हर स्त्री का हृदय कोमल, ममता एवं करूणाभाव से परीपूर्ण होता है। स्त्री के अनेक रूपों से हमारा सामना होता है, जिसमें पहला रूप “माँ” का होता है। स्त्री जब युवा होकर विवाह उपरांत नये परिवार से जुड़ती है, तब वह बहू कहलाती है। उसे बेटी की तरह सराहना व अपनाना ससुराल वालों का उत्तरदात्यिव होता है, क्योंकि आपकी अपनी बेटी भी किसी की बहू होगी। जो व्यवहार आप अपनी बेटी के लिये उसके ससुराल वालों से उम्मीद करती हैं, वही स्नेह व प्यार अपना घर छोड़कर आयी बहू से करिये, तो बेटी की छवि उसमें पायेंगी और बहू भी आपको माँ की तरह प्रेम व सम्मान देगी। कहा जाता है कि चार बर्तन जहाँ होते हैं, वहाँ खड़खड़ाहट होती ही है, क्योंकि हर व्यक्ति की विचारधारा एक समान नहीं हो सकती है। अगर बहू और आपका स्वभाव मेल नहीं खाता तो इसका मतलब यह नहीं है कि बहू खराब है, या आप बड़ी है इसलिये हर बार आपकी ही बात को माना जाऍ ।
रिश्तें बहुत ही नाजुक होते हैं और उन्हें निभाना व संभालना बहुत ज़रूरी है। सास होने का मतलब यह कतई नहीं है, कि बहू के आते ही उसे हर प्रकार की बंदिशों में कैद कर लिया जायें, वह भी एक इंसान है और उसे भी सांस लेने की आज़ादी के साथ सोचने, बोलने, समझने की छूट मिलनी चाहिये। बहू की सहेली बने न की सास बनकर सांस लेना मुश्किल कर दें। कई बार सास क्रोध व आवेश में आकर जो सामने आया उसी से बहू की बुराई (चुगली) शुरू कर देती है, और सोचती है इससे बहू की बदनामी होगी और सभी उसे ही बुरा समझकर उनके (सास) प्रति सहानुभूति का भाव रखेंगे। परंतु यह सोच एकदम गलत है, क्योंकि ऐसा लगातार करते रहने से लोग आपके स्वभाव से परेशान होंगे, परिवार में क्लेश बढ़ेगा। अगर बेटा आपके पक्ष में बोलेगा तो पत्नि की भावनाएं आहत होगी और इससे बेटे का गृहस्थ जीवन खतरे में पड़ सकता है। वही अगर बहू शालीनता तोड़ बैठी तो सामाजिक प्रतिष्ठा पर दाग़ लग सकता है ,या अवसाद में आकर वो बिखर भी सकती है। इसलिये सभी समस्याओं को आपसी बातचीत से संभालना व सुलझाना बहुत ही आवश्यक होता है।
बहू उस पौधे की तरह है, जिसे एक परिवार से दूसरे परिवार में रोपा जाता है और वही उसका नया जीवन शुरू होता है। परिवार की प्रतिष्ठा बनाये रखना हर सदस्य का दायित्व होता है, इसमें कई बार महिलाएं चूक जाती हैं। चाहे कितने भी मतभेद क्यों न हो, उन्हें कभी भी घर के बाहर उजागर नहीं होने देना चाहिये और एक आदर्श सास-बहू का उदाहरण समाज के सामने प्रस्तुत करना चाहिये।
चुगली करने की आदत है बहुत गन्दी. इससे जितना बचकर रहेंगी, उतनी ही खुश रहेंगी|
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