हिन्दू धर्म में गाय के शरीर में सभी देवी-देवताओं का वास् बताया गया है। इसलिए गाय हिन्दुओं के लिए बहुत पूजनीय है। इसके बारे में विस्तार से जानें इस लेख में।
‘भारत एक कृषि-प्रधान देश है और गाय हमारी माता है’ यह पाठ हम सबने अपने बचपन से पढ़ा है। लेकिन इन दोनों पाठों की सत्यता जानने का प्रयास बहुत कम लोगों ने किया है। गाय के बिना हमारी कृषि ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी असंभव है। इस बात को सबसे पहले भगवान कृष्ण ने समझ लिया था इसलिए उन्होंनें एक गौ-पालक के रूप में गायों का संरक्षण और पालन किया। गाय को अन्य पशुओं की तुलना में इतना महत्व क्यों दिया जाता है और हिन्दू धर्म में गाय को क्यों पूजा जाता है, आइये जानें-
समुद्र मंथन में बहुत सारे अनमोल रत्न और अन्य अनमोल वस्तुएँ निकलीं थीं। इसमें एक कामधेनु गाय भी थी जिसे गुरु वसिष्ठ को दे दिया गया। उनके पास 8-9 प्रकार की गायें थीं जिनमें कामधेनु, कपिला, देवनी, नंदनी और भौमा आदि प्रमुख थीं। उन्होंनें इनसे ही गौवंश को बढ़ावा दिया। हालांकि बहुत ऋषि-मुनियों और राजाओं ने उनसे कामधेनु गाय के लिए युद्ध किया लेकिन गुरु वसिष्ठ ने 100 पुत्र गंवा दिये पर कामधेनु न दी। कहते हैं बाद में राजा इन्द्र ने उनकी यह गाय चुरा ली थी।
कहते हैं गाय का पूरा शरीर देवभूमि है जहां 33 कोटि देवी-देवता निवास करते हैं। पुराणों में एक पुराण है भविष्य पुराण। जिसमें गाय में कहाँ, कौन से देवता का वास है, स्पष्ट लिखा है। गाय की पीठ वाले हिस्से में ब्रह्म देव, कंठ में विष्णु भगवान और मुख प्रदेश में भगवान शिव का वास है।
बाकी सभी देवी-देवता गाय के मध्य भाग में रहते हैं। गाय के हर रोम में ऋषि-मुनियों का तो पूंछ में अनंत नाग का निवास स्थान है। गाय के खुर में पर्वत तो नेत्रों में सूर्य और चंद्रमा का वास बताया गया है। गोमूत्र में सारी पवित्र नदियाँ और गौमय में लक्ष्मी का निवास माना जाता है। इस प्रकार गाय को पृथ्वी, ब्राह्मण और देवगण का प्रतीक माना गया है।
धार्मिक रूप से पूजनीय होने के कारण गाय का दान प्राचीन काल से महादान माना जाता है। बुजुर्गों से सुना है कि मृत्युशैया पर लेटे व्यक्ति के हाथ में यदि गाय की पूंछ थमा दी जाए तो उसके स्वर्ग जाने की पुष्टि हो जाती थी। कुछ लोग तो इसीलिए गौ-दान भी करना अपना सबसे बड़ा पुण्य का काम समझते थे।
धार्मिक होने के साथ गाय का हर उत्पाद अपने आप में स्वास्थ्यकारी और लाभकारी है। गाय का दूध और उससे बनी चीजों के गुणों में कोई संदेह नहीं है। गाय का दूध ही नहीं, मूत्र आयुर्वेदिक दवाइयों के निर्माण में और गोबर कृषि में काम आता है।
गाय का गोबर भारतीय खेती के लिए अमृत माना जाता है। इसमें विटामिन बी 12, रेडियोधर्मिता सोखने की शक्ति है और यह चर्म रोगों में उपचार के काम भी आता है। गोबर को दीवारों पर लीपने से दीवारें मजबूत और मक्खी-मच्छर से सुरक्षित होती हैं।
गौमूत्र में पोटेशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड जैसे न्यूट्रीएंट्स होते हैं और दूध देते समय हुए गौमूत्र में लेक्टोज आदि की मात्रा बहुत अधिक होती है।
भारत में गाय की लगभग 28 नस्लें हैं जो देशी हैं। विदेशी गाय भी लोग रखते हैं। लेकिन हर दृष्टि से देशी गाय ही लाभदायक और पूजने योग्य है।
तो हर तरह से लाभदायक और पूजनीय गाय की सेवा, सुरक्षा और सम्मान करें।
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Itna fayda hone ke baad aur hamare dharm m devi ka darja dene ke baad bhi gay ko kyu marne diya jata h iska virodh krna chahiye