मेहँदी हमारे यहाँ का बहुत पुराना रिवाज और प्राचीन कला है। इसके इतिहास के बारे में बात करें तो भारत में मेहँदी को लाने वाले मुगल थे। 12वीं शताब्दी ईस्वी में मेहँदी का प्रवेश भारत में हुआ। इस अवधि के दौरान शाही और समृद्ध लोग इस काला का उपयोग अपने हाथों को सजाने के लिए करते थे। इसका मूल मिस्त्र से हो सकता है क्योंकि यह मिस्त्र के विभिन्न काला रूपों में से एक था।
भारत की हर एक बोली में आपको मेहँदी पर लिखे हुए गीत और शायरी मिल जाएगी। हथेली के साथ ही मेहँदी अपना रंग हर उत्सव में बिखेर देती है। किसी भी शुभ कार्य में मेहँदी का असाधारण महत्व है। मेहँदी डिज़ाइन के विभिन्न प्रकार है क्योंकि एक कभी भी काफी नहीं होता। क्या आप यह जानते हैं कि जिस शैली के बारें में आपको पता है, मेहँदी उससे कई ज़्यादातर डिज़ाइन में बनाई जाती है।
तो आज हम आपको विभिन्न प्रकार के डिज़ाइनों से अवगत कराएंगे।
१. भारतीय मेहँदी डिज़ाइन
भारतीय मेहँदी में सुंदर रूप से विभिन्न चीजों को शामिल किया जाता है। इस डिज़ाइन में आपको मोर, फूल पत्ते और अनोखे घुमावदार और घुँघराले पैटर्न देखने को मिलेंगे। दोनों हाथों पर हाथों की पूरी कवरेज के लिए, हाथों के आगे से लेकर पीछे तक एकल पगडंडियों की तरह डिज़ाइन बनाई जाती है। इस शैली में डिज़ाइन निकलते समय दो आकार के बीच ज्यादा जगह नहीं छोड़ी जाती, जिससे के यह डिज़ाइन बहुत भरा-भरा दिखाई देता है। भारतीय मेहँदी शैली में दुल्हन मेहँदी में हाथों को ढोलक, दूल्हा-दुल्हन की आकृति, पालकी, मंडप, कलश और शादी की रस्मों को दर्शाती हुई विभिन्न कलाकृति के साथ हाथों को सजाया जाता है।
२. अरबी मेंहदी डिज़ाइन
मेहँदी कला की एक और शैली जो अपनी गहरी लाइनों और आकारों के बीच ज्यादा जगह रखने के लिए जानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस शैली कि उत्पत्ति खाड़ी देशों में हुई है। यह भारतीय मेहँदी से बिलकुल अलग है, इसमें भारी कवरेज (आवृत क्षेत्र) के विरुद्ध कम से कम बोल्ड कलाकृतियों को शामिल किया जाता है।
इसमें डिज़ाइन काफी नाजुक होता है लेकिन इसकी रूपरेखा (आउटलाइन) पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस शैली का मुख्य केंद्र इसमें बनाई जाने वाली लकीरे हैं। जिन लोगों को अपने हाथों पर भारी मेहँदी लगाना नहीं पसंद है उन्हें यह डिज़ाइन बहुत पसंद आता है।
३. पाकिस्तानी मेहंदी डिजाइन
पाकिस्तानी मेहँदी, पाकिस्तानी मूल्यों पर ज्यादा केन्द्रित है। जबकि इसमें भारतीय शैली की तरह कैरी और पुष्प डिज़ाइन समान है लेकिन पाकिस्तानी मेहँदी में कलश, ढ़ोल, शहनाइयों के स्थान पर गुंबद और मस्जिद के दरवाजों की कलाकृति देखने को मिलती है। इस शैली में काली मेहँदी का प्रयोग भी किया जाता है जो कि ज़्यादातर आकार की रूपरेखा बनाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। और हिना का प्रयोग आकार को सजाने के लिए।
४. हिन्दू-अरबी मेहँदी डिज़ाइन
जैसे कि इसका नाम है, इसमें भारतीय और अरबी, दोनों मेंहदी शैलियों का संगम दिखाई देता है। यह फ्यूजन आर्ट के सबसे खूबसूरत उदाहरणों में से एक है। इस शैली में भारतीय मेहँदी के पैटर्न का उपयोग किया जाता है और रूपरेखा अरबी मेहँदी की तरह गहरी की जाती है। भारतीय शादियों में दुल्हन को छोड़कर बाकी सब इसी शैली की मेहँदी अपने हाथों में लगाते हैं। क्योंकि इस शैली में हाथ न तो ज्यादा भरे हुए दिखाई देते हैं न ही ज्यादा रिक्त।
५. मोरक्कन मेहँदी डिज़ाइन
मोरक्कन मेहँदी डिज़ाइन को अपने यूनिसेक्स डिज़ाइन के लिए जाना जाता है। यह शैली का प्रयोग उन पुरुषों द्वारा भी किया जाता है जो मेहँदी टैटू में रुचि रखते हैं। मेहँदी शैली के इस प्रकार में ज्यामितीय आकार (जैसे त्रिकोण, चौकोन, गोलाकार), पारंपरिक जनजातीय पैटर्न, हीरे के आकार और प्रमुख बिन्दु शामिल है। दोनों हाथों में एक समान डिज़ाइन बनाना इस मेहँदी की खासियत है।
६. मुग़लई मेहँदी डिज़ाइन
यह मेहँदी का डिज़ाइन सबसे पुराना और पारंपरिक माना जाता है। इस शैली में हथेली के केवल एक छोटे से भाग को रिक्त रखा जाता है। पहले इसमें मुग़लों द्वारा बनाए गए मंदिरों और गुंबद के आकार को बनाया जाता था। समय परिवर्तन के कारण अब इसमें फूल, पत्तियाँ और कैरी के आकार को भी शामिल किया जाने लगा। मुगलई मेहँदी डिज़ाइन को कभी भी कोहनी की तरफ आगे से नहीं बनाए जाता।
इन सब शैलियों के अतिरिक्त वेस्टर्न मेहँदी, ग्लिटर मेहँदी, फ्लोरल मेहँदी, टैटू मेहँदी और भी कई अन्य प्रकार के नवीन डिज़ाइन देखने को मिलते है। आपको इनमें से कौन सी शैली सबसे ज्यादा पसंद आई यह हमें कमेंट में जरूर बताइएगा।
प्रातिक्रिया दे