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महामृत्युंजय मंत्र के जाप के फायदे। क्यों इस मंत्र को इतना शक्तिशाली माना जाता है?

“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्”

भगवान् भोलेनाथ को देवों का देव और कालों का काल माना गया है। इन्हीं स्वयंभू और अविनाशी बाबा भोलेनाथ का मन्त्र है महामृत्युंजय मंत्र। महामृत्युंजय मंत्र भोलेनाथ को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का मन्त्र है।

अद्भुत शक्ति है महामृत्युंजय मंत्र में:

इस मंत्र की शक्ति का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वयं भगवान् शिव द्वारा यह मन्त्र ऋषि मार्कंडेय को यमराज से रक्षा के लिए दिया गया था।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार गंभीर रुप से बीमार व्यक्ति या फिर मृत्यु के करीब पहुंचे लोगों को भी जीवन दान देने का सामर्थ्य है महामृत्युंजय मंत्र में।

ज्योतिषों और पंडितों का मानना है कि मौत को टालने और आयु बढ़ाने के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। यह भी माना जाता है कि महामृत्युंजय का प्रयोग शीघ्र फल देता है। इसी वज़ह से ज्योतिष और पंडित बीमार जनों को इसका जप करने की सलाह देते हैं।

यदि कोई व्यक्ति स्वयं विधिपूर्वक इसका जप करने में असमर्थ हो, तो वह योग्य और जानकार पंडितों द्वारा भी इसका जप करवा सकता है।

माहामृत्युन्जय मन्त्र के फायदे:

1) यदि व्यक्ति की जन्म कुंडली में काल सर्पदोष या चंद्र-राहु युति के फलस्वरूप उत्पन्न ग्रहण दोष हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप अत्यंत लाभकारी होता है।

2) यदि सूर्य आदि ग्रहों के कारण किसी भी प्रकार का अनिष्ट का भय हो या मारकेश आदि के कारण किसी प्रकार के भयंकर रोग का योग बन रहा हो तो इससे छुटकारा पाने में महामृत्युंजय मंत्र मदद करता है।

3) किसी प्रकार का संकट आने की आशंका हो, मान हानि या मिथ्या दोषारोपण से कोई पीड़ित हो तो भी महामृत्युंजय मंत्र का जप लाभदायक होता है।

4) धन-सम्पत्ति या सुख-समृद्धि की हानि होने का अंदेशा हो तो ज्योतिष और पंडित महामृत्युंजय मंत्र का जप करने की सलाह देते हैं।

5) अनिष्ट ग्रहों का निवारण और मारक एवं बाधक ग्रहों से संबंधित दोषों का निवारण महामृत्युंजय मंत्र की आराधना से संभव है।

6) जन्मकुंडली में मौजूद अन्य कई दोष जैसे कि विषघटी, गंडमूल एवं नाड़ी दोष आदि से उत्पन्न बाधाओं को दूर करने में भी महामृत्युंजय मंत्र सहायक है।

7) महामृत्युंजय मंत्र जप से सदबुद्धि, सुख सौभाग्य, मन की शान्ति एवं रोगों से मुक्ति संभव होती है।

➡  १२ महा-ज्योतिर्लिंग कौन-कौन से हैं?

➡ शिवजी की पूजा-अर्चना करते हुए भूल से भी ये काम न करें

विद्या सिंघानिया

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