हिन्दू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्त्व है। पुराणों के अनुसार जगतजननी माँ दुर्गा जिनको पृथ्वी पर उत्पत्ति एवं विनाश का कारण माना जाता है और जो माँ रूप में सभी प्राणियों का भरण- पोषण करती हैं। उन देवी माँ के नौ रूपों की अराधना करने का विशेष महत्त्व है।
ऐसी मान्यता है कि माँ दुर्गा वर्ष में दो बार अपने लोक से पृथ्वी लोक में नौ वाहनों पर सवार होकर आती हैं। और फिर दसवें दिन पृथ्वी से कैलाश पर्वत की ओर वाहन पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं। मान्यता अनुसार नवरात्रों में देवी का आगमन और प्रस्थान जिस वाहन से होता है, उसी के अनुरूप माँ नवरात्रि के पूजन एवं व्रत का फल पृथ्वी वासियों को देती हैं।
नवरात्रि का उत्सव साल में दो बार मनाया जाता है। पहला विक्रम सम्वत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की एक से नौ तारीख तक नवरात्रि का व्रत और दूसरा छह महीने के पश्चात अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पहली तारीख से नौ तारीख तक। नवरात्रि का व्रत एवं पूजन अश्विन मास में मनाये जाने वाले नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है। इसके दसवें दिन विजयदशमी अर्थात दशहरा का पर्व मनाया जाता है।
नवरात्रों में नौ दिनों तक नौ नक्षत्रो एवं दुर्गा माँ की नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ पूजा की जाती है। देवी भागवत में नवरात्रि के आरम्भ और समापन के दिन के अनुसार दुर्गा माँ के आगमन एवं प्रस्थान के वाहन की बात बतायी गयी है। जिनका वर्णन निम्न प्रकार है :
यदि नवरात्रि का पहला दिन रविवार या सोमवार को होता है, तो माँ का आगमन वाहन हाथी से होता है।
शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि का पहला दिन हो तो माँ के आगमन का वाहन घोड़ा।
बृहस्पतिवार या शुक्रवार को नवरात्रि का पहला दिन हो तो माँ के आगमन का वाहन पालकी।
यदि बुधवार को नवरात्रि का पहला दिन हो तो माँ के आगमन का वाहन नौका।
यदि नवरात्रि का अंतिम दिन रविवार या सोमवार को हो तो माँ के प्रस्थान का वाहन भैंसा।
शनिवार या मंगलवार को अंतिम दिन नवरात्रि का हो तो माँ के प्रस्थान का वाहन मुर्गा ।
बुधवार या शुक्रवार को अंतिम दी नवरात्रि का हो तो माँ के प्रस्थान का वाहन हाथी।
गुरुवार को नवरात्रि का अंतिम दिन हो तो माँ के प्रस्थान का वाहन नर।
➡ पिछले वर्ष, यानि अंग्रेज़ी कलेंडर के वर्ष 2017 में माँ दुर्गा ने इन वाहनों में आगमन और प्रस्थान किया था।
इस बार यानि वर्ष 2018 को शारदीय नवरात्रि बुधवार, 10 अक्टूबर से शरू हो कर शुक्रवार, 19 अक्टूबर को समाप्त हो रही है।
देवी भागवत के अनुसार इस बार माँ दुर्गा कैलाश लोक से पृथ्वी पर नौका पर सवार होकर आएँगी।
इसका अर्थ है, इस बार देवी पृथ्वी के समस्त प्राणियों की इच्छाओं को पूर्ण करेंगी। जो भी देवी के भक्त श्रद्धापूर्वक पूजन और व्रत अर्थात निर्मल मन से शुभ फल की इच्छा करेंगे, माँ दुर्गा उनकी मनोकामना पूर्ण करेंगी।
देवी नवरात्रि के अंतिम दिन यानि विजयदशमी को पृथ्वी से कैलाश की ओर हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी। जिसका अर्थ है कि देवी पृथ्वी वासियों को प्रचुर मात्रा में बारिश होने का वरदान देकर जायेंगी अर्थात पृथ्वी पर बारिश होने से फसल अच्छी होगी, जिससे सुख और समृद्धि बनी रहेगी।।
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