हमारा देश परंपराओं का देश है , रिश्तों का देश है , रीती रिवाज़ों का देश है। हमारे यहाँ कई ऐसे छोटे-छोटे त्यौहार मनाये जाते हैं , जो अलग अलग रिश्तों से जुडी हुई है।
उसमे तीज के त्यौहार का अपना एक अलग ही रंग है। हमारे यह चार प्रकार की तीज मनाई जाती है: अखा तीज , हरतालिका तीज , हरियाली तीज , और कजरी तीज।
तीज का पर्व महिलाओं के लिए बहुत ज़्यादा ही महत्वपूर्ण होता है। हमारे यहाँ शादी को एक बहुत ही पवित्र और पावन रिश्ता माना जाता है। इसी कारणवश कई रस्में ऐसी हैं, जो शादी-शुदा लोगों के लिए होती है, जो उनके रिश्ते को मजबूती प्रदान करती है।
कजरी तीज , कजली तीज या बड़ी तीज इसे किसी भी नाम से बुलाया जा सकता है। यह तीज भी सुहागनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । वो इसे अपने जीवन साथी की लंबी उम्र के लिए रखती है। कुँवारी लड़कियाँ अपना मनचाहा वर पाने के लिए।
हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से पाचवे महीने यानि भादो में कृष्ण पक्ष की तीज को कजरी तीज मनाई जाती है।
कहते है, कि जब माँ पार्वती शिव जी को अपने वर के रूप में चाहती थी, तो शिवजी ने उनके सामने शर्त रखी, कि वो अपनी भक्ति और प्यार का प्रमाण दें। माँ पार्वती ने 108 वर्ष तक काठोर तपस्या की तब जाकर शिवजी प्रसन्न हुए और कजरी तीज के दिन ही उन्होंने माँ पार्वती को स्वीकार कर लिया।
इसलिए कहते है कि कजली तीज को सभी देवगन माँ पार्वती और शिव जी की अर्चना करते हैं।
यह व्रत सुहागन महिलायें भी रखती है और कुँवारी लड़कियाँ भी। इस दिन घर-घर में झूला डाला जाता है और सुहागनें इस पर बैठ कर झूलती है। वह झूला झूल कर अपने हर्ष और उल्लास को व्यक्त करती है।
इतना ही नहीं सुहागन महिलायें एक जगह इकठ्ठा होती है। अपनी सहेलियों के साथ एक जगह एकत्रित होकर नाच गाना करती है और अपना पूरा समय मस्ती और गाने में बिताती है।
कजरी तीज का व्रत बिना कजली गाये व्यर्थ माना गया है। इसलिए महिलायें इस दिन गीत गायन करती है। गांव में तो इस दिन लोग मजीरों और ढोल के साथ गीत गाते है। ?
महिलायें और कुँवारी लड़कियाँ इस दिन व्रत रखती हैं, अपने जीवन साथी की लंबी आयु के लिए। इस दिन चना जौ गेंहू और चावल को मिलाकर सत्तू बनाया जाता है। फिर इस सब को घी और शक्कर में मिलकर कई तरह के पकवान बनाये जाते है।
रात में जब चंद्रमा आता है, तब इस व्रत को खोला जाता है । जो सत्तू के पकवान बनाये गए है, उसी से यह व्रत खोला जाता है.
इस दिन विशेष रूप से गौ माता की पूजा की जाती है।कहते है सात रोटियां बनाकर उस पर गुड़ और चने रखकर जब तक गाय को न खिला दिया जाये तब तक यह व्रत नही खोलना चाहिए।
कजरी तीज इस साल १० अगस्त २०१७ को मनाई जाएगी.
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