कोल्हापुरी चप्पलें अपनेआप में एक ट्रेंड हैं, जो एक लम्बे अर्से से ऐसे ही चला आ रहा है. क्या है कोल्हापुरी चप्पलों का इतिहास और आज? जानिये इस लेख में.
गाँव हो या शहर कोल्हापुरी चप्पलें दोनों ही जगह एक सी लोकप्रिय हैं. कोल्हापुरी चप्पल सबसे पहले 13वी सदी में महाराष्ट्र में पहनी गयी. लेकिन आज 700 साल बाद भी, कोल्हापुरी चप्पल स्टाइल स्टेटमेंट बन चुकीं हैं जो आपके ट्रेडिशनल लुक को और भी ज़्यादा एथनिक टच देतीं हैं.
कोल्हापुरी चप्पल कई नामों से जाने जातें हैं जैसे कि पायतान, कपाशी, बक्कलनाली, पुकारी, कचन वगैरा लेकिन नाम कोई भी हो, हर एक चप्पल में कलाकारी और खूबसूरती वही होती है. कोल्हापुर जिले के कई कुटुंब यह व्यवसाय करते हैं. घर के पुरुष चमड़ा काटते हैं. स्त्रियां उसे पानी में भिगोकर बाद में ‘बंध’ बनातीं हैं और बच्चे इसे सिलने का काम करते हैं. एक कुटुंब एक दिन में 30 से 45 चप्पल बना लेता है यानी 15 से 20 जोड़े. उनके पास चमड़ा सही नाप में काटने के लिए कागज पर साँचा बना होता है.
पहले के जमाने में यह चप्पल गौ मांस से बनाये जाते थे. लेकिन इसके लिए कभी भी गाय की हत्या नहीं की गयी. इसमें बैलों के मांस का उपयोग होता था. इस चप्पल का सोल काफी मोटा रहता था और इसका वजन तक़रीबन 2 किलो होता था. ऐसा इसलिए करते थे क्योंकि चप्पल के इस मोटे सोल से वह पानी से ज़्यादा देर तक बची रहती थी और बैल के मांस से वह गर्मी को भी प्रतिरोध करती थी. लेकिन जैसे-जैसे ज़माना बदलता गया, टेक्नोलॉजी ज़्यादा अच्छी होने लगी, कोल्हापुरी चप्पल बनाने के तरीके में भी काफी बदलाव आये.
आजकल कोल्हापुरी चप्पल बनाने में आमतौर पर बकरे की त्वचा का उपयोग करते हैं. लेकिन कभी-कभी पूरी तरह से वॉटर प्रूफ और फैंसी चप्पल बनाने के लिए और चप्पलों की कीमत भी कम करने के लिए ‘फॉ-लेदर’ यानी कृत्रिम चमड़े का उपयोग किया जाता है. कोल्हापुरी चप्पल बनाने के पहले चमड़े को काफी देर तक पानी में रखा जाता है. इससे चमड़ा नरम होता है और उस पर काम करना आसान हो जाता है. पानी में रखने से चमड़े की बदबू भी चली जाती है. चप्पल बनाने के बाद इसे थोड़े समय तक तेल में भिगो कर रखते हैं जिससे यह वॉटरप्रूफ हो जाती है.
ट्रेडिशनल कोल्हापुरी चप्पल नैसर्गिक रंगो से रंगी जातीं थीं. इसीलिए उनका रंग टैन ब्राउन होता था और उन पर बारीक़ सफ़ेद धागे से थ्रेड वर्क किया जाता था. लेकिन आजकल कोल्हापुरी चप्पल भी बाकी चप्पल की तरह अलग-अलग रंगों में डिजाइंस में और पैटर्न में मिलती है. आजकल चप्पल ‘ज़रूरत’ नहीं बल्कि फैशन स्टेटमेंट बन गई है. इसीलिए कोल्हापुरी चप्पल का सोल पतला हो गया है और वजन हल्का.
कोल्हापुरी चप्पल फैशन जगत में ट्रेडिशनल, कंफर्टेबल और स्टाइलिश होने के लिए प्रसिद्ध है. विराट कोहली, रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण जैसे सेलेब्रिटीज भी इस चप्पल के दीवाने हैं. इनकी बेहतरीन गुणवत्ता ने अनेक पश्चिमी देशों से आने वाले लोग भी इन्हें आजमातें हैं. आपके ट्रैडिशनल लुक को पूरा बनाने के लिए आपके पास कम से कम एक जोड़ा कोल्हापुरी चप्पल होनी ही चाहिए.
तो आप भी अपने शू कलेक्शन में ‘कोल्हापुरी चप्पलों की एक जोड़ी’ तो जरूर शामिल करें और इस आरामदेह फुटवियर के साथ स्टाइलिश भी फील करें.
खूबसूरत और चमकता चेहरा पाने की ख्वाहिश तो हर किसी की होती है लेकिन चेहरे…
मेथी एक ऐसी चीज़ है जो दिखने में छोटी होती है पर इसके हज़ारों फायदे…
यूं तो नवरत्न अकबर के दरबार में मौजूद उन लोगों का समूह था, जो अकबर…
वैसे तो गहरे और चटकदार रंग के कपडे किसी भी मौसम में बढ़िया ही लगते…
डैंड्रफ एक ऐसी समस्या है जो आपके बालों को तो कमज़ोर बनाती ही है, साथ…
हमारी त्वचा बहुत ही नाजुक होती है। यदि इसकी सही तरह से देखभाल नहीं की…