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शादीशुदा हैं तो यह गलतियाँ कभी न करें – अपनी शादी की लाइफटाइम वैलिडिटी बनाए रखें

एक दुपहिए में दोनों पहियों का जितना महत्‍व होता है, उतना ही महत्‍व शादी में दम्‍पत्तियों के रिश्‍ते में होता है। आपकी शादी त‍ब तक नहीं चल स‍कती जब तक उसके दोनों पहिए या कहें दोनों साथी एक साथ चलने के लिए राजी न हो। और अगर ऐसा नहीं होता है तो या तो उस दुपहिए या रिश्‍ते को चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है या फिर असंभव।

अब जब शादी की बात आई है तो हमेशा इस बात को याद रखें कि शादी केवल गाजे-बाजे और चमक-धमक तक ही सीमित नहीं होती है। शादी अपने साथ बहुत सी जिम्‍मेदारियां लेकर आती है और इन जिम्‍मेदारियों की वैलिडिटी लाइफटाइम होती है। तो अपनी इस लाइफटाइम वैलिडिटी को कैसे बनाएं रखें और ऐसा क्‍या करने से बचें, चलिए इस पर एक नजर डालते है।

जीतने के लिए लड़ना

देखिए सच यह है कि बात केवल अरेंज या लव मैरिज की नहीं होती, बल्कि परेशानियां और मन-मुटाव हर शादी में होते हैं। पर इसके बावजूद कुछ लोग अपनी समझदारी के कारण बिना किसी का मन मारें अपने इस रिश्‍ते के साथ पूरा न्‍याय कर पाते हैं। जबकि कुछ शादी के पहले महीने से ही मन-मुटाव के ऐसे जाल में फंसते है कि चाह कर भी निकल नहीं पाते है।

इसकी वजह सामान्‍य है, मनुष्‍य की यह मानसिकता है कि वह जीतना चाहता है। और जब यह भावना आपके शादी के रिश्‍ते में आ जाएं तो स्थिति और भी ज्‍यादा खराब होती चली जाती है। उसके बाद आपसी चर्चाओं और लड़ाइयों में जीत हासिल करना मुख्‍य विषय बन जाता है। हमेशा समस्‍या पर चर्चा कर उसका समाधान निकालने का प्रयास करें न कि लड़कर जीतने का।

इतिहास को कुरेदना

हर बार किसी बहस में पुरानी बातों और पुरानी लड़ाइयों को लाकर रख देना, बहुत बड़ी बेवकूफी है। अक्‍सर ल़ड़ाइयों में किसी न किसी की गलती होती है। मगर हर लड़ाई पर पुरानी लड़ाइयों के आरोप-प्रत्‍यारोप लगाना गलत है। ऐसा करने से बचें। ऐसा करना आपके साथी के मन में इस बात की भावना को जन्‍म देगा कि अगर वह प्रयास भी करें तो भी आप पुरानी गलतियों को भूलने वाले नहीं है।

बेइमान होना

विषय से साफ है कि आपको अपने साथी से झूठ नहीं बोलना चाहिए। कई बार आपके इस रिश्‍ते के खराब होने का कारण आपकी यह बेइमान सोच होती है। बेइमानी चाहे पैसों की हो, शॉपिंग की हो या फिर अपने रिश्‍ते की हो, बेइमानी बेइमानी ही होती है। और जब भी आपको या आपके साथी को इस बेइमानी का पता चलता है आपके रिश्‍तों में दरार आने लगती है।

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दूसरों का दखल देना

कई बार रिश्‍ते आपकी आपसी समस्‍याओं के कारण नहीं बल्कि आपके रिश्‍ते में लोगों की दखल अंदाजी की वजह से खराब हो जाते है। यहां पर लोग आपके अपने माता-पिता, आपके रिश्‍तेदार, आपके करीबी दोस्‍त हैं। याद रहें कि यह आप दोनों की जिम्‍मेदारी है कि कैसे दूसरों को अपने रिश्‍ते से दूर रखें। यदि आप स्‍वयं दूसरों को अपनी छोटी-छोटी बातों पर बोलने का अवसर देंगे तो बातें और रिश्‍ते दोनों खराब ही होंगे।

