“यत्र नार्यस्ते पूज्यन्ते तत्र देवता रमन्ते” और “ढ़ोल गंवार शूद्र पशु नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी”…दोनों वाक्य ही एक दूसरे के विरोधी होते हुए भी भारतीय सभ्यता में सदियों से प्रचलन में हैं।
पहले वाक्य में नारी को पूजन का अधिकारी माना गया है, तो दूसरे में अपमान का। लेकिन क्या वास्तव में भारतीय महिलाएं सदा से अपमान ही सहती आयीं हैं। यह वही भारत भूमि है, जहाँ नारी को दुर्गा, काली और शक्ति का रूप माना गया है।
वैदिक संस्कृति में महिलाओं को पुरुषों से ऊंचा स्थान ही प्राप्त था। इसी कारण नारी की पूजा और सम्मान को देवताओं के सम्मान के बराबर माना गया। लेकिन समय के साथ महिलाओं के अधिकार और उनकी शक्ति पर्दे के पीछे चली गयी और उनकी तुलना पशु के साथ करके उनका अपमान करने का प्रयास किया गया।
शिक्षा के प्रचार और प्रसार ने भारतीय महिलाओं की अस्मिता का पुनरुत्थान किया और दुनिया के नक्शे पर भारतीय महिलाओं ने परचम लहराना शुरू कर दिया। समाज के हर क्षेत्र में भारतीय महिलाओं ने अपना दबदबा बना दिया है।
राजनीति, बैंकिंग, तकनीकी दुनिया से लेकर अन्तरिक्ष तक में जाकर झण्डा फहराकर भारतीय महिलाओं ने सशक्तिकरण का अच्छा उदाहरण दिया है।
इस बात को प्रमाणित करने के लिए इन महिलाओं का जिक्र काफी है, जिन्होनें पिछले दशक में विभिन्न क्षेत्रों में अपना दुनिया में अपना लोहा मनवाया है.
25 विश्व प्रसिद्ध और शक्तिशाली महिलाओं में शामिल होने वाली महिलाओं में सबसे पहला नाम चंदा कोचर का आता है। आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख ने 1984 में इस बैंकिंग समूह बतौर ट्रेनी शामिल हुईं थीं। 1996 में डिप्टी जनरल मैनेजर बनती हुईं कोचर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती गईं और बैंकिंग व्यवस्था का इतिहास बदलकर उसकी प्रमुख भी बन गईं।
गुजरात के अहमदनगर में पली-बढ़ीं सुनीता अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा में शामिल होने वाली दूसरी भारतीय महिला हैं। एक महिला अन्तरिक्ष यात्री के रूप में इन्होनें 195 दिनों तक अन्तरिक्ष में रहने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम करके यह सर्व शक्तिशाली महिला बन गईं।
अस्सी के दशक में सबसे पहली आईपीएस महिला के रूप में किरण बेदी ने अपना लोहा उस समय मनवाया जब देश महिलाओं के अपहरण और बलात्कार से दहल रहा था।
विभिन्न पदों पर अपनी कुशलता सिद्ध करती हुई किरण बेदी पुलिस के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन होती रहीं हैं। ‘रोमन मैग्सेसे अवार्ड’ से सम्मानित किरण बेदी महिला सशक्तिकरण का जीता-जागता उदाहरण हैं।
भारत के एक छोटे से गाँव से आयीं मैरी कॉम ने मुक्केबाजी के क्षेत्र को विश्व के मंच पर प्रतिष्ठा दिलवाई है। पाँच बार विश्व विजेता बनी मैरी कॉम को अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से नवाजा जा चुका है ।
दुनिया की कोल्ड ड्रिंक की सबसे बड़ी कंपनी पेपसिकों की सीईओ इन्दिरा नुई भारतीय मूल की हैं । गत वर्षों में फोर्ब्स और फॉर्च्यून जैसी मैगजीन्स ने उन्हें अनेकों बार दुनिया की ताक़तवर महिलाओं की श्रेणी में रखा है।
इनके अलावा भारत में अनेकों अनजानी महिलाएं हैं, जिन पर शायद किसी समाचार पत्र या मैगजीन की नज़र नहीं पड़ी है। लेकिन उन्होनें अपने दायरे से बाहर आकर कुछ ऐसा असंभव किया है, जिसके कारण सबको उनकी शक्ति का लोहा मानना पड़ा है।
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