हम में से बहुत से लोगों ने ये तो देखा ही होगा, कि जब हम कभी भी जल्दीबाजी या किसी भी कारणवश खड़े- खड़े पानी पीते हैं, तो बड़े हमें टोकते ज़रूर हैं। इनके टोकने का कोई कारण तो अवश्य ही होगा, जिसे वे इतनी सख्ती से अपनाते हैं। आखिर क्या नुकसान छिपा है इस आदत में, आइए जानते हैं।
आयुर्वेद में इस अभ्यास को लेकर कई सारे तथ्य सम्मिलित हैं, जिन पर हम थोड़ा प्रकाश डालने की कोशिश करते हैं। हमारे खड़े होकर पानी पीने से हमारे शरीर के आंतरिक अंग- प्रत्यंग नकारात्मक तरीक़े से प्रभावित होते हैं। साथ ही साथ इस अवस्था में जल पीने से हमारी प्यास पूरी तरह से नहीं बुझती और न ही हमारे उदर में जल सही तरीक़े से पहुँच पाता है।
वैसे देखा जाए तो खड़े होने की अवस्था की तुलना में बैठे रहने की अवस्था अधिक आरामदायक है। बैठे रहने पर हमारा शरीर कसा हुआ नहीं रहता और इसी वजह से हम जितना भी पानी पीते हैं, वो आसानी से हमारे पेट तक पहुँच जाता है और खाद्य थैली की दीवारों के विरुद्ध दबाव नहीं पैदा करता है।
परंतु, इसके विपरीत जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं, तब जल की अधिक मात्रा के कारण हमारे पेट के निचले हिस्से की दीवारों पर गलत दबाव बनाता है। यही दबाव निचले पेट की दीवारों को कमज़ोर बना देता है। इसी के साथ यह पेट के आस पास के अंगों को भी नुकसान पहुंचाता है। इसी बुरी आदत के चलते लोगों को हर्निया का शिकार बनना पड़ता है एवं आंतों से जुड़ी कई अन्य तरह की बीमारियों के होने का ख़तरा भी रहता है।
लंबे समय से खड़े होकर पानी पीने की इस आदत के चलते शरीर का पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है। इसी के साथ साथ हृदय एवं गुर्दों के कार्य प्रणाली के प्रभावित होने की संभावना भी बनी रहती है। यह अभ्यास की वजह से गुर्दों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। फलस्वरूप, यह शरीर में बह रही अशुद्धियों को छानने की प्रक्रिया बाधित होती है एवं यही अशुद्धियाँ रक्त में प्रवाहित होकर रह जाती हैं। यह परिस्थिति अन्य कई सारी बीमारियों के उपजने का कारण बन जाती है।
यह अभ्यास अन्य बॉडी फ्लुइड्स, जो कि जोड़ों की कार्य प्रणाली में सहायक होते हैं, उनका संतुलन बिगाड़ती सकती है। इस वजह से जोड़ों में दर्द की समस्या भी रह सकती है। यह आर्थेराइटिस जैसी गंभीर समस्या का कारण बन सकती है। खड़े होकर पानी पीने से पानी एक तेज बहाव के साथ पेट में प्रवेश करता है, जिस वजह से हमें कोलिक पेन होने की संभावना रहती है। खड़े होने की अवस्था में, शरीर में प्रवेश करने जल को छानने वाले फिल्टर्स संकुचित हो जाते हैं और जल को सही तरीक़े से छान नहीं पाते हैं, जिससे कई सारे रोगों का ख़तरा बना रहता है। अतः हमे हमेशा पानी बैठ कर ही पीना चाहिए।
-शिवांगी महाराणा
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