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क्या वाकई पश्मीना शाल एक अंगूठी के अंदर से निकल जाती है?

पश्मीना शाल के अंगूठी परीक्षण को साबित करते हुए दिखाए गए विज्ञापन के विरुद्ध कई लोगों द्वारा विरोध करते हुए कहा गया, कि पश्मीना शाल एक अंगूठी से नहीं निकल सकती. यह शहतूश की शाल हो सकती है, जोअंगूठी में से पार हो सकती है, पश्मीना नहीं.

इस मुद्दे पर हाल ही में कश्मीर में हुई एक हुई मीटिंग में अलग-अलग समुदाय के लोगो का मत  अपने भिन्न भिन्न तरीको में सामने आया. जिनमें कुछ मानते हैं, कि यह मात्र पश्मीना शाल के विज्ञापन के लिए ,रिंग टेस्ट लोगों को बहकाने के लिए उठाया गया कदम है और इस मीटिंग में इसके विषय में लोगों को जागरूक करने का प्रावधान भी किया गया .

कश्मीर की पश्मीना शाल जो एक ओर कश्मीर की शान है, वहीं इसके कुछ झूठे उदाहरणों और प्रतिरूपों ने, इस शाल के प्रति लोगों में अविश्वास जागृत कर दिया है. श्रीनगर के कला विकास विभाग के संचालक “शरीक फारूकी” इस बात को लेकर चिंतित हैं, कि अधिकतर उद्योग वास्तविक पश्मीना शाल का निर्माण कर रहे हैं, परन्तु कुछ उद्योग ऐसे हैं, जो नकली उत्पाद बनाकर पश्मीना के नाम पर बेच रहे हैं.

असली पश्मीना की निम्न विशेषता है, जो इसे नकली पश्मीना से अलग दिखाती है.

  • असली पशमीना बेहद मुलायम और वजन में हल्का होता है।
  • वास्तविक पश्मीना के ऊन के रेशों को जलाने पे बालों के जलने जैसे गंध आती है.
  • पशमीना की बड़ी सी शॉल को अंगुठी के अंदर से बाहर निकाला जा सकता है।
  • रियल पशमीना पर कभी लेबल नहीं लगाया जाता, बल्कि सलाई से सिला जाता है।

   कैसे बनती है पश्मीना शॉल

  • पश्मीना असल में कश्मीर के लद्दाख के चंगथांग में पाई जाने वाली चांगरा बकरियों के ऊन से ही बनती है, जो समुद्र तल से करीब 14,000 फुट की ऊंचाई पर पाई जाती हैं।
  • एक बड़ी पश्मीना शाल को बनाने के लिए  तीन नस्ल के बकरों से प्राप्त ऊन का प्रयोग किया जाता है और एक बकरे से लगभग 80 से 170 ग्राम तक ऊन प्राप्त हो जाती है.
  • पश्मीना का एक धागा सिर्फ14 से 19 माइक्रोन्स का होता है, यानि मनुष्य के बाल से भी छह गुना पतला। कश्मीरी कारीगर कई पीढिय़ों से प्रसिद्ध पश्मीना शॉल बनाने का काम करते हैं, जो हाथ से बुने जाते हैं और कभी-कभी इनमें बेहतरीन एम्ब्रॉयडरी भी की जाती है।
  • पशमीना के लिए इन ऊनों को चरखे के ज़रिए हाथों से ही काता जाता है। ये काम काफी मुश्किल और थकाने वाला होता है, इसीलिए ऊन कोई अनुभवी कारीगर ही काट सकता है। इसे काटने के आलावा डाइ करने में भी काफी मेहनत और समय लगता है।

आज भारत से कहीं ज्यादा विदेशों में पशमीना की मांग है, इसलिए इसे नए स्टाइल में तैयार किया जाता है। पशमीना से कुरतियां, जैकेट्स, भी तैयार किये जा रहे हैं।

 

Shalu Mittal

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