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गर्ल्स पीरियड / मासिक चक्र: पाइये अपने हर सवाल का जवाब

मासिक धर्म: सामान्य परिचय

आमतौर पर लड़कियों में 10 से 15 साल की उम्र के मध्य से प्रारम्भ होने वाले मासिक धर्म में हर महीने लड़कियों के अंडाशय एक विकसित डिम्ब (अंडा) उत्पन्न करने लगते है. यह डिम्ब फैलोपियन ट्यूब या अण्डवाहिका नली (अंडाशय को गर्भाशय से जोड़े रखने वाली नली) के जरिए गर्भाशय में प्रवेश कर जाता है.

डिम्ब के गर्भाशय में प्रवेश करते ही गर्भाशय में उपस्थित रक्त और तरल पदार्थों के संपर्क में आने से गाढ़ा होकर उर्वरित हो जाता है. साथ ही साथ गर्भाशय की भीतरी सुरक्षा परत भी परिपक्व होती जाती है. यह प्रक्रिया हर महीने दोहराई जाने से अंडा उर्वरित हो शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित होने में सहायक होता है.

यदि महिलाओं में उपस्थित इस डिम्ब का पुरुष के शुक्राणु से सम्मिलन नहीं होता तो यह योनि के माध्यम से स्त्राव के जरिए शरीर से बाहर निष्कासित हो जाता है. हर महीने होने वाले इसी स्त्राव एवं निष्कासन को मासिक धर्म या महावारी के नाम से जाना जाता है.

महिलाओं के शरीर में दो अंडाशय और एक गर्भाशय होता है. माँ के गर्भ में ही बालिका के अंडाशय में बने इन अंडाणुओं की संख्या 7 मिलियन होती है, जो बाहर आने पर 2 मिलियन रह जाती है. महावारी के समय हर महीने नए अंडाणु गर्भाशय में प्रवेश करते हैं. मासिक धर्म को लेकर कईं लोगों द्वारा अनेक प्रश्न पूछे जाते हैं.

आज आपको इस लेख के ज़रिये मासिक धर्म के संबंध में पूछे गए प्रत्येक सवाल एवं उनके जवाबों से अवगत कराया जाएगा.

मासिक धर्म के संबंध में पूछे गए सवाल एवं उनके जवाब

1. किस उम्र में मासिक धर्म शुरू होने एवं किस उम्र में इसके समाप्त होने की सम्भावना रहती है और इसकी अवधि क्या है?

मासिक धर्म शुरू होने की कोई निश्चित उम्र नहीं होती. परन्तु सामान्य रूप से इसकी शुरुआत 8 साल से 17 साल के मध्य होने लगती है. मासिक धर्म या महावारी के शुरू होने पर लड़कियों के स्वास्थ्य, उनकी पारिवारिक स्थिति या उनके रहने के स्थान का भी प्रभाव पड़ सकता है.

सामान्यतः 40 से 60 साल की उम्र के मध्य मासिक धर्म चक्र समाप्त होने लगता है. सामान्यतः मासिक चक्र का समय महीने में एक बार अर्थात लगभग 28 से 32 दिन में एक बार होता है. मासिक धर्म की सामान्य अवधि 3 से 5 दिन ही होती है परन्तु कभी-कभी 6 से 7 दिन तक भी महिलाओं की योनि में से रक्तस्त्राव होता है. इसीलिए मासिक धर्म की अवधि को 2 से 7 दिन माना गया है.

 2. क्या मासिक धर्म के समय महिलाएँ गर्भवती हो सकती है?

पुरुषों का शुक्राणु महिलाओं की योनि में 5 दिन तक जिन्दा रहता है. यदि मासिक धर्म के समय लड़कियों द्वारा असुरक्षित सेक्स किया जाता है, तो मासिक धर्म के बाद उत्सर्जित डिम्ब, शुक्राणु द्वारा निषेचित किए जाने का ख़तरा रहता है.

3. डिम्ब के उत्सर्जन का पता कैसे लगता है? और क्या मासिक धर्म के तुरंत बाद डिम्ब उत्सर्जित हो सकता है?

