चन्द्र ग्रहण के दौरान क्या-क्या काम नहीं करने चाहिए और क्या करने चाहिए।
चन्द्र ग्रहण का एक विशेष अर्थ होता है। वेद और अन्य हिन्दू शास्त्रों एवं ज्योतिष शास्त्र में इस अवधि को लेकर ढेर सारी बताई गई हैं। हम आपको इन्हीं बातों का नीचे संक्षेप में सार बता रहे हैं।
चन्द्र ग्रहण के दौरान यह काम बिलकुल मत करिए :
किसी भी नए कार्य की शुरुआत ग्रहण के दौरान नहीं करनी चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार सूतक के समय किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण करना वर्जित है। सूतक के दौरान खाया गया भोजन आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय ज्यादा सतर्कता बरतनी पड़ेगी। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। जितना हो सके, यह समय पूजा-पाठ या ध्यान-साधना में व्यतिक करें। किसी भी धार वाली वस्तु से दूर रहें।
ग्रहण के समय हमें 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का भी विशेष ध्यान देना चाहिए। वो अगर जिद्द भी करें, तो भी उन्हें घर के बाहर न जाने दें। बच्चों को इस समय चाकू-छुरी या कोई भी धार वाली वस्तु से खेलने मत दीजिये।
ग्रहण के दौरान देवी-देवताओं की मूर्ति या फोटो फ्रेम को न छूएँ। अपने आँगन में लगे तुलसी के पौधे को भी हाथ न लगाएँ।
जिन जातकों की जन्मकुंडली में चन्द्र दोष हो, उन्हें चन्द्र ग्रहण के समय अत्यधिक सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
चन्द्र ग्रहण के दौरान यह कार्य करना ही उचित है:
ध्यान करें या शांति से पूजा-पाठ करें। किसी भी पाठ को ज़ोर-ज़ोर बोल कर ग्रहण के समय मत पढ़िये।
चन्द्र मंत्र का जाप करें: “ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात!”
चंद्र ग्रहण के बाद यह कार्य अवश्य करें:
जब ग्रहण की अवधि समाप्त हो जाये, तब अपने सम्पूर्ण निवास स्थान को गंगा जल छिड़क कर उसकी शुद्धि कर लें।
ग्रहण समाप्त होने के पश्चात स्नान अवश्य करें। अपने पूजा घर में विराजमान देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी स्नान कराएं। मंदिर में एक अगरबत्ती भी जला दें।
सूतक काल के बाद ताजा खाना खाइये। सूतक काल के बाद पकाया हुआ।
अगर आपने सूतक काल के पूर्व खाना बनाया था, तो उसे बर्बाद न करें। तुलसी की पत्तियाँ दाल कर भोजन की शुद्धि कर आप उस भोजन को परोस सकते हैं।
किसी जरूरतमन्द इंसान या ब्राह्मण को दान-दक्षिणा भी ग्रहण के समापन के बाद ही करें।
निर्धन लोगों को आप सफ़ेद चीज़ें दान में दें। जैसे कि दूध, चीनी या चावल।