भारत एक ऐसा देश है, जहाँ आपको असंख्य एवं अनगिनत ऐसी वस्तुएं देखने को मिलेगी, जो आपको आश्चर्य में डाल देंगी।पारंपरिक चीज़ो से हमारा रिश्ता काफी पुराना है, यह हमें पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत में मिला है। ऐसा कोई प्रान्त या समुदाय नहीं होगा जहाँ आपको कुछ अनोखा या अनूठा नहीं मिलेगा। सब अलग अलग किस्म के हीरे हैं, जिनकी अपनी एक चमक है ,अपना एक इतिहास है। आज हम बात करेंगे एक ऐसी ही लोक कला की ,जो काफी प्रचलित है और उतनी ही पारंपरिक भी। यहाँ बात चल रही है, कलमकारी की जिसमे आपको कला , मेहनत और अद्धभुत तकनीक का समन्वय मिल जायेगा।
कलमकारी सूती कपड़ों पर की जाती है। इस कला में हाथो से सूती कपड़ों पर अनेक प्रकार की कृतियां उकेरी जाती है, इसी कारण इसे हस्तकला की सूची में रखा गया है। यह कला प्राचीन आंध्रप्रदेश से है, पर पूरे देश में विख्यात है। मुख्यतः दो प्रान्त या शहर ऐसे है,जहाँ कलमकारी की जाती है । श्रीकलाहसति और मछलिपुरम यह दो जगह आंध्र प्रदेश में ऐसी है, जहाँ आपको हर व्यक्ति ऐसा मिलेगा जो कलमकारी का हुनर अपने हाथों में समेटे रखता है।
इन दोनों जगह पर होने वाली कलमकारी में फर्क बस इतना से है, की श्रीकलाहस्ति में कलमकारी हाथों से होती है, वही अगर हम मछलीपुरम की बात करें, तो वहाँ पर ब्लॉक या ठप्पो के साथ की जाती है ।
यह कला मुग़ल समय में दीवारों को सुन्दर बनाने के काम में आती थी। ठप्पो द्वारा दीवारों पर आकृतियां बनाई जाती थी।
कलमकारी की तकनीक को जाने तो इसमें सबसे ख़ास बात यह है, कि इनमे जो रंग भरे जाते हैं, वो वेजिटेबल डाई होते हैं,यानि की वनस्पति रंग। जिसका मतलब यह है, कि उनमे किसी प्रकार की रासायनिक चीज़ो का प्रयोग नहीं किया जाता है।
इसे बनाने के लिए सबसे पहले जो सूती कपड़ा होता है, उसे रात भर के लिए गोबर घुले हुए पानी में रख दिया जाता है । फिर इसे सुखाकर एक बार और दूध के घोल में डूबाते हैं, फिर इसे सुखा कर कूटा जाता है, ताकि उससे वह नरम जो जाये।
इसके बाद गुड़ के घोल की खमीरी उसपर डाली जाती है, फिर किसी पेड़ की बारीक़ लकड़ी से उस पर रेखाएँ खिंची जाती है जिससे उसपर अलग अलग पैटर्न बन जाये। फिर इसके बाद उसे रंगा जाता है । जिस भाग पर रंग लगना होता है उस पर पहले से ही फिटकरी लगा कर रख ली जाती है।
इसे और भी आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न चीज़ो का इस्तेमाल होता है, जैसे पेड़ो की छाल , पत्तियां, फूल ,बीज आदि। इस कला के समक्ष दर्शन करने हैं, तो किसी भी सरकारी हस्तकला केंद्र जाकर आप इसे देख सकते हैं।
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