बेइज्‍ज्‍त करना

क्‍या हर बार यह मौका तलाश कर रहें होते है‍ कि कैसे भी आप अपने जीवनसाथी का मजाक बना पाए? यदि आप सामाजिक तौर पर लोगों के बीच या चार लोगों के बीच अपने जीवनसाथी का मजाक बनाते है तो यह बात उनके‍ दिल को दुखा सकती है। और यह दुख या चुभव का भाव मन-मुटाव का रूप लें रिश्‍तों को बिगाड़ सकता है। इसलिए एकदूसरे का सम्‍मान करना सीखें। समाज के बीच में अपमानित करना आपके बदले की भावना को दर्शाता है।

गुस्‍से पर नियंत्रण न रखना

गुस्‍सा होना या आना सामान्‍य है। मगर इतना गुस्‍सा दिखाना कि सामने वाला इस डर से चुप रहें कि आप गुस्‍सा करेंगे, गलत है। आपको लगता है कि आपके गुस्‍से के डर के कारण आपके साथी चुप रहेंगे मगर सच यह है कि आपका यह गुस्‍सा आपके साथी के मन में आपके प्रति द्वेष की भावना को जन्‍म देता है। आपका गुस्‍सा किसी भी समस्‍या का निवारण नहीं कर पाएगा बल्कि समस्‍याओं को और भी अनकहा कर देगा।

प्‍यार की कमी होना

यदि आपके दाम्‍पत्‍य जीवन में प्‍यार की कमी हो जाती है तो आप चिढ़चिढ़े होने लगते है। प्‍यार का अर्थ केवल सैक्‍स नहीं है। प्‍यार एकदूसरे के प्रति केयर दिखाकर, गले लग कर या एक किस के माध्‍यम से भी अपने इस प्‍यार को बनाएं रख सकते है। मगर यदि आप यह सब भी नहीं कर पाते है तो आपका रिश्‍ता खतरे में पड़ सकता है।

बात न करना

अगर आप किसी चीज को लेकर नाराज है या आपको कोई परेशानी है, आप त‍क तक उसका समाधान नहीं कर सकते जब तक आप बात न करें। पर अक्‍सर होता यह है कि आप नाराज होते है और आप बात करना बंद कर देते है। आपको यह लगता है कि सामने वाला खुद समझे कि आप किस बात पर नाराज है और आपको मनाएं। मगर आपका साथी आपकी भावनाओं को हर बार कैसे समझ सकता है? किसी भी समस्‍या का निवारण करने के लिए उस पर ठंडे दिमाग से बात करना जरूरी है।

निर्णय लेते समय राय न लेना

क्‍या आप भी निर्णय खुद ही ले लेते हैं और उसके बाद अपने साथी को बताते हैं? यह गलत है। कोई भी चीज, चाहे वह कितनी ही छोटी हो या बड़ी हो, एक दूसरे से आपसी सलाह करने के बाद ही निर्णय लें। आपसी राय लेना आपकी समझ पर प्रश्‍न चिन्‍ह नहीं लगाता, बल्कि यह दर्शाता है कि आप अपने साथी को कितना महत्‍वपूर्ण समझते हैं और कितना पयार करते हैं।

याद रखें, हर रिश्‍ते को जीने के लिए उसे ऑक्‍सीजन की आवश्‍यकता होती है। और आपके दाम्‍पत्‍य जीवन का ऑक्‍सीजन आपका प्‍यार, सम्‍मान, एकदूसरे पर विश्‍वास है। इसलिए अपने दाम्‍पत्‍य जीवन को इन सब चीजों से पोषित करते रहें और खुश रहें।

प्रीति बिष्ट

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