धर्म और संस्कृति

करवा चौथ व्रत और पूजा: सम्पूर्ण विधि और नियम

सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाओं द्वारा अपने पति की लम्बी उम्र के लिए किया जाता है। यहां हम आपको करवा चौथ व्रत और पूजा की सम्पूर्ण विधि के बारे में बताएंगे।

करवा चौथ

कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन किए जाने वाले इस व्रत का हिन्दू धर्म संस्कृति में विशेष महत्व माना गया है। इस दिन प्रत्येक सुहागिन महिला सोलह श्रृंगार कर हाथों में मेहंदी रचाती हैं। महिलाएं अपने सुहाग की सलामती और दीर्घायु के लिए कठोर तप स्वरूप निर्जला व्रत रखकर अपनी सहनशक्ति व त्याग का परिचय देती हैं।

➡ इन टिप्स को अपनाइये और देखिये आपकी मेहँदी कैसे सुंदर से रचती है.।

करवा चौथ व्रत 

इस दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर करवाचौथ व्रत को पूरी श्रद्धा भाव से करने का संकल्प लें। इसके पश्चात् स्नानादि से निवृत हो सरगी का सेवन कर थोड़ा पानी पिएं। अब सूर्योदय होने पर निर्जला करवाचौथ का व्रत प्रारम्भ कर दें।

पूरे दिन अन्न व जल ग्रहण नहीं करें। कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती ने अखंड तप और व्रत कर भगवान शिव को प्राप्त किया था। इसी वजह से करवाचौथ व्रत पूजन में बालू या सफेद मिट्टी की एक वेदी बनाकर शिव, पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश जी तथा चंद्रमा आदि की पूजा करने का विशेष महत्व है। शाम के समय भगवान शिव एवं माँ पार्वती सहित गणेश जी और कार्तिकेय भगवान को विराजमान कर उनका श्रृंगार किया जाता है।

 मंगलसूत्र – अमिट सुहाग का प्रतीक

कुमकुम, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेहंदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सुहाग का सामान (सिन्दूर, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ आदि), मिट्टी, चांदी, सोने या पीतल आदि का टोंटीदार करवा, दीपक, रूई, कपूर, गेहूँ, हल्दी, शहद, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, 8 पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए रूपये।

करवा चौथपूजा विधि

सर्वप्रथम पीली मिट्टी की सहायता से माता पार्वती बनाकर और उनकी गोद में मीट्टी से बने गणेश जी को विराजमान करें। अब इन्हें एक लकड़ी के आसन पर बिठाकर सुहाग की सामग्री द्वारा माता पार्वती का श्रृंगार करें।

पानी से भरा करवा और घी का दीपक जलाकर आसन पर रख दें। अब पूजन सामग्री द्वारा पूजा विधि आरम्भ करें।

पूजा संपन्न होने पर अन्य स्त्रियों के साथ बिना टकराए अपने करवों का आदान-प्रदान करें। इस तरह विधिवत पूजन विधि संपन्न कर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करें और अपने पति की दीर्घायु का वर मांगे।

अब चन्द्रमा और पति के दर्शन कर अपना व्रत खोलें। इस तरह जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से करवाचौथ का व्रत एवं पूजन करती है उसके पति को भगवान शिव एवं माता पार्वती की कृपा से दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

Shalu Mittal

Recent Posts

चेहरे पर होने वाले छोटे-छोटे पिंपल्स को ठीक करने के घरेलू उपाय

खूबसूरत और चमकता चेहरा पाने की ख्वाहिश तो हर किसी की होती है लेकिन चेहरे…

2 वर्ष ago

मेथी से बनी हुई नाइट एंटी-एजिंग क्रीम – क्रीम एक, फायदे अनेक

मेथी एक ऐसी चीज़ है जो दिखने में छोटी होती है पर इसके हज़ारों फायदे…

2 वर्ष ago

कुणाल कपूर के अंदाज में बनी लजीज रेसिपी नवरत्न पुलाव रेसिपी

यूं तो नवरत्न अकबर के दरबार में मौजूद उन लोगों का समूह था, जो अकबर…

2 वर्ष ago

सर्दियों के लिए ख़ास चुने हुए डार्क कलर सूट के लेटेस्ट डिज़ाइन

वैसे तो गहरे और चटकदार रंग के कपडे किसी भी मौसम में बढ़िया ही लगते…

2 वर्ष ago

सर्दियों में डैंड्रफ की समस्या से बचने के असरदार टिप्स

डैंड्रफ एक ऐसी समस्या है जो आपके बालों को तो कमज़ोर बनाती ही है, साथ…

2 वर्ष ago

इंस्टेंट ग्लो के लिए टॉप 3 होममेड चावल फेस पैक

हमारी त्वचा बहुत ही नाजुक होती है। यदि इसकी सही तरह से देखभाल नहीं की…

2 वर्ष ago