कढ़ाई यानी रंग-बिरंगे धागों से सुई-धागे की मदद से कुछ ऐसा काढ़ना, जो कपडे की सुन्दतरता बढ़ा दे. पुराने जमाने में कढाई हाथों से ही की जाती थी, लेकिन वक्त बदलने के साथ ही आज कढ़ाई मशीनों से भी की जाने लगी है. कढ़ाई करना तब भी बारीकी और हुनर का काम था और आज भी आज भी हुनर का काम माना जाता है. एक साधारण-से कपडे को खूबसूरती के नए मायनों में बदलती कढ़ाई की जानिये कौन-कौन सी हैं किस्में-
यह कढ़ाई बंगाल की प्राचीनतम कलाओं में से एक है. इस कढ़ाई में रंगीन धागों का खूबसूरती से प्रयोग किया जाता है. जिसमें फूल-पत्तियां,पशु और आम जनजीवन के दृश्यों को उकेरा जाता है.
यह लखनऊ की मशहूर कढ़ाई है, जिसमें महीन कपड़े पर सुई-धागे से तरह-तरह के टांकों द्वारा हाथ से कढ़ाई की जाती है. चिकन की कढ़ाई में भी कई तरह की किस्में हैं, जिसमें कई तरह के टांके और जालियां होते हैं जैसे-मुर्री, फंदा, कांटा, तेपची, पंखड़ी, लौंग जंजीरा, राहत तथा बंगला जाली, मुंदराजी जाजी, सिद्दौर जाली, बुलबुल चश्म जाली, बखिया आदि.
रेशम के धागों से तरह-तरह की ज्यामितीय आकृतियों को बनाने की कढ़ाई ‘फुलकारी’ के नाम से जानी जाती है, जो खास तौर पर जम्मू और पंजाब में मशहूर है. फुलकारी में भी चार तरह की फुलकारी -बाघ, थिरमा, दर्शन द्वार और बावन फुलकारी ख़ास मानी जातीं हैं.
यह एक बहुत पुरानी और बहुत लोकप्रिय कढ़ाई है, जिसमें असली सोने और चाँदी से ज़री बनाकर कढ़ाई की जाती थी, लेकिन समय के साथ असली सोने और चांदी के तारों (ज़री) का स्थान नकली तारों ने ले लिया और अब बेहतरीन सिल्क पर इसी ज़री का काम किया जाता है, जो बिल्कुल असली ज़री जैसा ही लगता है.
ये कढ़ाई एक कपडे पर एक या दो स्टिच से की जाती है और इसमें आमतौर पर प्रकृति के खूबसूरत चित्र उकेरे जातें हैं. इस खूबसूरत कढ़ाई की शहरों के साथ-साथ फैशन इंडस्ट्री में भी ख़ासी मांग है.
सिंधी कढ़ाई आमतौर पर लेडीज़ सूट्स, कुशन कवर्स आदि पर की जाती है. इसकी ख़ास बात ये है कि इस कढ़ाई को हैरिंग बोन स्टिच द्वारा केवल हाथ से ही किया जाता है, जबकि इसके साथ इस्तेमाल किया जाने वाला शीशे का काम मशीन के द्वारा भी किया जा सकता है. ये कढ़ाई देखने में भी बहुत खूबसूरत लगती है.
विविधताओं से संपन्न भारत के हर राज्य की तमाम खूबियों में से एक वहाँ की अलबेली कढ़ाईयाँ भी हैं. हर कढ़ाई की अपनी खासियत और अपने प्रशंसक हैं. ख़ास बात ये है कि सुई-धागों और कलात्मकता के इस खूबसूरत ताने-बाने के प्रशंसक केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत से लोग हैं. ये बात बताती है कि अच्छी चीजों के कद्रदान सारी दुनिया में मौजूद हैं.
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Piy band name bhi ye rojgar karni hkkn h
मुझे विविध कढ़ाईयों के संबंध में विशेष रूचि है और इस संबंध में मैंने लेख लिखने भी आरंभ किए हैं इस साइट से अच्छी जानकारी मिलती है। मेरे विचार से परंपराओं के नाम पर भारत ही एक ऐसा देश है जिसकी कला सबसे खूबसूरत और विििवधिता से परिपूर्ण है।
बहुत खूब पूनम! अगर आप अपने लेख यहाँ पर प्रकाशित करना चाहें, तो मुझे इस ई-मेल पर लिखिएगा: amit@dusbus.com
Beautifully explained...
Mera experience 10 saal ka hai kadai ka experience hai Kam ho to batana ji
Mujhe kuch kaam dijiye embroidery agar aapke pass ho to
मुझे कढ़ाई करना अच्छा लगता है पर मुझे काम नहीं मिलता हम अपने घर से कढ़ाई का काम करना चाहते है पर काम नहीं मिलता प्लीज़ मेरी मदद करें मेरा नंबर है 9958286381 किप्या सम्पर्क करें