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कितनी प्रतिशत हिन्दू महिलाएं सिन्दूर लगाती हैं?

भारतीय हिंदू समाज में सिंदूर का बहुत महत्‍व है, इसे सुहागन (विवाहित) स्‍त्री के प्रतीक के रूप में माना जाता है। सिंदूर को सौभाग्‍य की निशानी कहा जाता है और प्राचीन समय से ही इसे मांग पर लगाने की परंपरा भारत में चली आ रही है।

स्‍त्री के सोलह श्रृंगारों में से सिंदूर को एक माना गया है। शादी के समय महिला को सर्वप्रथम उसके पति द्वारा मांग में सिंदूर लगाया जाता और इसके बाद वह प्रतिदिन पति की दीर्घ आयु के लिए इसे जीवनभर लगाती है।

इसके साथ ही अन्‍य समुदाय जैसे- जैन, सिख आदि में भी महिलाओं द्वारा मांग में सिंदूर लगाने की परंपरा है। एक अनुमान के अनुसार भारत में 87% से 91% हिंदू महिलाएं विवाहोपरांत मांग में सिंदूर लगाया करती है।

महानगरों की अपेक्षा छोटे शहरों, कस्‍बों व गांवों में यह प्रतिशत कहीं अधिक लगभग 97% के आसपास है।पौराणिक कथाओं में सिंदूर के महत्‍व का विस्‍तृत वर्णन मिलता है।

इनके अनुसार लाल रंग शक्‍ति व सिंदूर आदिशक्ति सती एवं पार्वती की महिला ऊर्जा को प्रतीकात्‍मक रूप से दर्शाता है।

हिंदू मान्‍यता के अनुरूप देवी सती को आदर्श पत्नि कहा गया है, जिन्‍होंने पति महादेव शिव के सम्‍मान के लिए अपने प्राणों की आहूति तक दे दी थी और ऐसा कहा जाता है, कि हिंदू महिला को देवी सती का ही अनुकरण करना चाहिए।

यह भी माना जाता है,कि जो स्‍त्री मांग पर सिंदूर लगाती है, मॉ पार्वती उस महिला के सुहाग की हमेशा रक्षा करती है। सिंधु घाटी की सभ्‍यता के समय भी सिंदूर लगाने का चलन था, हड़प्‍पा में खुदाई के दौरान मिले साक्ष्‍यों से यह प्रमाणित होता है।

सिंदूर लगाने का दैहिक महत्‍व भी होता है। इसे हल्‍दी, चुना एवं धातु पारा (मरकरी) को मिलाकर तैयार किया जाता है, अपने आंतरिक गुणों के कारण पारा ब्‍लड प्रेशर को नियंत्रित, तनाव को कम व मस्तिष्‍क को सजग रखते हुए एकाग्रता को बढ़ता है। इसके साथ-साथ वैवाहिक जीवन को सुखद बनाने में भी सहायक होता है, इसी कारणवश शायद विधवा महिलाओं को सिंदूर लगाने की मनाही होती है।

आज के आधुनिक युग में, महानगरों में ख़ासतौर पर कामकाजी महिलाओं के द्वारा सिंदूर रोज़ाना लगाने का चलन कम होकर एक व्‍यक्तिगत इच्‍छा तक सीमित होता जा रहा है।

लेकिन त्‍यौहारों के समय विशेषतौर पर नवरात्रि व संक्रांति के अवसर पर पतियों के द्वारा अपनी पत्नियों की मांग में सिंदूर लगाने का रिवाज अभी भी है। त्‍यौहारों के सुअवसर पर देवी-देवताओं को सिंदूर अर्पित भी किया जाता है।

आजकल, यह लिक्विड या ज़ेल रूप में भी बाजार में उपलब्‍ध होता है, जिसे ब्रश की सहायता से बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है।

शिखा जैन

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