महिलाओं में डिम्ब का उत्सर्जन अगले मासिक धर्म से 14 दिन पूर्व होता है, अर्थात अगले मासिक धर्म के शुरू होने के पूर्व के 12-16 दिनों के मध्य में. यदि आपके मासिक धर्म के मध्य हर माह लगभग 28 दिन का अंतराल रहता है, तो मासिक धर्म में तुरंत बाद डिम्ब उत्सर्जन की सम्भावना अपेक्षाकृत कम होती है. परन्तु यदि मासिक धर्म के मध्य अंतराल अनियमित हो जैसे- 21 दिन या 42 दिन, तो डिम्ब उत्सर्जन मासिक धर्म के तुरंत बाद होने की अधिक सम्भावना रहती है.

4. क्या मासिक धर्म शुरू होने के पूर्व लड़कियाँ गर्भवती हो सकती है?

लड़कियों में डिम्ब उत्सर्जन अगले मासिक धर्म से 12-16 दिन पूर्व होने लगता है. अतः डिम्ब उत्सर्जन के उपरांत एवं अगले मासिक धर्म के शुरू होने से पूर्व लड़कियाँ गर्भवती हो सकती हैं

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5. क्या मासिक धर्म नहीं होने पर भी डिम्ब उत्सर्जन होता है?

जी हाँ| कम वजन वाली, बच्चे को अपना दूध पिलाने वाली या रजोनिवृत्ति के करीब होने वाली महिलाओं में मासिक धर्म के बिना भी डिम्ब उत्सर्जन की सम्भावना रहती है|

6. अनियमित या रुक-रुक कर मासिक धर्म आने की समस्या 

महिलाओं को स्वस्थ एवं प्रजनन प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने के लिए महिलाओं में हर महीने मासिक धर्म उचित समय पर एवं उचित अवधि के लिए आना अति आवश्यक है.

अनियमित या रुक-रुक कर मासिक धर्म चलने से यह महिलाओं की प्रजनन क्रियाओं पर प्रभाव डालकर उन्हें अस्वस्थ भी बना सकता है. महिलाओं में मासिक धर्म अनियमितता के अनेक कारण होते हैं.

उनमें शामिल है- महिलाओं का आलसीपन, अज्ञात कारण से रोग उत्पन्न होना, खून की कमी, ठंडी चीज़ों का अधिक उपयोग, खान-पान में बदलाव आदि. अतः उचित मासिक धर्म बनाए रखने के लिए उपरोक्त बातों में सावधानी बरतनी अत्यधिक आवश्यक है.

7. एक मासिक चक्र में महिलाओं का कितना रक्त निकलता है और पैड कितनी बार बदलना पड़ता है?

महिलाओं के एक मासिक चक्र में लगभग 15 से 80 (औसतन 35) मिलीलीटर तक रक्त का स्त्राव हो जाता है. पैड को अधिकतम 8 घंटे तक या ज़्यादा गीला नहीं होने तक ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए, क्योंकि ज़्यादा गीला या अधिक लम्बे समय तक इस्तेमाल किया गया पैड गंदगी, दुर्गन्ध एवं इंफेक्शन का कारण बन सकता है.

8. गर्भावस्था के समय महावारी क्यों नहीं होती ?

महावारी के समय गर्भाशय में विकसित होने वाला अंडा या डिम्ब, जब पुरुष के शुक्राणु से निषेचन करता है, तो यह गर्भाशय के संस्तर से जुड़कर वहीं विकसित होने लगता है. इस प्रक्रिया को गर्भ ठहरना भी कहा जाता है.

इस प्रक्रिया के साथ ही साथ विशेष प्रकार के हार्मोन्स का स्त्राव भी गर्भाशय में होने लगता है. यह हार्मोन्स गर्भाशय के संस्तर को पतला कर देते हैं, जिस कारण से रक्त का स्त्राव शरीर से बाहर नहीं हो पाता.

दूसरी ओर कुछ हार्मोन्स इस अवधि के दौरान अंडाशय में अंडाणु बनने की प्रक्रिया पर भी रोक लगा देते हैं. इसी कारण से गर्भावस्था के समय महावारी एवं रक्त स्त्राव नहीं होता.

अतः मासिक धर्म से जुड़े अनेक प्रश्नों के उत्तर यहाँ विस्तार से वर्णित किए गए है. जिन्हें समझकर आप मासिक धर्म के समय होने वाली परेशानियों एवं समस्याओं से बचे रह सकते हैं.

 

 

Shalu Mittal

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