हिन्दू धर्म में मंगलसूत्र को विवाह का एक प्रतीक चिन्ह और स्त्री के सुहाग की निशानी माना गया है। मंगलसूत्र की महिमा का पता तो इसके नाम से ही चल जाता है। मंगल का अर्थ होता है पवित्र या शुभ और सूत्र का अर्थ है धागा। इस तरह से मंगलसूत्र का अर्थ हुआ ऐसा धागा जिसे धारण करने से मंगल ही मंगल हो।
मंगलसूत्र वधू को वर द्वारा विवाह के समय पहनाया जाता है। यह एक ऐसा गहना है जिसके बिना हिन्दू विवाह को पूर्ण नहीं माना जाता है। विवाह के लिए बैंड-बाजे, फूल-पत्तियों की से की हुई सजावट, मंडप, नाच-गाना, मिठाइयाँ, तरह-तरह के पकवान, डिजाईनर कपड़ों, मेकअप, गहने, परफ्यूम, ब्याह के गीतों, रस्मों, इन सबका काफी ज्यादा महत्व है, लेकिन इन सबसे बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है मंगलसूत्र।
मंगलसूत्र के बिना हिन्दू विवाह को अपूर्ण ही माना जाता है। मंगलसूत्र पहनाना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना दूल्हे द्वारा दुल्हन की मांग भरना, वर और वधू दोनों का अग्नि के इर्दगिर्द फेरे लेना, और विवाह के वचन बोलना। पुराने जमाने में विवाह के समय काले रंग के मोतियों वाले सोने के मंगलसूत्र की बजाय हल्दी की लेप में डुबोया हुआ धागा वर द्वारा वधू के गले में बांधा जाता था। इसे बांधते समय तीन पक्की गांठें बांधी जाती थीं जिनमें से केवल पहली गांठ पति द्वारा जबकि बाद की दो गांठें वधू की ननद द्वारा बांधी जाती थीं। इस विधि के दौरान पंडितजी लगातार पवित्र मंत्रों का पाठ करते रहते थे।
ज्यादातर हिन्दू महिलाओं के लिए मंगलसूत्र एक अनमोल गहना है जो पति और पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि मंगलसूत्र का जो भाग सोने से बना होता है वो देवी पार्वती को दर्शाता है और काले मोती भगवान शिव को दर्शाते हैं। हिन्दू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के वैवाहिक जीवन को आदर्श माना गया है। इसलिए मंगलसूत्र पहनने का उद्देश्य यह भी होता है कि इसे पहनने वाली स्त्री और उसके पति का वैवाहिक संबंध भी माता पार्वती और भगवान शिव की तरह ही मधुर और सफल हो।
वैसे तो आजकल के ज़माने में जो चीज ज्यादा महंगी होती है, उसी का ज्यादा महत्व होता है। लेकिन बात जब मंगलसूत्र की हो तो यहां मामला कुछ अलग है। एक धागे में पिरोये हुए कुछ सुनहरे और काले मोतियों को ही मंगलसूत्र माना जाता है। कई बार इस धागे में एक लॉकेट भी लटकाया हुआ होता है। इसमें मोर का डिजाईन होना भी जरूरी माना जाता है।
काले मोतियों को चांदी, सोने, या किसी अन्य तरह की चेन में भी पिरोया जा सकता है, लेकिन एक सामान्य, सस्ते से धागे में पिरोये हुए काले मोती भी उतना ही महत्व रखते हैं जितना कि सोने की चेन में पिरोये मोती। ऐसी मान्यता है कि काले रंग के मोतियों में बुरी नजर से सुरक्षा प्रदान करने की शक्ति होती है।
मोर को पति के लिए स्त्री के मन में जो प्रेम और समर्पण का भाव होता है, उसका प्रतीक माना गया है। लॉकेट के विषय में मान्यता है कि लॉकेट अमंगल की संभावनाओं से स्त्री के सुहाग की रक्षा करता है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में सांस्कृतिक भिन्नता होने के कारण मंगलसूत्र के डिजाईन में भी भिन्नता होती है, लेकिन मंगलसूत्र का चाहे जो भी डिजाईन प्रचलित हो, ज्यादातर हिन्दू महिलायें इसे अनमोल मानती हैं और विवाह के प्रतीक के रूप में इसे पहनना पसंद करती हैं।
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