यह तो सभी जानते हैं कि वैदिक काल से योग हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहा है। स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि जीवन की हर परेशानी का हल योग के आसनों में उपलब्ध है। लेकिन बदलाव ही जीवन है, इस बात से समाज का हर वर्ग सहमत है। तो अपने शरीर को स्वस्थ रखने के तरीके में भी बदलाव क्यूँ नहीं लाया जा सकता है। हम जिम जाकर अपने शरीर को स्वस्थ रखने का प्रयत्न कर सकते हैं। तो आइये देखते हैं की क्यों योग करने की बजाय जिम जाना आपके स्वास्थ्य और शरीर के लिए एक बेहतर फैसला है।
क्या योग जिम से बेहतर उपाय है?
योग से होने वाले लाभ तो अनगिनत हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं कि योग से नुकसान भी हो सकता है। तो आइये देखते हैं कि योग से हमें क्या-क्या नुकसान हो सकते है।
योग करने के बाद शरीर में चुस्ती और ताकत की जगह अगर आप शरीर में शिथिलता महसूस कर रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आपके शरीर में सोडियम की कमी है। इससे साइड इफेक्ट के रूप में आपको चक्कर आना, शरीर में कमजोरी आना, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना आदि नुकसान हो सकते है। ऐसा होने का सीधा अर्थ यह है कि योग, आपकी सेहत को सूट नहीं हो रहा है।
जो लोग योग को अपना जीवन बना लेते हैं, उनके लिए योग एक लत के समान हो जाता है। यह बात तो आप भी मानते हैं कि कोई भी क्रिया अत्यधिक मात्रा में करने से वह बुरे परिणाम देने लगती है। ज्यादा या प्रतिदिन योग करने से यह आपके शरीर के लिए हानिकारक भी सिद्ध हो सकता है।
योग करते समय शरीर की सभी मांसपेशियों में खिंचाव होता है। जब यह खिंचाव लंबे समय तक रहता है और आप अनजाने में उसे नजरंदाज करते है, तो इसका परिणाम भयंकर हो सकता है। शरीर के उस हिस्से में जहां की मांसपेशियों में खिंचाव है वहाँ दर्द तो होगा ही, दूरगामी नतीजा लकवा भी कर सकता है।
योग करते समय शरीर के किसी हिस्से में चोट भी लग सकती है । यह चोट शरीर के किसी भी हिस्से की मांसपेशियों के फटने, हर्नियेटेड डिस्क और कार्पल टनल के रूप में हो सकती है, जो हर हाल में घातक होती है।
कभी-कभी ज्यादा योग करने से शरीर में टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन की अधिकता भी हो जाती है। परिणाम भयंकर क्रोध और आक्रामकता का अपनी सीमा तोड़ देना।
कुछ लोग योग को विश्व-सुंदरी जैसा शरीर पाने का शॉर्ट-कट मानते हैं। परन्तु यह केवल उनका भरम है; योग करने से शरीर को साइड इफेक्ट्स भी हो सकते है और शरीर और अधिक फ़ैल सकता हैै।
योग के समर्थक शाकाहारी खाने को इतना पसंद करते हैं कि यह खाना उनकी एक आदत बन जाता है। हालांकि यह बुरा नहीं है, लेकिन जो लोग मांसाहारी आहार पसंद करते हैं उन्हें इसमें दिक्कत महसूस होती है।
इन्हीं सब कारणों से कह सकते हैं कि जिम जाना योग से बेहतर उपाय है।
अस्वीकरण: हम कदापि योग के खिलाफ नहीं है, बल्कि योग के समर्थक हैं. किन्तु भारतीय या हिन्दू संस्कृति के कई अनुयायी जिस तरह से पश्चिमी सभ्यता और उसके किसी भी योगदान को निचा दिखने की कोशिश करते हैं, हम उस के खिलाफ हैं. पूर्वी संस्कृति और पश्चिमी संस्कृति दोनों की अपनी-अपनी सुंदरता है. कई परिस्थितियों में योगासन जिम से बेहतर अपवाद है और कई मामलों में जिम योग से श्रेष्ठ है.
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