुखद बनाने के लिए उसे क्या सुझाव दिए जाएँ तो चलिए हम आपकी मदद कर देते हैं-
हर परिवार के सभी सदस्यों का स्वभाव अलग-अलग होता है। ऐसे में अपनी बेटी को ससुराल के परिवार के सभी सदस्यों को शांत भाव से देखने-समझने की सलाह दें। सभी सदस्यों के स्वभाव को समझने से आगे आने वाली ज़िंदगी की काफ़ी परेशानियाँ तो यूं ही सुलझ जाएँगी। साथ ही सबकी पसंद और नापसंद जानना, उनकी खुशी का ख्याल रखने की भावना आपकी बेटी को सबकी लाडली बहू बनाने में मददगार साबित होगी।
और हां, अपने पति के स्वभाव, पसंद – नापसंद को ज़रूर ख़्याल रखने की सलाह अवश्य दीजिए। आखिर सारी ज़िंदगी का साथी तो वो ही है।
ससुराल जाने के बाद वहाँ के तौर-तरीकों और रहन-सहन को जानने-समझने की सलाह अपनी बेटी को ज़रूर दें। इससे वह सहज रूप से वहाँ के रहन-सहन को समझकर आसानी से उन्हें अपना पाएगी।
हर छोटे – बड़े सदस्य को किसी भी तरह की मदद की ज़रूरत हो तो घर की सदस्या होने के नाते अपनी बेटी को तुरंत उनकी मदद को तैयार रहने को कहिए। इससे आपकी बेटी जल्द ही घर भर की आंखों का तारा बन जाएगी।
भूलकर भी ससुराल की तुलना मायके से न करें। हो सकता है ससुराल की कोई बात आपको अच्छी न लगे या कुछ बातें वाकई गलत हों लेकिन कुछ भी बोलने से पहले थोड़े समय तक देखें-समझें। आप खुद अभी इस घर में नई सदस्या हैं, इसलिए शांति और समझदारी से काम लें।
जब आप कुछ समय बाद ससुराल में घुल मिल जाएंगी, तब आप धीरे-धीरे अपनी बातें आसानी से आगे रख पाएँगी।
आप इस घर की बहू और स्थाई सदस्या हैं इसलिए ध्यान रहे कि अपने ससुराल से जुड़ी हर बात को मायके वालों से न कहें। इससे आपकी बेटी अपने ससुराल पक्ष पर अपना भरोसा कायम करने में सफल होगी। वैसे भी दोनों परिवारों के बीच मधुर संबंध स्थापित करने में आपकी बेटी यानी उनकी बहू की मुख्य भूमिका होती है।
हर घर के अपने रीति – रिवाज होते हैं। अब जबकि आप इस घर की बागडोर संभालने वाली हैं तो आपको यहां के रीति – रिवाज को अपनाना चाहिए। शुरुआत में ये आपको कठिन या अजीब लग सकता है लेकिन यह बात तो आपने सुनी होगी कि हमारा देश विभिन्न संस्कृतियों को समेटे हुए है इसलिए इनको नकारना आपकी छवि को ख़राब कर सकता है। धीरे – धीरे ये सब आपको अच्छा लगने लगेगा।
सबसे प्यार से मुस्कुराकर बात करने का ढंग आपको वैसे ही सबके क़रीब ला देगा इसलिए सबसे मीठे बोल बोलने को अपनी बेटी से कहिए। एक कहावत भी है कि इंसान गुड़ न दे तो कम से कम गुड़ की सी बात तो करे, इसी से दिल को सुकून मिल जाता है, कोई पराया भी अपना बन जाता है फिर ये तो आपके अपने हैं।
बहुत सी ऐसी बातें होंगी जो अपने नए घर यानी ससुराल में आपको बुरी या अटपटी महसूस होंगी लेकिन इन सबको आपके लिए तुरंत बदलना मुश्किल है हां समय के साथ आपकी बेटी इनको ठीक करने की कोशिश कर सकती है।
नए लोग, नए परिवार में जाकर आपको अपनी जगह बनाने में समय लगेगा इसलिए बेहतर होगा कि किसी से ज़्यादा उम्मीदें न करें। शुरुआत में आपको सबको अपना बनाने में समय लगेगा। ऐसे में ज़रूरी नहीं कि सब आपकी उम्मीदों पर खरे उतरें। कुछ समय बाद सब आपकी इच्छा की कद्र करने लगेगें। थोड़ा सब्र रखें। अपनी बेटी को इसके लिए तैयार करें।
आप अब एक घर की बहू हैं इसलिए आपको लेकर ससुराल के लोगों के भी कुछ अरमान होंगे। कुछ भावनाएं आपसे जुड़ी होंगी। उनकी भावनाओं की कद्र करें। कुछ समय बाद वे आपकी पसंद नापसंद को भी समझ जाएंगे और आपकी यानी अपनी बहू को भी समझना शुरू कर देंगे। यह बात अपनी ससुराल जाती बेटी को समझाइए।
सबका अपना अलग रवैया होता। कोई जल्दी से अपने मन की बात बता देता है तो कोई चुपचाप रहने वाला होता है। किसी को जल्दी गुस्सा आता है तो कोई गुमसुम हो जाता है। ऐसे में किसी के प्रति जल्द राय न बनाएं, पहले देखें, समझें फिर बात करें। क्या पता जिसे आप बुरा समझ रही हों वह दिल से बहुत भला हो। यह सीख बहू के किरदार में ढलने जा रही बेटी को ज़रूर दें।
इसके साथ ही कुछ और महत्वपूर्ण बातें बेटी को बताएं। ऊपर दी गई बातें सब मानो बेटी को दी गई नसीहतें हैं लेकिन उसका अपना भी अस्तित्व है, उसकी भी पहचान है, वह भी इंसान है, दूसरे घर से अपना सब कुछ छोड़कर आई है। ऐसे में एक माँ अपनी बेटी को अपने लिए भी वह इन बातों का ख्याल रखने को कहे –
शुरुआत में ससुराल में सब कुछ नया व परायापन लिए होता है। मन कई बार मन उचट जाता है लेकिन धैर्य रखें समय के साथ सब अपना लगने लग जाता है। यह परिवार ही कब अपना हो जाता है, पता ही नहीं चलता।
ससुराल में सबका सम्मान करना चाहिए पर अपने आत्मसम्मान को दांव पर लगाकर नहीं। आप एक पढ़ी लिखी होनहार बहू हैं तो अपने आत्मसम्मान को ठेस न लगने दें। ससुराल में जो भी बात करें आत्मविश्वास के साथ करें। धीरे -धीरे सब आपकी खूबियों से परिचित होंगे।
जब आपको अपनी पूरी ज़िंदगी यहीं बितानी है तो अपने मन की बातें भी घर के लोगों से करिए। आप क्या चाहती हैं, यह घर के सदस्यों को बताइए पर बहुत प्यार व अपनेपन के लहज़े से। उन पर अपना हक़ जताइए, आप भी उनकी हो जाइए। यह बहुत ज़रूरी भी है कि आप अपने मन की बात घर में बताएं क्योंकि मन की इच्छाओं को दबाकर रखने से कुंठा जन्म लेती है जो किसी के लिए अच्छी नहीं होती।
इन सुझावों पर अपनी बेटी को अमल करने को कहिए, आपकी बेटी ज़िंदगी भर खुशियों के पल समेटेगी और वह कभी पीछे मुड़कर नहीं देखेगी।
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