Fashion & Lifestyle

उत्तर में बनारसी तो दक्षिण में…..?

किसी शादी या समारोह का निमंत्रण मिलने पर मेरी  माँ अक्सर एक विषय में खो जाया करतीं थी और दुविधा से निकलने के लिए हम से पूँछ लिया करती थी कीइस बार कौनसी साड़ी पहनूँगी ?

यह सवाल मुझे हमेशा ही फ़िज़ूल लगता था या यूँ कहें, तब तक फिज़ूल  लगता था जब तक की मुझे विभिन्न प्रकार की साड़ियों की समझ थी| बात चाहे बनारसी सिल्क साड़ी की हो, या राजस्थानी कोटा दरई साड़ी की या बंगाली कांथा सिल्क की या फ़िर तमिल नाडु की कांजीवरम/कांचीपुरम साड़ी की, भारतीय संस्कृति एवं पारंपरिक परिधानों का प्रतिधनित्व करतीं ये साड़ियां केवल अपने क्षेत्र और समय के इतिहास का वर्णन करतीं हैं बल्कि तेज़ी से बदलते फैशन के इस दौर में  आधुनिक एवं पारंपरिक डिज़ाइनस में सही तालमेल बैठाने का माध्यम भी बनती हैं|

साड़ी के इसी स्वरुप को बेहतर तरीके से समझने के लिए आज हम आपसे बाटेंगे कुछ दिलचस्प बातें मशहूर कांजीवरम सिल्क साड़ीयों के बारे में|

कांचीवरम साड़ियां भारत के दक्षिणी राज्य तमिल नाडु के कांचीपुरम शहर में बनाई जाती हैं| हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार कांजीवरम साड़ी के बुनकारों को महर्षि मार्कण्डेय  जी का वंशज माना गया हैं जो कमल के फूल के रेशों से स्वयं देवताओं के लिए बुनाई किया करते थे| कुछ ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार राजा कृष्णदेव राय के समय से कांजीवरम साड़ियां अपनी श्रेष्ठ कारीगरी के लिए  जाने जानी लगी| सिल्क साड़ी का प्रमुख उत्पादन केंद्र हने के कारण कांचीपुरम को सिल्क सिटी के नाम से भी जाना जाता हैं |कांचीवरम साड़ी भारत सरकार द्वारा भौगोलिक उपदर्शक(Geographical indicator) का स्टेटस भी प्राप्त कर चुकी है|

प्रत्येक कांजीवरम साड़ी के निर्माण में श्रेष्ठ क्वालिटी के मलबरी सिल्क का प्रयोग किया जाता है|कांजीवरम सिल्क साड़ियाँ पारंपरिक हाथ की बुनाई से तैयार की जाती हैं जिसे कोरवई तकनिक भी कहते हैं | कोरवई साड़ी में बॉर्डर और पल्लू एक ही रंग का होता हैं और यह बाकी साड़ी के रंग से बहुत ब्राइट होता हैं| कांचीवरम साड़ी के ज़री की बुनाई में असली चांदी एवं सोने का प्रयोग किया जाता हैं और एक साड़ी को तैयार करने में लगभग हफ्ते का समय लगता है |

कांजीवरम साड़ी की चौड़ाई अन्य सिल्क साड़ियों से  ज़्यादा होती हैं| जहाँ एक आम साडी की चौड़ाई 45 इंच होती हैं वही कांजीवरम साड़ी की चौड़ाई 48 इंच रखी जाती हैं| कांजीवरम साड़ियों में डिज़ाइन मोटिफ्स के लिए सूर्य, चन्द्रमा, मोर, हंस, रथ एवं मंदिर के चित्र भी प्रयोग किये जातें हैं|

बदलते समय के साथ कांजीवरम साड़ी के तकनिकी उत्पादन एवं डिज़ाइनस  में भी कई बदलाव हैं| यह साड़ियां अपनी उत्तम क्वालिटी, आकर्षक रंगों और एथनिकएलिगेंट लुक के कारण आज भी महिलाओं के बीच उतनी ही लोकप्रिय हैं जैसे की पहले हुआ करती थी|

यदि आप किसी विशेष प्रकार की साड़ी के बारे में जानना चाहती हैं तो कमेंट सचिव में उसका नाम हमें बताएं |

Akshay Joshi

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