ज़्यादातर पुरूष इस बात को नजरअंदाज कर देते है, कि पीरियड के समय उनके साथी को अधिक देखभाल एवं स्नेह की आवश्यकता होती है। पीरियड के दौरान महिलाएं काफी कष्ट और मानसिक तनाव से गुजरती है एवं खुद से इस विषय में ठीक से बता भी नहीं पाती है। ऐसे में पति की यह जिम्मदारी होनी चाहिए, कि इस दौरान पत्नि को मानसिक सहयोग अवश्य ही प्रदान करे।
पीरियड के दौरान महिलाओं को कई प्रकार की परेशनियां होती है। इन समस्याओं का मुख्य कारण हार्मोनल परिवर्तन को माना जाता है। पेट व पैर दर्द, जी मचलाना, चिड़चिड़ापन, कमजोरी, अवसाद आदि होना काफी सामान्य है।
इस वजह से महिलाएं घर-परिवार के कामों में पूर्ण रूप से रूचि नहीं ले पाती है। वे अपने चारों तरफ शांत, सुकूनभरा एवं खुशहाल माहौल की चाह रखती है। किंतु इस दौरान पारिवारिक एवं बच्चों की जिम्मेदारियां न चाहते हुए भी उन्हें निभानी ही पड़ती है, जो उनके व्यवहार को और भी अधिक प्रभावित करने लगता है।
वह अपने पति से कामकाज में सहयोग व भावनात्मक जुड़ाव की अपेक्षा रखती है। ऐसे में पति द्वारा इन मुश्किल दिनों में अपनी पत्नि की समस्या को नहीं समझा जाना महिलाओं को काफी हद तक आघात पहुँचता है।
इसलिए हर पुरूष को चाहिये कि वह पीरियड के दिनों में पत्नि को ज़्यादा से ज़्यादा खुश रखे एवं उसे मानसिक परेशानियों से दूर रखने का भरपूर प्रयास करें। इसके लिए जरूरी है, कि उन दिनों में पत्नि को किसी भी कार्य के लिये विवश न करे एवं उसकी इस समस्या का मजाक न बनाएं।
उसके मासिक चक्र की जानकारी रखें एवं शारीरिक कष्ट को कम करने की कोशिश करें। अधिकांश महिलाएं पीरियड के दौरान बहुत ही असहज व अस्वसथ महसूस करती है, ऐसे में पति का साथ व आत्मीय लगाव किसी औषधि से कम नहीं होता है।
इन दिनों में महिलाओं की खाना के प्रति रूचि भी कुछ कम हो जाती है और वे स्वाद में नयापन चाहती है, ऐसे में पति को अपने जीवनसाथी की इच्छा का सम्मान करते हुये उसे रूचिपूर्ण आहार कराना चाहिये।
इन सब बातों का ख्याल रखकर हर पुरूष को पीरियड के दौरान अपनी पत्नि के मूड को अच्छी तरह समझकर उसका साथ देना चाहिये एवं अपने दांपत्य जीवन को और भी मधुर बनाने का प्रयास करना चाहिये।
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