स्वास्थ्य

माँ के दूध और अन्य दूध में क्या फर्क होता है?

यह एक प्रमाणित तथ्य है कि एक माँ से बढ़कर उसके शिशु का ख्याल कोई दूसरा रख ही नहीं सकता है। जितनी अच्छी तरह से एक माँ अपने शिशु को समझती है, उससे ज्यादा कोई और समझ ही नहीं सकता है। एक शिशु के लिए उसकी मां का प्रतिपूरक कोई दूसरा बन ही नही सकता है।

ठीक उसी प्रकार एक शिशु के लिए उसकी माँ का दूध ही सर्वोत्तम और सर्वश्रेष्ठ होता है। आजकल बहुत सी महिलाएं अपने शिशु को अपना दूध पिलाना पसंद नहीं करती हैं, परंतु, उनकी इस एक छोटी सी गलती का दुष्प्रभाव उनके शिशु को भुगतना पड़ सकता है। आज कल की महिलाएं अपने शिशु को कृत्रिम रूप से तैयार किये गए दूध को पिलाना पसंद करती है। परंतु, शिशु के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से उनका यह अभ्यास बहुत ही गलत है। ऐसी आदत की रोकथाम के लिए उनके लिए यह जानना बहुत ही जरूरी है कि आखिर माँ का दूध ही शिशु के लिए सर्वोत्तम क्यों है और माँ के दूध और अन्य दूध में क्या फर्क होता है। आइए, आज इस लेख के द्वारा जानते हैं कि माँ के दूध और अन्य दूध में क्या फर्क होता है।

माँ का दूध शिशु को कई तरह के रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। माँ के दूध में कई तरह के एंटी बॉडीज़ और ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो शिशु को तरह तरह के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, भविष्य में कई तरह के होने वाले रोगों की संभावना ही समाप्त कर देते हैं। माँ के दूध में पाये जाने वाले ये रोगविरोधी तत्व शिशु के शरीर में पहुंच जाते हैं और तरह तरह के रोगों से शिशु को सुरक्षित रखते हैं। परंतु, यदि शिशु को कोई और दूध पिलाया जाए तो उस दूध में भले भी वही पोषक तत्व मिल जाये, परंतु, रोगों से सुरक्षा प्रदान करने वाले वो तत्त्व और एंटी बॉडीज़ मिल ही नहीं सकते हैं, इसका कारण यह है कि इन तत्वों को कृत्रिम तरीके से किसी भी अन्य दूध में डाला ही नही जा सकता है। माँ का दूध शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर उसे कई तरह की बीमारिओं से सुरक्षित रखता है। परंतु, यह क्षमता किसी और दूध में नहीं पाई जा सकती है।

सिर्फ इतना ही नहीं, एक और बड़ा अंतर यह भी है कि शिशु माँ के दूध को बड़ी ही आसानी से पचा सकता है, परंतु, माँ के दूध की तुलना में अन्य किसी भी दूध को पचाना शिशु के कोमल पाचन तंत्र के लिए थोड़ा कठिन होता है। यही एक मुख्य कारण है कि कोई अन्य दूध पीने वाले शिशु को डायरिया और कॉन्स्टिपेशन होने की संभावना बहुत ही अधिक बढ़ जाती है, जबकि माँ के दूध को पीने वाले शिशुओं में ऐसीसमस्या होने के संभावना कम होती है।

दसबस स्टाफ

Recent Posts

चेहरे पर होने वाले छोटे-छोटे पिंपल्स को ठीक करने के घरेलू उपाय

खूबसूरत और चमकता चेहरा पाने की ख्वाहिश तो हर किसी की होती है लेकिन चेहरे…

2 वर्ष ago

मेथी से बनी हुई नाइट एंटी-एजिंग क्रीम – क्रीम एक, फायदे अनेक

मेथी एक ऐसी चीज़ है जो दिखने में छोटी होती है पर इसके हज़ारों फायदे…

2 वर्ष ago

कुणाल कपूर के अंदाज में बनी लजीज रेसिपी नवरत्न पुलाव रेसिपी

यूं तो नवरत्न अकबर के दरबार में मौजूद उन लोगों का समूह था, जो अकबर…

2 वर्ष ago

सर्दियों के लिए ख़ास चुने हुए डार्क कलर सूट के लेटेस्ट डिज़ाइन

वैसे तो गहरे और चटकदार रंग के कपडे किसी भी मौसम में बढ़िया ही लगते…

2 वर्ष ago

सर्दियों में डैंड्रफ की समस्या से बचने के असरदार टिप्स

डैंड्रफ एक ऐसी समस्या है जो आपके बालों को तो कमज़ोर बनाती ही है, साथ…

2 वर्ष ago

इंस्टेंट ग्लो के लिए टॉप 3 होममेड चावल फेस पैक

हमारी त्वचा बहुत ही नाजुक होती है। यदि इसकी सही तरह से देखभाल नहीं की…

2 वर्ष ago