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IUCD क्या होता है? यह कैसे अनचाहे गर्भधारण की रोकथाम करता है?

परिवार नियोजन हमारे समाज का एक ऐसा अहम् मुद्दा है, जो सामाजिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। लेकिन लोक लाज के कारण कोई भी इस मुद्दे पर ज़्यादा विचार विमर्श नहीं करते। जिसका निष्कर्ष कई बार यह होता है, कि जानकारी के आभाव में दुष्परिणाम हो जाता हैं।

सही समय पर सही गर्भ निरोधक लेना अत्यन्त ज़रूरी है, वर्ना इसके चलते कई नुकसान हो सकते हैं। जैसे बच्चो में सही अन्तर न होना, अनचाहा गर्भ , संक्रमित रोग।
Iucd का अर्थ है अंतर्गर्भाशयी यंत्र । यह एक छोटा सा यंत्र है, जो महिलाओं के योनि में लगाया जाता है, जिससे अनचाहे गर्भ धारण को रोका जा सकता है।

यह दो प्रकार में उपलब्ध है । प्लास्टिक और कॉपर में iucd मिल जाता है, जिसे किसी भी स्वास्थ्य केंद्र से लिया जा सकता है। ज़्यादातर वो महिलायें इसे इस्तेमाल करती हैं, जिनका प्रसव हाल ही में हुआ है या वह लोग जिन्हें लंबे समय के लिए गर्भ धारण नहीं करना है।

यह iucd की गुणवत्ता पर निर्भर करता है, कि वह कितने सालों तक इस्तेमाल की जा सकती है । कुछ महीनों से लेकर कुछ साल तक इसका इस्तेमाल कर अनचाहे गर्भ धारण को रोक सकते हैं।

इसे गर्भाशय के भीतर डाला जाता है और यह लंबे समय के लिए उपयोग होता है। iucd के कुछ फ़ायदे भी हैं, और नुकसान भी।

Iucd के फ़ायदे

कॉपर का जो iucd होता है, वह सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में निशुल्क उपलब्ध हो जाता है, जिसे लेने में हर कोई समर्थ होता है।

इसका सबसे बड़ा और अच्छा यही फ़ायदा है, कि इसे लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्रसव के बाद,  या फिर गर्भपात या फिर किसी भी स्थिति के तुरंत बाद भी इसे लगाया का सकता है।

वैसे तो इसे माह के किसी भी दिन लगाया जा सकता है, लेकिन माहवारी के वक़्त अगर इसे लगवाया जाये तो लगाने वक़्त कम तकलीफ होगी।

इससे आपकी माहवारी भी कंट्रोल में रहती है और यह एक अच्छा गर्भनिरोधक है.
अगर आप इसे हटवा देती हैं, तो हटाने के तुरंत बाद ही वापस गर्भ धारण किया जा सकता है।

नुकसान

इसका नुक्सान यह है, कि संक्रमित रोगों की रोकथाम नहीं करता है।STD को रोकने में इसका कोई सहयोग नहीं है।

इसको लगाने के लिए किसी अच्छे प्रशिक्षित डॉक्टर की ज़रूरत होती है।

किसी के भी द्वारा इसे लगवाने से यह सही नहीं लगती और दूसरे नुकसान भी हो सकते है।

इसको लगवाते ही आपको योनि में सूजन महसूस होती है। कई बार तो रक्त भी निकल आता है।

इसका फिसल जाने का या बहार निकल आने का सबसे ज़्यादा ख़तरा रहता है। लगाने के कुछ समय या कुछ महीनो में इसके निकलने का या फिसलने का ख़तरा रहता है, जिससे अंदरूनी चोट लगने का ख़तरा बना रहता है।

 

 

Jasvinder Kaur Reen

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